ग्रेटा को भारत में फूट डालने के लिए निमंत्रित किया गया था, मगर उनके एक ट्वीट से भारत की एकता और बढ़ गई!

एक ट्वीट ने किसान आंदोलन की सारी पोल खोल दी

ग्रेटा थनबर्ग

ग्रेटा थनबर्ग

राजधानी दिल्ली में चल रहे तथाकथित किसानों के अराजकतावादी आंदोलन को लेकर देश के वामपंथ खेमे में खुशी की लहर थी। सभी ये मानने लगे थे कि इस एक आंदोलन ने मोदी सरकार की छवि के साथ ही देश की उभरती साख पर बट्टा लगा दिया है, लेकिन वामपंथियों की खुशी ज्यादा देर तक टिक न सकी। पॉप सिंगर रिहाना से लेकर पॉर्न स्टार मिया खलीफा और तथाकथित पर्यावरण एक्टिविस्ट ग्रेटा थनबर्ग के ट्विटर पर भारत विरोधी वक्तव्यों ने देश का माहौल अचानक ही बदल दिया है और राष्ट्रवाद की एक आंधी चली है जिसमें वामपंथियों की खुशियां हवा हो गईं हैं। दिलचस्प बात ये है कि ग्रेटा थनबर्ग इस पूरे प्रकरण की मुख्य कड़ी बनकर उभरी हैं।

किसानों के आंदोलन को लेकर दुनियाभर के वामपंथियों ने ट्वीट किए और भारतीय सरकार के साथ ही अराजकतावादी आंदोलनकारियों के प्रति अपनी संवेदना जताई। जबकि पूरी दुनिया ने देखा है कि किस तरह से 26 जनवरी को इन लोगों ने अराजकता फैलाई थी और लाल किले में धार्मिक झंडा लहराया था। वामपंथियों को इन सबसे थोड़ा भी फ़र्क नहीं पड़ा, उनका मक़सद तो एजेंडा चलाने का था। इसीलिए उन्होंने अपना एक भारत विरोधी कैंपेन वैश्विक स्तर पर चलाया, और पैसे देकर विश्व के कई सेलिब्रिटीज से भारत विरोधी ट्वीट करवाए। इन सेलिब्रिटीज़ में रिहाना से लेकर पोर्न स्टार मिया खलीफा और पर्यावरण एक्टिविस्ट ग्रेटा थनबर्ग भी शामिल थीं।

वामपंथियों के लिए सबकुछ सही चल रहा था लेकिन अचानक एक ट्वीट में भारत के तथाकथित किसानों के आंदोलन का समर्थन करने वाली ग्रेटा थनबर्ग ने अपने दूसरे ट्वीट में 20 दिसंबर से शुरु हुए भारत विरोधी वैश्विक कैंपेन का गूगल टूलकिट भी पोस्ट में अटैच कर दिया। इस टूलकिट में साफ लिखा था कि जो किसानों के समर्थन में बयानबाजी करेगा वो एक बड़ी रकम का हकदार होगा। इसके लिए लोगों को सोशल मीडिया पर समर्थन जताने के साथ ही संभव होने पर किसानों के बीच दिल्ली के बॉर्डर्स पर किसानों के बीच जाना होगा। इसमें ये भी खुलासा हो गया था कि इसी कैंपेन के आधार पर ही रिहाना ने भी ट्वीट किया है। ग्रेटा थनबर्ग का गलती से किया गया ट्वीट कुछ ही समय में डिलीट तो हो गया लेकिन उससे ये साबित हो गया कि वो चाहें कितनी ही बड़ी तथाकथित एक्टिविस्ट क्यों न हो, लेकिन उनकी हरकतें बचपने वाली ही हैं।

इतना सब होने के बाद भारत और यहां की राष्ट्रवादी जनता के लिए चुप रहना असंभव हो गया था। भारतीय विदेश मंत्रालय ने इन सभी तथाकथित सेलिब्रिटीज को लताड़ लगाते हुए कह दिया कि वो भारत के किसी भी आंतरिक मामलों में टिप्पणी न ही करें, तो बेहतर होगा; क्योंकि देश के कृषि कानूनों और नए रिफॉर्म के बारे में आप सभी सेलिब्रिटीज़ को कोई जानकारी नहीं है। इसके अलावा बॉलीवुड अभिनेता अक्षय कुमार , सुनील शेट्टी, अजय देवगन समेत अभिनेत्री कंगना रनौत और लगभग-लगभग पूरे बॉलीवुड ने साफ तौर पर वैश्विक सेलिब्रिटीज़ को लताड़ लगाई कि उन्हें भारत के आंतरिक मामलों में बोलने का कोई हक नहीं है।  इस मुद्दे पर भारत रत्न और स्वर कोकिला लता मंगेशकर ने भी रिहाना जैसी गायिका को अपनी हद में रहने तक का संदेश दिया।

इस मुद्दे पर देश के आम नागरिक से लेकर क्रिकेटर्स तक ने ग्रेटा थनबर्ग जैसी एक्टिविस्ट को आईना दिखाया है कि उन्हें अपने काम से मतलब रखना चाहिए। क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले पूर्व भारतीय क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर ने इस मुद्दे पर विदेशियों की आलोचना की; तो उनके पीछे पूरा भारतीय क्रिकेट जगत खड़ा हो गया। पूर्व कप्तान राहुल द्रविड़ से लेकर गौतम गंभीर ,अनिल कुंबले भारतीय टीम के कोच रवि शास्त्री, अजिंक्य रहाणे और खुद कप्तान विराट कोहली तक ने साफ कर दिया है कि भारत के आंतरिक मामलों में विश्व के किसी भी शख्स को दखल देने की आवश्यकता नहीं है, हम सब साथ है। सभी ने #IndiaAgainstPropaganda और #IndiaTogether के तहत धड़ाधड़ ट्वीट्स किए।

तथाकथित किसान आंदोलन को लेकर वैश्विक स्तर का ये पूरा भारत विरोधी प्रकरण, देश के लिए पहले जितना नकारात्मक दिख रहा था, अचानक ग्रेटा थनबर्ग के बचपने के कारण सकारात्मक हो गया। इस एक घटना ने एक बार फिर भारत में राष्ट्रवाद की भावना का उबाल ला दिया है और सभी एकता के सूत्र में बंधे होने की बात करने लगे हैं। वहीं ये राष्ट्रवाद अब भारत में बैठकर भारत विरोधी कैंपेन चलाने वाले वामपंथियों और खालिस्तानियों को पच नहीं रहा है। वो इस वक्त सबसे ज्यादा किसी शख्स को कोस रहे हैं तो वो ग्रेटा थनबर्ग हीं हैं।

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