‘डबल स्टैण्डर्ड यहाँ नहीं चलेगा’, ट्विटर अब कभी भारत-विरोधी कदम उठा नहीं पाएगा, मोदी ने इसके स्क्रू टाइट कर दिये हैं

ट्विटर

उड़ता तीर लेना तो कोई ट्विटर से सीखे। जिस प्रकार से ट्विटर ने अब केंद्र सरकार को खुलेआम चुनौती दी है, उसके लिए केंद्र सरकार ना सिर्फ पूरी तैयार है, बल्कि ट्विटर को यह भी संदेश दे सकती है – यह अमेरिका नहीं है।

ताजा रिपोर्टस के मुताबिक ट्विटर को केंद्र सरकार ने कड़े लहजे में कहा है कि भारत के नियम-कानून का पालन करना ही होगा, नहीं तो सख्ती बरती जाएगी। केंद्र सरकार के आईटी मंत्रालय के कहा कि ट्विटर ने अमेरिका के कैपिटल हिल हिंसा मामले में वहां की सरकार के निर्देश का तुरंत पालन किया, परन्तु  किसानों के नरसंहार जैसे भ्रामक व दुष्प्रचार वाले ट्वीट को हटाने में आनाकानी कर रहा है और भारत को व्यक्ति की आजादी का पाठ पढ़ा रहा है। भारत सरकार ने स्पष्ट कहा कि किसी भी कंपनी को देश में  भारतीय संसद के द्वारा पारित कानूनों का पालन करना पड़ेगा चाहे कंपनियों के नियम जैसे भी हों।

दरअसल, ट्विटर द्वारा आवश्यक दिशानिर्देशों के उल्लंघन से क्रोधित केंद्र सरकार ने ट्विटर के उच्चाधिकारियों को आईटी मिनिस्ट्री की बैठक के लिए समन किया था। बता दें कि लाल किले के उपद्रव के पश्चात वामपंथियों द्वारा फैलाए गए अफवाह “#ModiPlanningFarmerGenocide” के विरोध में सरकार ने कई अकाउंट निलंबित करने के निर्देश दिए।

परन्तु ट्विटर ने सरकार के निर्देश का मखौल उड़ाते हुए इन अकाउंट्स को निलंबित करने के कुछ ही घंटों बाद बहाल कर दिया। आग में  घी डालने के समान ट्विटर ने सरकार से बैठक से कुछ ही वक्त पहले एक ट्वीट थ्रेड पोस्ट किया, जिसमें उसने खुलेआम सरकार को मानो चुनौती देते हुए कहा कि उन्होंने उक्त अकाउंट (सुशांत सिंह, संजुक्ता बासु, हंसराज मीणा, किसान एकता मोर्चा) इसलिए नहीं निलंबित किए क्योंकि वे इन लोगों की अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता का उल्लघंन नहीं कर सकते।

https://twitter.com/TwitterSafety/status/1359360252286627841

हालांकि, केंद्र सरकार ट्विटर को बिल्कुल भी बख्शने के मूड में नहीं है आईटी एवं इलेक्ट्रॉनिक्स मंत्रालय के साथ हुई बैठक में ये बात स्पष्ट हो गई कि केंद्र सरकार ज़रा भी रहम नहीं दिखाने वाली। इसके अलावा केंद्र सरकार ने इस बात के लिए भी ट्विटर को आड़े हाथ लिया कि अलग-अलग देशों के लिए अलग अलग मापदण्ड क्यों?

इसके अलावा सरकार ने आधिकारिक रूप से बयान जारी करते हुए ये भी कहा कि, “संवेदनशील समय में किसान नरसंहार जैसे झूठे बेबुनियाद ट्रेंड को बढ़ावा ना तो पत्रकारिता का परिचायक है और ना ही अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है”। 

https://twitter.com/ItsShubhangi/status/1359574252270231555?s=20

स्वयं आईटी मंत्री  रविशंकर प्रसाद ने राज्य सभा को सम्बोधित करते हुए कहा, “हमें सोशल मीडिया से कोई बैर नहीं। सोशल मीडिया ने ही डिजिटल मीडिया जैसे कई सरकारी योजनाओं को बढ़ावा दिया है। परन्तु यदि सोशल मीडिया का दुरुपयोग भारत में शान्ति भंग करने, हिंसा भड़काने इत्यादि के लिए किया जाएगा, तो सरकार आवश्यक एक्शन भी लेगी”।

 

ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि ट्विटर के विरुद्ध युद्धस्तर पर केंद्र सरकार कार्रवाई करने को तैयार हो चुकी है। पहले ही कू जैसे भारतीय विकल्प को बढ़ावा दिया जा रहा है और अब ट्विटर के विरुद्ध आक्रामक रुख अपनाकर केंद्र सरकार ने स्पष्ट कर दिया है – भारत के हित से कोई समझौता स्वीकार नहीं।

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