‘मैं Macron के इस्लामिक कट्टरता बिल का अध्ययन करूँगा’, रविशंकर प्रसाद का बड़ा बयान

रविशंकर प्रसाद का ये बयान कईयों के लिए झटका है!

फ्रांस

अभी हाल ही में फ्रांस में एक बिल पारित हुआ है, जिसमें फ्रांस किसी भी प्रकार की धार्मिक कट्टरता के विरुद्ध कठोरतम कार्रवाई का प्रावधान है। यह विधेयक स्पष्ट रूप से कट्टरपंथी मुसलमानों के आतंक को खत्म करने की दृष्टि से तैयार किया गया है, जिसे स्वीकार करने में फ्रांस ने कोई हिचकिचाहट नहीं दिखाई। लेकिन फ्रांस के इस बिल का असर कहीं न कहीं भारत पर भी हो रहा है, क्योंकि रविशंकर प्रसाद ने इस विधेयक को भारत में लागू करने के संकेत दिए हैं। 

आईटी मंत्री होने के साथ साथ रविशंकर प्रसाद सूचना मंत्रालय एवं विधि मंत्रालय भी संभालते हैं। बतौर विधि मंत्री उन्होंने हाल ही में कहा कि वे फ्रांस द्वारा पारित बिल का निरीक्षण करेंगे। ज़ी न्यूज़ की रिपोर्ट के अनुसार, रविशंकर प्रसाद ने कहा कि “हम फ्रांस के बिल का अध्ययन करके इस सवाल का जवाब देंगे”।

अब फ्रांस का यह विधेयक है क्या, और इससे फ्रांस के मुसलमान क्यों भड़के हुए हैं? दरअसल, हाल ही में फ्रेंच संसद में पारित विधेयक में  मस्जिदों और मदरसों पर सरकारी निगरानी बढ़ाने और बहु विवाह (polygamy) और जबरन विवाह (forced marriage) पर सख्ती का प्रावधान है। यह विधेयक फ्रांस की धर्मनिरपेक्ष परंपराओं को कमजोर करने वालों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की अनुमति देता है। इस बिल के समर्थन में 347 वोट पड़े जबकि 151 सांसदों ने इसका विरोध किया। 

इस विधेयक के कुछ प्रमुख प्रावधान इस प्रकार हैं : 

यह विधेयक फ्रांस ने पिछले वर्ष शिक्षक सैम्युएल पैटी के परिप्रेक्ष्य में पारित किया है। राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने कहा है कि जेंडर इक्वेलिटी और सेक्युलरिज्म जैसे फ्रांसीसी मूल्यों की रक्षा किया जाना आवश्यक है, इसलिए ऐसे कानून देश हित में हैं।

तो इससे भारत को क्या करना है? दरअसल, फ्रांस अकेले इस्लामिक कट्टरवाद से जूझने वाला देश नहीं है। इस्लामिक कट्टरवाद से भारत का सदियों पुराना नाता रहा है, और इसके कारण भारत को विभाजन जैसे कलंक का भी सामना करना पड़ा, वो समय जब भारत को इस्लामिक कट्टरवाद के कारण तीन टुकड़ों में बाँट दिया गया – भारत, पाकिस्तान और पूर्वी पाकिस्तान [जो आगे चलकर 1971 में बांग्लादेश बना]। 

परंतु भारत की समस्यायें विभाजन के बाद भी खत्म नहीं हुई। आज भी अल्पसंख्यक तुष्टीकरण के नाम पर इस्लामिक कट्टरवाद को बिना किसी झिझक के बढ़ावा दिया जा रहा है। पूर्वोत्तर दिल्ली में पिछले वर्ष हुए दंगे इसी बात का प्रमाण है। इसके अलावा लव जिहाद के नाम पर हिन्दू लड़के और लड़कियों का धर्मांतरण न करने पर जघन्य हत्या हो, या फिर हिन्दू संस्कृति की प्रशंसा करने के लिए रिंकू शर्मा, कमलेश तिवारी जैसे लोगों को मौत की नींद सुलाना हो, भारत के लिए इस्लामिक कट्टरवाद दिन प्रतिदिन असहनीय होता जा रहा है। 

केंद्र सरकार भी भली भांति जानता है कि इस्लामिक कट्टरपंथियों के साथ नरमी बरतने से कुछ नहीं होगा। इसीलिए अब वह इन कट्टरपंथियों को उनकी औकात बताने के लिए कमर कस चुकी है और युद्धस्तर पर भारत तोड़ने वालों के ख्वाबों को धूल में मिलाने के लिए हरसंभव प्रयास करने को तैयार है। ऐसे में रविशंकर प्रसाद का यह कहना कि वे फ्रांस के धार्मिक कट्टरता विरोधी बिल का निरीक्षण करेंगे, इस बात की ओर संकेत देता है कि अब आने वाले महीनों में भारत भी धार्मिक कट्टरता से आर या पार की लड़ाई लड़ सकता है। 

 

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