भारत को Telecom कंपनियों के उपकरण बाहर से इम्पोर्ट करना पड़ता है, अब मोदी सरकार की PLI योजना इसे खत्म करेगी

दूरसंचार

देश के विभिन्न क्षेत्रों में जैसे फार्मास्यूटिकल्स, ऑटोमोबाइल और ऑटो पार्ट्स, दूरसंचार और नेटवर्किंग, उन्नत रसायन विज्ञान सेल बैटरी, कपड़ा, खाद्य उत्पाद, सौर मॉड्यूल, व्हाइट गुड्स, और इस्पात में Production Linked Incentive (पीएलआई) योजना की भारी सफलता के बाद मोदी सरकार टेलीकॉम इन्फ्रास्ट्रक्चर निर्माताओं को प्रोत्साहित करने की योजना पर काम कर रही है।

रिपोर्ट्स के अनुसार, मोदी सरकार ने कोर ट्रांसमिशन उपकरण, 4 जी / 5 जी नेक्स्ट जनरेशन के रेडियो एक्सेस नेटवर्क और वायरलेस उपकरण, इंटरनेट ऑफ थिंग्स-एक्सेस डिवाइस, अन्य वायरलेस उपकरण, स्विच, राउटर आदि के मैन्युफैक्चरिंग को प्रोत्साहित करने के लिए 12,000 करोड़ रुपये मंजूर किए हैं।

अगले पांच वर्षों में, विभिन्न कंपनियों द्वारा देश में दूरसंचार उपकरणों के देश में ही मैन्युफैक्चरिंग शुरू करने के लिए यह करोड़ों रुपये का प्रोत्साहन दिया जाएगा।  यह न केवल यह सुनिश्चित करेगा कि भारतीय दूरसंचार उपकरण के निर्माण में आत्म निर्भर बने, बल्कि वैश्विक उपभोक्ताओं को चीनी उपकरण का एक विकल्प भी प्रदान करें।

केंद्रीय दूरसंचार मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा, “दूरसंचार क्षेत्र में मेक-इन-इंडिया की प्रगति सुनिश्चित करने के लिए कैबिनेट ने PLI को मंजूरी दी है, 5G उपकरण भी आएंगे इसलिए प्रोत्साहन देना महत्वपूर्ण था।”

उन्होंने कहा, “आने वाले पांच वर्षों में हमें 2.44 लाख करोड़ रुपये का incremental production और 1.95 लाख करोड़ रुपये का एक्सपोर्ट होने की उम्मीद है। लगभग 40,000 लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार प्रदान किया जाएगा, जबकि 17,000  करोड़ रुपये तक का टैक्स रेवेन्यू उत्पन्न होगा।”

आज विश्व में देखा जाए तो 9 प्रमुख 5G रेडियो हार्डवेयर और कैरियर के लिए 5G सिस्टम का निर्माण करने वाली Altiostar, Cisco Systems, Datang Telecom/Fiberhome, Ericsson, Huawei, Nokia, Qualcomm, Samsung, and ZTE कंपनियों में तीन चीनी, तीन अमेरिकी, दो यूरोपीय हैं तथा एक दक्षिण कोरियाई कंपनी है। इनमें से कोई भी भारतीय कंपनी 4G / 5G इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए उपकरण उपलब्ध नहीं कराती है, और इसलिए, सभी बड़ी टेलीकॉम कंपनियों को ऐसे इन्फ्रास्ट्रक्चर उपकरण आयात करने के लिए मजबूर होना पड़ता है।

वोडाफोन और एयरटेल चीनी (हूवावे और जेडटीई) तथा यूरोपीय (नोकिया और एरिक्सन) कंपनियों के दूरसंचार इन्फ्रास्ट्रक्चर का उपयोग करते हैं, जबकि जियो ने अपने 4 जी इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिए दक्षिण कोरियाई प्रमुख सैमसंग के साथ समझौता किया है।

एक घरेलू टेलीकॉम इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण करने वाली कंपनी की कमी का प्रमुख कारण यह है कि भारत विदेशी कंपनियों को अरबों डॉलर का कारोबार और हजारों नौकरियां देता है।

आत्म निर्भर भारत के माध्यम से “मेक इन इंडिया” के लिए अब नए सिरे घरेलू खिलाड़ियों को इस उद्योगों में जाने के लिए प्रोत्साहित करने की योजना पर काम कर रही है। इस उद्योग के बड़े व्यवसाई इस क्षेत्र के लिए पीएलआई योजना के बारे में पहले से ही बहुत उत्साहित हैं।

इंडस्ट्री बॉडी मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन फॉर इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी जॉर्ज पॉल ने कहा, “हम दूरसंचार उपकरण निर्माण के लिए हाल ही में स्वीकृत PLI पर सरकार को बधाई देते हैं।  इस तरह की पहल भारत को दुनिया के विनिर्माण केंद्र के रूप में स्थान दिलाने में मदद करेगी। इससे निर्माताओं को कई अवसर मिलेंगे। भारत सही मायने में आत्म निर्भर बन जाएगा। इसी के साथ भारत में component manufacturing को आगे बढ़ाने की दिशा में कदम उठाना भी महत्वपूर्ण है।”

सरकार न केवल दूरसंचार उपकरणों के घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा दे रही है, बल्कि भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी के लिए प्रोत्साहित कर रही है ताकि टेलीकॉम इन्फ्रास्ट्क्चर के वर्चुअलाइजेशन का काम किया जा सके।

2018 में, टेक महिंद्रा ने अमेरिकी कंपनी Altiostar में निवेश किया, जो एंड-टू-एंड वेब-स्केल क्लाउड-नेटिव नेटवर्क के माध्यम से 4 जी / 5 जी बुनियादी ढांचे के वर्चुअलाइजेशन के लिए सॉफ्टवेयर विकसित करता है।  भारती एयरटेल ने पहले से ही भारत में Altiostar के सॉल्यूशन को लगाया हुआ है।

इससे पहले टेक महिंद्रा ने कहा था कि टेलीकॉम इंफ्रास्ट्रक्चर के अधिकांश हिस्से को वर्चुअलाइज्ड किया जा सकता है और भारत को इसके आईटी ताकत को देखते हुए वर्चुअलाइजेशन में नेतृत्व करना होगा।

टेक महिंद्रा के सीईओ सीपी गुरनानी ने कहा, ” कोर नेटवर्क और रेडियो नेटवर्क दोनों को वर्चुअलाइज किया जा सकता है। हालांकि कंपोनेंट्स को 70% वर्चुअलाइज किया जा सकता है लेकिन 30% हार्डवेयर में ही रहेगा (आईटीआई द्वारा निर्मित)। ”

पिछले कुछ महीनों में, चीनी दूरसंचार उपकरण सप्लायर – हुवावे और जेडटीई को भयंकर क्षति हुई है और कई देशों से बहिष्कृत कर दिया गया है। दुनियाभर के देश, जिनमें यूनाइटेड किंगडम, कनाडा भी हैं जहां Huawei को पहले ही 5G इंफ्रास्ट्रक्चर रोलआउट दिया जा चुका था, उन्होंने भी चीनी कंपनी के लिए दरवाजे बंद कर दिए हैं।

हुवावे के खिलाफ सरकार (यूनाइटेड किंगडम के मामले में) के साथ-साथ खुद टेलीकॉम कंपनी चीनी कंपनियों के साथ डील नहीं करना चाहते हैं। कनाडा में भी इसी तरह तीन प्रमुख दूरसंचार कंपनियों में से दो ने घोषणा की कि वे अपने 5जी रोलआउट में हुवावे के साथ डील नहीं करेंगे।

इसलिए, यह भारत के लिए टेलीकॉम इन्फ्रास्ट्रक्चर के निर्माण में न केवल आत्मनिर्भर बनने का क्षण है, बल्कि भारत अभी वैश्विक बाजार पर भी अपना प्रभुत्व जमा सकता है।

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