UK, यूरोपीय और US पर निर्भरता बंद, 70 साल बाद फुटवियर साइज़ स्टैंडर्ड में भी आत्मनिर्भर बनेगा भारत

औपनिवेशिक सोच वालों के लिए बड़ा झटका!

फुटवियर

जब आप कोई फुटवियर खरीदने जाते हो, फिर चाहे वो जूता हो या चप्पल, आप उसके पीछे कुछ नंबर और कुछ देशों के नाम अवश्य पढ़ते होंगे। दरअसल, यह फुटवियर मापने के पैमाने होते हैं, जिनके लिए अब तक यूके और अमेरिका के पैमानों पर निर्भर रहना पड़ता था, लेकिन अब भारतीय अपने मापदंडों के अनुसार फुटवियर खरीदने की सुविधा प्राप्त कर सकते हैं।

दरअसल, अभी हाल ही में भारत के अपने फुटवियर measurements की सूची स्वीकृत की गई है। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, “केन्द्रीय चमड़ा अनुसंधान संस्थान जल्द ही भारतीय पैरों को मापने हेतु एक अखिल भारतीय सर्वे कराएगा, जिसके डेटा से हमें भारतीय फुटवियर साइज़ के मानकों को तैयार करने में सहायता प्राप्त होगी”।

इसका अर्थ क्या है? अब तक भारत के पास अपना फुटवियर साइज़ मानक नहीं था, और उसे यूरोपीय संघ, यूके, और अमेरिका के फुटवियर मानकों पर निर्भर रहना पड़ता था। ये समस्या आज की नहीं, बल्कि स्वतंत्रता के पश्चात से चली आ रही है।

लेकिन हर पैर एक समान नहीं होता, और गलत फिट्स से लोगों को कई प्रकार की बीमारियाँ और चोटें भी हो सकती हैं। गलत फिट से पैरों में संक्राम बीमारी आने का खतरा भी बना रहता है। केन्द्रीय चमड़ा अनुसंधान संस्थान के निदेशक डॉ के जे श्रीराम के अनुसार, “कई दशकों पहले हर व्यक्ति के पास लगभग आधा जोड़ी जूता औसतन होता था, अब यह संख्या डेढ़ से ऊपर हो चुकी है”। 

इसके अलावा इसी संस्थान के प्रमुख वैज्ञानिकों में से एक मोहम्मद सादिक का मानना है, “समय आ चुका है कि हम अपने ग्राहकों को फुटवियर के साइज़ के बारे में सही से शिक्षित करें, और सही फिट और पैरों की सेहत के बारे में अवगत भी बताएँ”। यह इसलिए भी उचित है क्योंकि भारतीय पैरों की आवश्यकतायें जरूरी नहीं है कि यूरोपीय या अमेरिकियों जैसी हो। इसीलिए यदि भारतीयों का अपना फुटवियर साइज़ मानक होगा, तो यह निस्संदेह न सिर्फ अनेक भारतीयों के लिए लाभकारी होगा, बल्कि वैश्विक पटल पर भारत की एक नई पहचान भी स्थापित करेगा।

 

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