क्या किरण बेदी का पुडुचेरी से बाहर आना, नारायणसामी के लिए अच्छी खबर है? नहीं, ये बुरी खबर है!

काँग्रेस के लिए इधर कुआं, उधर खाई

देश के चंद राज्यों में सिमटी कांग्रेस पार्टी के लिए उसके अपने ही संगठन से चुनौतियां सामने आती रहती हैं, जिसके चलते कांग्रेस की सियासती सेना अब और तीव्रता के साथ छोटी होने लगी है। इसी कड़ी में अब केन्द्र-शासित प्रदेश पुडुचेरी में भी कांग्रेस की स्थिति बुरी हो गई है और वहां मुख्यमंत्री नारायणसामी के नेतृत्व में सरकार अल्पमत में आ गई है। ऐसे में केन्द्र ने उपराज्यपाल किरण बेदी को भी पद मुक्त कर तेलंगाना की राज्यपाल को पुडुचेरी का अतिरिक्त प्रभार दे दिया है। लंबे वक्त से चल रहे गतिरोध के कारण अब कांग्रेस खुश है कि किरण बेदी चली गईं, लेकिन उसे पता नहीं है कि उसकी असल मुश्किलें तो अब किरण बेदी के जाने के बाद शुरु होंगी।

पिछले एक महीने में पुडुचेरी कांग्रेस के चार विधायक पद से इस्तीफा देकर और पार्टी छोड़कर या तो घर बैठ गए हैं, या फिर दिल्ली आकर बीजेपा का दामन थाम चुके हैं। ये सबकुछ तब हो रहा है, जब एक लंबे वक्त के बाद कांग्रेस के भावी राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी अप्रैल-मई में होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए चल रहीं तैयारियों का जाएजा लेने पुडुचेरी पहुंचे है। राहुल पहुंचे तो जायजा लेने थे, लेकिन अब वो जायजा ले भी तो किसका, क्योंकि उनके तो विधायक ही पार्टी छोंड़ रहे हैं। दूसरी ओर बीजेपी समेत पूरा विपक्ष अब मांग कर रहा है कि राज्य की विधानसभा में बहुमत साबित किया जाए। दिलचस्प बात ये है कि बहुमत हो तो साबित किया जाए न, क्योंकि पुडुचेरी की कांग्रेस सरकार तो अब विधानसभा चुनावों से पहले ही अल्पमत में आ चुकी है।

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ऐसे में केन्द्र ने राज्य की उपराज्यपाल किरण बेदी को पद से मुक्त करते हुए ये जिम्मेदारी तेलंगाना की राज्यपाल तमिलसाई सुंदरराजन को अतिरिक्त प्रभार के तौर पर दे दी है। ऐसे में अल्पमत की सरकार चला रहे मुख्यमंत्री नारायणसामी केन्द्र के इस फैसले से काफी खुश हैं क्योंकि उनका पिछले लंबे वक्त से उप-राज्यपाल किरण बेदी से 36 का आंकड़ा चल रहा था। नारायणसामी तो उनके घर के सामने पूरी कैबिनेट के साथ धरने पर भी बैठ गए थे, लेकिन क्या ये उनके लिए किसी भी तरह की खुशी की बात हो सकती है? शायद नहीं।

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किरण बेदी एक प्रशासनिक स्तर की महिला थीं लेकिन पुडुचेरी की वर्तमान सियासत के दौर में किसी सियासत के मंझे खिलाड़ी को उतारना जरूरी है। ऐसे में बीजेपी उप-राज्यपाल के रूप में सुंदरराजन के जरिए वहां की आम जनता के बीच अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश में है। वो कांग्रेस की कमियां सामने रखने के साथ ही बीजेपी के लिए नए विकल्प भी तलाशेगी और इसीलिए नारायणसामी और कांग्रेस को ये नहीं सोचना चाहिए कि किरण बेदी को हटाकर केन्द्र ने उनके सामने घुटने टेके हैं, असल में तो बीजेपी ने कांग्रेस को फंसाने की तैयारी कर ली हैं जो कि कांग्रेस को काफी तगड़ा झटका देगी।

अल्प मत की नारायणसामी सरकार राहुल गांधी के आने के साथ ही बर्खास्त होने की कगार पर पहुंच गई हैं। ऐसे में यदि सदन में बहुमत साबित करने की बात सामने आती है तो कांग्रेस उप-राज्यपाल से किसी पुरानी रंजिश का हवाला देकर खुद को पीड़ित भी साबित नहीं कर पाएगी, क्योंकि केन्द्र ने किरण बेदी वाला तो किस्सा ही खत्म कर दिया है। इन सभी स्थितियों को देखते हुए ये कहा जा सकता है कि कांग्रेस के दिन अब पुडुचेरी में भी बेहद ही बुरे आ चुके हैं, क्योंकि किरण बेदी को हटाने का दांव कांग्रेस को भारी पड़ेगा।

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