जो बाइडन की दिमागी हालत शायद ठीक नहीं है, उनकी गहन जांच अब होनी ही चाहिए

बाइडन

PC: THE COURIER

जो बाइडन अमेरिका के 46वें राष्ट्रपति के तौर पर पदभार संभाल चुके हैं, लेकिन बड़ा सवाल यह है कि क्या वे इसके लिए तैयार हैं? दुनिया इस वक्त कोरोना महामारी से जूझ रही है और दुनिया एक और आर्थिक संकट के मुहाने पर खड़ी है। ऐसे में दुनिया को इस संकट से उबारने के लिए मजबूत नेताओं की ज़रूरत है। भारत में 70 वर्षीय प्रधानमंत्री मोदी की सरकार हो, चीन में 67 वर्षीय शी जिनपिंग सरकार हो या फिर रूस में पुतिन सरकार, दुनिया के सभी महत्वपूर्ण देशों का नेतृत्व मजबूत नेताओं द्वारा ही किया जा रहा है। यूरोप में भी हमें मर्कल और मैक्रों जैसे मजबूत नेता देखने को मिलते हैं, लेकिन अमेरिका के बारे में आपकी क्या राय है?

अमेरिका दुनिया में सबसे शक्तिशाली देश होने के साथ ही दुनिया का सबसे पुराना लोकतन्त्र भी कहा जाता है। 78 वर्षीय जो बाइडन अब इसका नेतृत्व कर रहे हैं। वे इस पद को संभालने वाले सबसे उम्रदराज व्यक्ति हैं। वे इतने उम्रदराज हैं कि उनके शपथ ग्रहण में शिरकत करने वाले सभी पूर्व राष्ट्रपति उम्र में उनसे छोटे थे। दुनिया के सबसे ताकतवर देश का नेतृत्व करने वाले व्यक्ति को खुद भी ताकतवर होना होगा। घरेलू के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय राजनीति पर आपकी अच्छी-ख़ासी पकड़ होनी चाहिए! क्या जो बाइडन ऐसा करने में सक्षम हैं?

सार्वजनिक तौर पर बाइडन एक बार नहीं, कई बार ऐसी हरकतें कर चुके हैं जो आपको यह यकीन दिलाने के लिए काफी होगा कि बाइडन अमेरिकी राष्ट्रपति के पद को संभालने के लिए योग्य नहीं हैं।

 

हालांकि, अपने भाषण के दौरान आधे-अधूरे वाक्य बोलना और बिना सर-पैर के तर्क देना ही उनकी इकलौती कमजोरी नहीं है। वे कई बार वाक्य को खत्म करते-करते ऐसे शब्द बोल जाते हैं, जिनपर बाद में अवश्य ही उन्हें अफसोस होता होगा, और ऐसा वे कई बार कर चुके हैं। ऐसा ही उन्होंने अपने राजनीतिक प्रचार के दौरान एक भाषण में कहा था “मुझे अब दिख रहा है कि तुम्हारी पत्नी ने तुम्हें क्यों छोड़ा”। अब उनके इस कथन का कोई कैसा भी मतलब निकालना चाहे, उसके लिए वह स्वतंत्र है।

बाइडन शुरू से ही एक विवादित राजनेता रहे हैं। वर्ष 1987 में बाइडन राष्ट्रपति पद के लिए दौड़ में भागे थे, लेकिन उस वक्त उनपर अपने बयानों को किसी दूसरी जगह से कॉपी करने के आरोप लगे थे। तब वे चुनाव नहीं जीत पाये थे। अब तीन दशकों के बाद बाइडन ना सिर्फ बूढ़े हुए हैं बल्कि इसका उनकी काम करने की क्षमता पर भी गहरा प्रभाव पड़ा है। उनके बेतुके और बेढंगे बयानों के रूप में ये हमें देखने को भी मिला है। पूर्व राष्ट्रपति ट्रम्प की विचारधारा का आप समर्थन करते हों या फिर विरोध, आप इस बात से इंकार नहीं कर सकते कि वे एक अच्छे वक्ता हैं। बाइडन उनके सामने कहीं नहीं ठहरते हैं।

वर्ष 2019 में तत्कालीन ब्रिटिश प्रधानमंत्री थेरेसा मे ने बाइडन को फोन मिलाकर ट्रम्प की शिकायत करने का मन बनाया था, लेकिन बाइडन ने बदले में क्या जवाब दिया? बाइडन ने कहा “Margaret Thatcher! मुझे माफ कीजिये! मैं उन्हें भी जानता हूँ! ब्रिटेन की प्रधानमंत्री थेरेसा मे।”

ओबामा प्रशासन के समय उप-राष्ट्रपति रहे बाइडन सबसे ज़्यादा उलझन भरे व्यक्तियों में से एक रहे हैं। वर्ष 2008 में उन्होंने कहा था “इस व्यक्ति को मैं अपना दोस्त कहने में गर्व महसूस करता हूँ- बराक अमेरिका!” ऐसे ही उन्होंने अपनी एक अन्य रैली में कहा था “अमेरिका के मिडिल क्लास के सामने एक ही सबसे बड़ी समस्या है, बराक के शब्दों में तीन अक्षरों की समस्या- J-O-B-S, Jobs”।

ये तो कुछ भी नहीं, कई बार उनका यह पागलपन अपनी हदों को भी पार कर चुका है। एक एक्सीडेंट के बाद Wheelchair इस्तेमाल करने वाली पूर्व US सीनेटर चक ग्राहम को बाइडन ने एक बार खड़े होकर ताली बजाने के लिए कहा था। इसी प्रकार वर्ष 2012 में एक रैली में उन्होंने कहा था “मेरी माता जी और पिता जी को लगता था कि अगर मैं राष्ट्रपति बनने की चाहत रखता हूँ तो मैं बन भी सकता हूँ, इस देश का उपराष्ट्रपति।”

यह तो कुछ भी नहीं, वर्ष 2006 में उन्होंने एक अजीबो-गरीब बयान में कहा था “जब मेरे बच्चे सो रहे होंगे, तो मैं अभी घर पर जाकर अपनी पत्नी को प्यार करना ज़्यादा पसंद करूंगा।” अब बेशक यह उनकी निजी प्राथमिकता है लेकिन वे इसे सार्वजनिक किए बिना भी अपना काम चला सकते थे। बाइडन हालिया दिनों में भी अपने बयानों से अपने साथियों को शर्मिंदा कर चुके हैं। चुनावी प्रचार के दौरान उन्होंने एक बार अपनी VP उम्मीदवार कमला हैरिस के पति को “कमला की पत्नी” कहकर संबोधित किया था। एक बार तो उन्होंने कमला को “राष्ट्रपति पद के लिए मनोनीत” घोषित कर दिया था।

ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि बाइडन, एक जिम्मेदार और बेहद महत्वपूर्ण पद पर हुए कभी भी कुछ ऐसा कर सकते हैं, जिसके बाद पूरे अमेरिका को शर्मिंदगी का सामना करना पड़ सकता है। अमेरिका की लिबरल मीडिया बेशक उनके कारनामों को छुपाने की भरपूर कोशिश करेगी, लेकिन लिबरल मीडिया का कवर-अप बाइडन की अजीबो-गरीब हरकतों पर शायद ही कोई लगाम लगा पाये!

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