केरल की लेफ्ट सरकार के साथ हो रहे विवाद अब दिनों-दिन बढ़ रहें हैं, वामपंथी सरकार केंद्र की नीतियों के विरुद्ध जाकर लोकल लोगों को फायदा पहुंचाने की जगह अमेरिकी कंपनियों को मत्स्य उद्योग से जुड़े फायदे पहुंचाने की प्लानिंग कर रही थी, जब पूरा भंडाफोड़ हुआ तो आनन-फानन में सरकार को अपना ही फैसला वापस लेना पड़ा है। वहीं, इस मामले पर केरल के मुख्यमंत्री का कहना है कि उन्हें इस मामले के बारे में कोई जानकारी नहीं थी परन्तु दावों के अनुसार मुख्यमंत्री की बातें आधारहीन नजर आती हैं।
केरल की पिनाराई विजयन सरकार हमेशा ही मोदी सरकार की नीतियों से अलग रास्ते पर ही चली है, जिसके पीछे काफी हद तक राजनीतिक मक़सद छिपे होते हैं, लेकिन इस बार एक अन्य जनहित के मुद्दे पर केरल सरकार की लानत-मलामत उनकी अपनी ही जनता ने कर दी है। दरअसल, केरल शिपिंग एंड इनलैंड नेविगेशन कॉर्पोरेशन (KSINC) ने मत्स्य पालन और मछुआरों से संबंधित उद्योग के लिए अमेरिकी कंपनी EMCC से डील कर चुकी थी, जिससे कंपनी को 5 हजार करोड़ की हुई डील का मोटा मुनाफा हो रहा था लेकिन बाद में जो हुआ उसमें बदनामी राज्य की विजयन सरकार की ही हुई।
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इस मुद्दे पर विपक्षी नेताओं ने विधानसभा से लेकर सड़क तक मुख्यमंत्री विजयन और उनके मंत्री को घेर लिया जिसके चलते लेफ्ट सरकार की काफ़ी मिट्टी पलीद हो गई। विपक्ष के नेता रमेश चेन्निथला ने एक तस्वीर सार्वजनिक की, जिसमें राज्य के मत्स्यपालन मंत्री जे. मर्सीकुट्टी और अमेरिका की एक कंपनी के सदस्यों के बीच बैठक चलती दिख रही है। रमेश चेन्निथला के अमेरिकी कंपनी को मछली पकड़ने की अनुमति देने के कथित त्रुटिपूर्ण फैसले पर पिनाराई विजयन और उनके दो कैबिनेट मंत्रियों के खिलाफ तेवर तल्ख किए हुए हैं, और विधानसभा में मंत्री के गलत जानकारी देने तक का आरोप लगाया है।
इस दौरान पूरा विपक्ष राज्य की विजयन सरकार पर आक्रोशित था। वहीं, इस मुद्दे पर चेन्निथला ने कहा, “जब से मैंने इस गलत सौदे को सामने लाया है, जो केरल के ‘समुद्र’ को अमेरिकी फर्म को बेचने के अलावा कुछ भी नहीं है, मुझे साजिशकर्ता समझा गया और मुझ पर हमला किया गया। मैं विजयन को चुनौती देता हूं कि वह इस मामले में व्यापक जांच के आदेश दें। मुझे इसका सामना करने में कोई परेशानी नहीं है, लेकिन क्या आप (विजयन) इसका सामना करेंगे?”
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इस मुद्दे पर मछुआरे से लेकर वहां के स्थानीय लोग भी विरोध करने लगे जिसके बाद केरल सरकार ने डील को रद्द कर दिया। इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन के निर्देश पर कार्रवाई की बात कही गई और जांच के आदेश भी दिये गए है, जिसे गृह सचिव की ओर से किया जाएगा। हालांकि, इस मामले में उनकी भी संलिप्तता थी, क्योंकि किसी भी डील को कोई भी मंत्री अपने मुख्यमंत्री की जानकारी के बिना नहीं कर सकता है। इसलिए ये कहा जा रहा है कि विजयन अब जांच का ढोंग कर रहे हैं।
इस पूरे प्रकरण के बाद पिनाराई विजयन सरकार की विधानसभा चुनाव के ठीक पहले काफी भद्द पिट गई है, जो विपक्ष के लिए भी एक बड़ा मुद्दा बन गया है, और ये एक ऐसा मुद्दा बन सकता है जिससे जुड़े सवाल विजयन सरकार को खूब चुभेंगे।