ये सर्वविदित है कि देश में चल रहा तथाकथित किसान आंदोलन मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस द्वारा ही प्रायोजित है। इस किसानों के नाम पर चल रहे तथाकथित आंदोलन के जरिए कांग्रेस अपनी खोई हुई राजनीतिक जमीन को वापस पाने की कोशिश कर रही है और इसीलिए वह चाहती ही नहीं है कि किसानों का मसला हल भी हो। इसका हालिया उदाहरण कांग्रेस की एक नेत्री विद्या देवी सिंह का बयान है, जो प्रतिवर्ष किसानों के आंदोलन के आयोजन के साथ ही किसानों को शराब बांटने की बात कर रही हैं उनका कहना है कि किसानों की प्रत्येक संभव मदद की जानी चाहिए। हरियाणा कांग्रेस की नेत्री का बयान दर्शाता है कि कांग्रेस इस किसान आंदोलन को बचाने में अपनी सारी हदें पार कर रही है क्योंकि पार्टी की पूरी राजनीति अब इस अराजक आंदोलन पर ही निर्भर है।
देश के प्रत्येक तटस्थ आम आदमी को पता है कि दिल्ली की सीमाओं को बाधित कर किसान आंदोलन के नाम पर बैठे अराजक तत्व कहीं-न-कहीं पंजाब की कैप्टन अमरिंदर सिंह की सरकार की ही देन हैं, जो कि इस आंदोलन के जरिए अपनी पार्टी में एक नई जान फूंकना चाहते हैं। कांग्रेस की कोशिशों के बाद पार्टी को झटका तब लगा जब 26 जनवरी को हिंसा हुई, लेकिन अब टिकैत के बदले रुख के बाद कांग्रेस इस किसान आंदोलन में फिर अपनी राजनीतिक संभावनाएं तलाश रही हैं। इसीलिए किसानों को हर संभव मदद देने की कोशिश कर रही है।
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कांग्रेस नेता किसान आंदोलन में तन-मन-धन से किसानों को मदद देने की कोशिश कर रहे हैं। वहीं इस मुद्दे पर कांग्रेस की नेत्री विद्या देवी सिंह तो ज्यादा ही आगे निकल गईं और किसानों को शराब तक देने की बात कह डाली। उन्होंने कहा, “हमारे सभी कार्यकर्ताओं को इसके लिए आगे आना चाहिए और जो दान कर सकते हैं, वह करना चाहिए। सब्जियां, पैसे और शराब से लेकर जो भी आप कर सकते हैं, वह करना चाहिए।”
हरियाणा कांग्रेस नेत्री विद्या देवी इतने पर ही नहीं रुकीं बल्कि पार्टी का वो सच सभी के सामने ला दिया जिसका आरोप लगातार बीजेपी कांग्रेस पर लगाती रहती हैं। विद्या देवी ने कहा, “इस बार जब हम हारे, तो हमारा अस्तित्व खत्म ही हो चुका था। यह आंदोलन जो हमें मिला है न, वह 26 जनवरी को समाप्त हो चुका था। लेकिन किसानों के इरादे मजबूत थे तो यह फिर से उठ खड़ा हुआ है। इस आंदोलन को अब हमें चलाना है। हमारे कार्यकर्ताओं को किसानों की हर तरह से मदद करनी होगी। पैसों से, सब्जियों से या फिर शराब का दान करके। हमें हर तरह से किसानों के आंदोलन को मजबूती देनी होगी।”
उनके इस कथन वाला वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। इसके चलते कांग्रेस की फजीहत एक बार फिर शुरु हो गई है। इस मुद्दे पर बीजेपी के नेताओं से लेकर आम आदमी तक कांग्रेस की आलोचना के साथ ही उस पर तंज कस रहे हैं। कांग्रेस की नेत्री का ये बयान इस बात का पर्याय है कि पार्टी अब केन्द्र और राज्यों की सरकारों की सत्ता से बाहर रहने के बाद फड़फड़ाने लगी हैं और इसीलिए अपनी पार्टी को बचाने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार है।
इस वक्त जब देश, कोरोना महामारी के कारण आर्थिक मोर्चे पर चुनौतीपूर्ण स्थिति में है और जब पक्ष-विपक्ष को मिलकर देश को इस स्थिति से निकलने की परवाह करनी चाहिए तो ऐसे में भी कांग्रेस अपनी राजनीतिक संभावनाएं तलाशने के लिए किसानों के पीछे खड़ी हो गई है। वो किसान आंदोलन जिसमें अंतरराष्ट्रीय लोग भारत की छवि को बर्बाद करने की कोशिश में हैं। इसके साथ ही इसी तथाकथित आंदोलन के अराजक लोगों ने देश की शान लाल किले पर भी हिंसा की थी जो दिखाता है कि कांग्रेस अब जनता का भरोसा नहीं जीत पा रही है तो वो तो लाशों पर राजनीति कर सत्ता की उम्मीद लगा रही है।