अभिव्यक्ति की आजादी से लेकर खान-पान के मामले को जो वामपंथी हमेशा ही निजी बताकर पूरे देश में विरोध करते हैं, वो अपने ही एक मात्र शासित राज्य केरल में इन सभी मुद्दों पर दोगलापन करते हैं, केरल की स्थिति भी ऐसी ही है। जहां कि पिनराई विजयन सरकार लगातार राज्य में विरोध की आवाजों को दबाने के साथ ही लोगों पर सत्ता का दबाव बनाती है। कुछ ऐसा ही अब सरकार के अंतर्गत आने वाली पुलिस ने भी हलाल खाने के प्रयोग को लेकर किया है और इस मामले में हिंदु संगठन के प्रमुख को इस मुद्दे पर गिरफ्तार कर लिया है जो दिखाता है कि अब केरल में सरकार की तानाशाही कथित लोकतंत्र के बावजूद बढ़ती ही जा रही है।
हलाल खाना हिंदु समुदाय में गलत माना गया है, वहीं मुस्लिम समाज हलाल को ही वरीयता देता है। ऐसे में दोनों की ओर से आए दिन इस मुद्दे पर विरोध भी होता है कि ‘हलाल’ और ‘झटका’ दोनों को लेकर स्थितियां स्पष्ट हों। इस मुद्दे पर केरल में भी हिंदु संगठन ‘हिंदू एक्या वेद’ ने हलाल खाद्य पदार्थ बेचने वाली एक बेकरी का बहिष्कार करने का अभियान छेड़ा। इसको लेकर वो केवल इतना ही कह रहे थे कि हिंदू समाज उस कथित रेस्टोरेंट्स का खाना न खाएं, लेकिन उनको इसका खामियाजा भुगतना पड़ा है और सगंठन के प्रमुख वीआर बाबू को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है।
इस मामले में पुलिस तरह-तरह की बेतुके तर्क दे रही हैं जो दिखाता है कि पुलिस इस मसले पर फंस गई है। पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों ने इस मामले पर कहा, “29 जनवरी को इस सिलसिले में एक मामला दर्ज किया गया था, लेकिन वह नोटिस के बावजूद वह पेश नहीं हुए थे, इसलिए हमने उन्हें गिरफ्तार किया। उन्हें इस शर्त पर जमानत दी गई है कि वह आठ फरवरी को अदालत में पेश होंगे।”
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ये मुद्दा जब चर्चा में आया तो अब पिनराई विजयन सरकार पर सवाल खड़े हो गए हैं। राज्य में विपक्षी पार्टी बीजेपी ने अब लेफ्ट की सरकार और उसके अंतर्गत काम करने वाली पुलिस को निशाने पर लेते हुए अभिव्यकित की आजादी पर सवाल खड़े किए हैं। इस मुद्दे पर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष के. सुंदरन ने कहा, “क्या केरल हलाल भोजन पर किसी के विचार को प्रतिबंधित करने के लिए इस्लामी देश में तब्दील हो गया है ? यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के खिलाफ है।”
ये बेहद ही अजीब बात है कि इस्लाम के आधार पर देश में जब कोई भी संगठन हलाल खाना ही खाने की बात करता है तो देश में कोई कार्रवाई नहीं होती है, न ही किसी तरह का विरोध होता है। इसके विपरीत यदि इस मुद्दे पर हिंदु संगठन सवाल करते हुए हलाल खाने के बहिष्कार की बात कर देते हैं तो वो आरोपियों की श्रेणी में आते हैं और उनको गिरफ्तार तक कर लिया जाता है जो दिखाता है कि असल में राज्य में इस मुद्दे पर लेफ्ट सरकार दोगलेपन की पराकाष्ठा को पार कर चुकी है।