बातें उदारवाद की और हरकतें सामंतवादी – DU करती है सामान्य लोगों से भेदभाव, अब ये बदल सकता है

एक टेस्ट तो करवा के देखो यारों

DU

कुछ ही दिनों में अब एक बार फिर से एंट्रेंस के लिए दिल्ली विश्वविद्यालय में छात्रों को लाइन लगी होगी। हालांकि दिल्ली विश्वविद्यालय में एडमिशन उन्हीं लोगों का होता है जो 99 प्रतिशत से ऊपर नम्बर लाते हैं। परन्तु अब यह सिस्टम बदल सकता है और एंट्रेंस टेस्ट की शुरुआत हो सकती है।

दिल्ली विश्वविद्यालय या केंद्रीय विश्वविद्यालय कॉमन एंट्रेंस टेस्ट यानी CUCET और बोर्ड परिणामों के आधार पर एक प्रवेश प्रक्रिया पर विचार कर रहा है। इस संबंध में एक प्रस्ताव यूजीसी को भेजा गया है। यदि इसे पास किया जाता है, तो यह देश के महत्वूर्ण विश्वविद्यालयों में से एक के लिए प्रवेश प्रक्रिया में सबसे महत्वपूर्ण बदलाव होगा।

आखिर इस नए प्रस्ताव में है क्या?

डीयू ने प्रस्ताव दिया है कि विश्वविद्यालय में प्रवेश कक्षा 12 के अंक और CUCET दोनों के आधार पर किया जाए। यानी बारहवीं के अंक का 50 प्रतिशत वेटेज और CUCET के अंक का वेटेज 50 प्रतिशत। DU के कार्यवाहक कुलपति पीसी जोशी, जो केंद्र द्वारा विश्वविद्यालयों के लिए एक आम प्रवेश परीक्षा पर विचार करने के लिए गठित समिति में है उनका कहना है कि, “केंद्र सरकार CUCET लाने जा रहा है, जिसके लिए कई समिति की बैठकें हुई हैं और इसे जल्द ही अंतिम रूप दिया जाएगा। एक बार ऐसा हो जाने पर, हम CUCET और बोर्ड परीक्षा दोनों के लिए वेटेज होंगे, जिसमें प्रत्येक के लिए 50% वेटेज होगा।” 

डीयू में अधिकांश पाठ्यक्रमों के लिए स्नातक प्रवेश 12 वीं कक्षा के अंकों के आधार पर होते हैं। कॉलेज मुख्य रूप से छात्रों के कक्षा 12 वी बोर्ड के प्रदर्शन के आधार पर कट-ऑफ जारी करते हैं।

आवेदक अपने सर्वश्रेष्ठ चार स्कोरिंग विषयों के आधार पर अपने प्रतिशत की गणना करते हैं और अगर वो कट-ऑफ को पार करते हैं तो DU के किसी भी कॉलेज में प्रवेश कर सकते हैं। 2020 में, जब लेडी श्री राम कॉलेज ने तीन पाठ्यक्रमों के लिए 100% की कट-ऑफ घोषित की, और सभी कॉलेजों के लगभग 30 पाठ्यक्रमों में 99% से अधिक कट ऑफ़ गया तो एक नया रिकॉर्ड स्थापित हो गया था। अब ऐसे में किसी बिहार बोर्ड का टॉपर छात्र भी एडमिशन नहीं ले सकता है।

हालांकि,यहां समस्या यह है कि दिल्ली के ही कई एलीट स्कूलों में बड़े बाबुओं के बच्चे पढ़ते है जो बारहवीं में खूब नम्बर लाते हैं जिससे DU में उनका ही एडमिशन आसानी से होता है। किसी अन्य राज्य से आने वाला छात्र 99 प्रतिशत अंक न लाने के वजह से DU में एडमिशन फॉर्म भी नहीं भर पाता है। अधिकांश छात्रों को DU इसलिए पसंद आता है क्योंकि यह सस्ती शिक्षा के साथ अच्छी शिक्षा मिलती है। केंद्र सरकार कई वर्षों से DU में एंट्रेंस एग्जाम के लिए प्रयासरत थी लेकिन नौकरशाहों के कारण कभी बात आगे नहीं बढ़ी। परन्तु अब ऐसा लगता है कि DU में भी एंट्रेंस एग्जाम हो सकता है। हालांकि कई लोगों को लगता है कि सिर्फ एंट्रेंस एग्जाम ही प्रवेश का सही तरीका है ना कि बारहवीं के अंक क्योंकि इससे प्रवेश प्रक्रिया में कक्षा 12 वीं बोर्ड के अंकों के लगभग 99 प्रतिशत वाले अत्याचार को दूर करने में मदद मिलेगी। शोभा बगई, जो पिछले साल डीन एडमिशन थी, उनका विचार था कि कक्षा 12 के अंक को एक मानदंड के रूप से हटा दिया जाना चाहिए और केवल प्रवेश परीक्षा का पालन किया जाना चाहिए। अब यह देखना होगा कि DU प्रशासन क्या फैसला लेती है।

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