K-2 (कश्मीर-खालिस्तान) plan के ज़रिए भारत को दहलाने की साज़िश रच रहे हैं पाकिस्तान और तुर्की

किसान आंदोलन के नाम पर भारत विरोधी कोशिश का हुआ पर्दाफाश

भारत को अस्थिर करने की बात हो, और उसमें पाकिस्तान की भूमिका न हो ऐसा संभव है क्या ? कतई नहीं। पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI के जरिए किसान आंदोलन में जुटे खालिस्तानी समर्थकों को खूब पैसा पहुंच रहा है। ये बात किसी से छिपी नहीं है, लेकिन खास बात ये है कि अब इसमें तुर्की भी शामिल हो गया है, जहां से बैठकर कश्मीरी पत्रकार के जरिए भारत में कश्मीर और खालिस्तान दोनों के ही मुद्दों को भड़काने की कोशिश की जा रही है, खास बात ये भी है कि गूगल टूलकिट से जुड़े केस में भी पाकिस्तान और तुर्की की बड़ी भूमिका है।

पाकिस्तान का एक राग है, कश्मीर… कश्मीर… और कश्मीर… और इस मुद्दे पर उसका साथ देने वाला केवल तुर्की ही है जो आए दिन भारत के खिलाफ कश्मीर को लेकर आपत्तिजनक बयानबाजी करता रहता है। ऐसे में इन दोनों मुल्कों की कश्मीर मामले पर तो दाल नहीं गल रही, इसलिए अब ये लोग भारत में चल रहे तथाकथित किसान आंदोलन के जरिए देश को अस्थिर करने की कोशिश कर रहे हैं और इसमें बड़ी भूमिका तुर्की में बैठे कश्मीरी पत्रकारों और ISI की भी है, कश्मीरी पत्रकार बाबर उमर तो भारत के खिलाफ पाकिस्तानी मीडिया में जहर उगलता ही रहता है।

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जी-न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान और उसके समकालीन मित्र देश तुर्की का मिशन K-2 बन गया है। ये दोनों ही कश्मीर और खालिस्तान को भारत से अलग करने की प्लानिंग कर रहे हैं। आईएसआई ने तुर्की और पाकिस्तान को एक साथ मिलाकर भारत के खिलाफ बड़ी साजिश की है। तुर्की से ऑपरेट कर रहा एक शख्स अली केसकिन, ISI और तुर्की इंटेलिजेंस के बीच का अहम हिस्सा है। इसके जरिये ही तुर्की और पाकिस्तान मिलकर भारत, ग्रीस, गल्फ देशों के खिलाफ दुष्प्रचार कर रहे हैं। खास बात ये है कि पाकिस्तान तुर्की में रह रहे कश्मीरी पत्रकार उमर के जरिए वैश्विक स्तर पर भारत की छवि को चोट पहुंचाने की कोशिश कर रहा है, जिससे भारत की अस्थिरता वैश्विक आकर्षण का केंद्र बन जाए।

दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे तथाकथित किसान आंदोलन को लेकर अब स्थितियां धीरे-धीरे ही सही लेकिन साफ हो रही हैं, जिसमें खालिस्तानी समर्थकों की संलिप्तता तो किसी से छिपी ही नहीं थी, लेकिन अब तो पाकिस्तान का एंगल भी अब सामने आ रहा है। पाकिस्तान से पहले ही भारत के खिलाफ डिजिटल हमले होते रहते हैं। 26 जनवरी को भी तथाकथित किसानों द्वारा जब दिल्ली के लालकिले पर हिंसा हुई थी तब भी सामने आया था कि 300 से ज्यादा पाकिस्तानी ट्विटर अकाउंट भारत और वैश्विक स्तर पर फेक न्यूज फैला रहे थे।

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ऐसे में अब जब किसान आन्दोलन के नाम पर अराजकता फ़ैलाने वाले लोग और तथाकथित किसान नेता कहते हैं कि वो मासूम हैं तो वो असल में देश से ही गद्दारी कर रहे होते हैं। इन्हें पता है कि इनकी इन हरकतों का फायदा दुश्मन देश  वैश्विक स्तर पर उठा रहे हैं, इसके बावजूद इनका अपनी जिद पर अड़े रहना दिखाता है कि ये लोग किस हद तक महत्वकांक्षाओं में घिरे हुए हैं।

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