भारतीय PM मोदी बिग टेक के एकाधिकार पर नकेल कसने के लिए एक राष्ट्रवादी टेक्नोक्रेट की नियुक्ति कर रहे हैं

बिग टेक के monoply पर PM मोदी ने किया वार!

इस समय दुनिया भर में बिग टेक कंपनियों का बोलबाला है। इसमें कोई दो राय नहीं है कि किस प्रकार से उन्होंने अमेरिकी चुनावों में हस्तक्षेप करते हुए जो बाइडन को जिताया। चूंकि इनको नियंत्रण में रखने के लिए कोई ठोस फ्रेमवर्क नहीं, इसलिए यह बिग टेक कंपनियां हर जगह भ्रामक खबरें फैलाकर और अपनी मनमानी करके बच निकलने में सफल होती हैं। परंतु भारत में अब ऐसा और नहीं होगा।

एक अहम निर्णय में भारत ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के एड्वाइज़री बोर्ड में प्रसिद्ध टेक उद्योगपति श्रीधर वेम्बु को नियुक्त किया है। ज़ोहो सॉफ्टवेयर कॉर्पोरेशन के संस्थापक श्रीधर वेम्बु को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवाल के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय सुरक्षा सलाह बोर्ड के सदस्य के तौर पर नियुक्त किया गया है ।

पर ये श्रीधर वेम्बु आखिर हैं कौन? वे एक प्रसिद्ध सॉफ्टवेयर उद्यमी हैं, जिन्होंने 1996 में ‘AdventNet’, की स्थापना, जब भारत कंप्यूटर से ज्यादा परिचित नहीं था। 2009 में उन्होंने इसका नाम बदल ‘ZohoCorp’ रख दिया। पिछले वर्ष श्रीधर वेम्बु, जो सिलिकॉन घाटी में एक जाना मना नाम है, और जिनके संपत्ति का मूल्य ढाई बिलियन डॉलर है, तमिलनाडु के तेनकाशी में स्थित एक छोटे से गाँव में स्थानांतरित हो गए। टेक जगत को निस्स्वार्थ भाव से अपनी सेवाएँ देने के लिए उन्हें इसी वर्ष पद्मश्री से पुरस्कृत किया गया।

लेकिन बात केवल यहीं तक सीमित नहीं है। श्रीधर वेम्बु एक सच्चे देशभक्त भी हैं, जो वामपंथियों की गीदड़ भभकी में बिल्कुल नहीं देते। 2020 में Accenture के एमडी रामा एस रामचंद्रन के साथ उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा आयोजित ‘Resurgent Bharath’ नामक ईवेंट में हिस्सा लिया था। बस, फिर क्या था, एक उद्यमी को आरएसएस के ईवेंट में हिस्सा लेते देख लिबरल ब्रिगेड टूट पड़ी और श्रीधर को खूब खरी खोटी सुनाई गई –

लेकिन श्रीधर भी चुप नहीं रहे, उन्होंने वामपंथियों की खिंचाई करते हुए कहा, “मैं ट्विटर के हमलों के आधार पर अपना मत नहीं रखता। अगर आपको मेरे किसी ईवेंट से परेशानी है, तो जो आपकी अंतरात्मा कहती हैं वो करें, और जो मेरी अंतरात्मा कहती है वो मैं करूंगा। हम अपनी मेहनत से रोजी रोटी कमाते हैं और मैं ऐसे लोगों को अपना फालतू का समय नहीं दूंगा”

जहां एक तरफ myntraजैसी कंपनियां एक बेहूदा शिकायत पर बिना बचाव करे झुक जाते हैं, वहीं श्रीधर वेम्बु के विचार और उनका कार्य किसी मिसाल से कम नहीं है। ऐसे में जिस प्रकार से बिग टेक कंपनियां अपनी मनमानी करते आए हैं, उसमें श्रीधर वेम्बु की राष्ट्रीय सुरक्षा सलाह बोर्ड में नियुक्ति किसी वरदान से कम नहीं है। इससे भारत का संदेश स्पष्ट है – कायदे में रहोगे तो फायदे में रहोगे।

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