रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के आलोचक अलेक्सेई नवलनी गबन के आरोप में रूस की जेल में हैं। अलेक्सेई पुतिन के प्रबल आलोचक हैं। वे रूसी सरकार के भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं और यही कारण है कि वह जेल में हैं। लेकिन जेल में होने के बाद भी वो पुतिन के लिए सरदर्द बने हुए हैं।
बता दें कि अलेक्सेई को अगस्त में जहर दिया गया था। लेकिन वो बच गए और ठीक होने के बाद अलेक्सेई रूस आ गए। जिसके बाद उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया। जेल जाने के बाद से पहली बार अपने समर्थकों को सम्बोधित करते हुए अलेक्सेई ने कहा कि वे रूस की सत्ता में बैठे कुछ चोरों से, अपने देश की स्वतंत्रता के लिए खुलकर लड़ें। जेल की सजा होने के बाद से यह उनका पहला वक्तव्य है।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार 44 वर्षीय अलेक्सेई नवलनी ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर लिखा है कि रूस की सरकार तभी तक सत्ता में काबिज है जब तक रूस की जनता उससे डरती रहेगी। उन्होंने लिखा “लेकिन हम, अगर अपने भय पर विजय पा लेते हैं, तो हम अपनी मातृभूमि को इन मुट्ठीभर चोरों से आजाद करवा लेंगे, जो आज सत्ता में काबिज हैं। चलिए इसे किया जाए, क्योंकि हमें इसे करना ही चाहिए।”
बता दें कि अलेक्सेई नवलनी हाल ही में जर्मनी से लौटे हैं। जर्मनी में उनको जहर देकर मारने की कोशिश की गई थी। इसके लिए Novichok नामक जहर का इस्तेमाल किया गया था जो सोवियत संघ के समय रूस द्वारा इस्तेमाल किया जाता था। अलेक्सेई पुतिन के धुर विरोधी हैं इसलिए उनपर हमले का शक सीधे पुतिन की ओर गया। हमले के बाद ब्रिटेन, जर्मनी सहित कई यूरोपीय देशों ने पुतिन की आलोचना की थी। लेकिन ठीक होने के बाद अलेक्सेई तुरंत रूस वापस लौट आये।
पुतिन 1999 से रूस की सत्ता पर काबिज हैं। पहले वे राष्ट्रपति के रूप में दो कार्यकाल तक पद पर बने रहे। इसके बाद उन्होंने अपने विश्वसनीय दिमित्री को राष्ट्रपति नियुक्त किया और स्वयं प्रधानमंत्री बन गए। हालांकि दिमित्री के समय भी सत्ता की असली ताकत पुतिन के पास ही थी। बाद में पुतिन ने संविधान संशोधन करवाकर राष्ट्रपति के रूप में अपनी जगह पुनः सुनिश्चित कर ली।
किसी भी अन्य तानाशाही सरकार की तरह रूस में भी पुतिन के विरोध में बोलने वाले लोग या तो मार दिए जाते हैं या जेलों में पाए जाते हैं। उदाहरण के लिए बॉरिस नेम्तसोव (Boris Nemtsov) की कहानी बताती है कि पुतिन विरोधियों का क्या हाल होता है। नेम्तसोव 1990 में रूस के सबसे प्रभावी और चहेते नेताओं में थे। सोवियत रूस के बिखराव के बाद वे नए रूस में उन्हें बदलाव का चेहरा माना जाता था और इसकी पूरी उम्मीद थी कि वो राष्ट्रपति बनेंगे। लेकिन राष्ट्रपति बने पुतिन। इसके बाद नेम्तसोव 2000 से 2011 तक रूस की राजनीति में अप्रासंगिक हो गए।
लेकिन उन्होंने 2011 में पुतिन के खिलाफ बड़ी रैलियों को आयोजित किया। वे कई बार जेल गए। रूस ने 2015 में यूक्रेन पर हमला कर क्रीमिया को अपने अधिकार में लिया। अपने देश द्वारा क्रीमिया पर जबरन कब्जे के खिलाफ नेम्तसोव ने आंदोलन का फैसला किया। फरवरी 15′ में उन्होंने एक रैली आयोजित की लेकिन उसमें जाने से कुछ घण्टों पहले ही उनकी गोली मारकर हत्या कर दी गई। उनकी हत्या की जाँच खुद पुतिन की निगरानी में हुई लेकिन उनके हत्यारे को पकड़ने में रूसी सरकार नाकाम रही।
सरकार नाकाम रही या उसने प्रयास ही नहीं किया यह तो पुतिन ही जानते हैं। किंतु रूस में यह बात सर्वविदित है कि पुतिन विरोधियों को ऐसे अनाम हत्यारे मिल ही जाते हैं।
हालांकि इस बार मामला कुछ और है। इस बार अलेक्सेई नवलनी खुद रूस आ गए हैं, बावजूद इसके की रूसी सरकार ने कुछ ही दिनों पूर्व उनको मारने की कोशिश की है। उन्होंने पुतिन को खुली चुनौती दी है और यह बताया है कि उन्हें मौत से डर नहीं लगता। उनकी कहानी रूसी युवाओं के लिए प्रेरणा बन गई है। पहली बार ऐसा हो रहा है कि रूसी अखबार खुलकर यह छाप रहे हैं कि पुलिस आंदोलनकारियों को कैसे प्रताड़ित कर रही है। एक बड़े एडिटर को तो सरकार विरोधी जोक को रीट्वीट करने पर जेल भी जाना पड़ा किंतु यह अपने आप में आश्चर्यजनक है कि रूस में कोई एडिटर इतना हिम्मती हो सकता है कि सरकार का मजाक उड़ाए।
कम्युनिस्ट शासन में सरकार पर प्रत्यक्ष क्या, अप्रत्यक्ष प्रहार भी नामुमकिन सी बात होती है। लेकिन रूसी सरकार पर हो रहे प्रहार बता रहे हैं कि आंदोलन कितने व्यापक जन असंतोष के कारण उपजा है।सैकड़ों शहरों में हो रहे प्रदर्शन और हजारों लोगों को हुई जेल बताती है कि पुतिन की कुर्सी को अलेक्सेई से कितना बड़ा खतरा है। अलेक्सेई का रूसी स्वतंत्रता के लिए चल रहा संघर्ष और उनका साहस, आंदोलन की प्रेरणा बन गया है।