26 जनवरी को हुई घटना के पीछे ISI और खालिस्तानियों के साथ वामपंथी और मोदी विरोधी मीडिया का भी रहा हाथ

भारत

(PC: The Tribune)

26 जनवरी को पूरे भारत को शर्मसार होना पड़ा, जब ट्रैक्टर रैली के नाम पर खालिस्तानियों ने लाल किले पर उपद्रव मचाया। अब ये सामने आया है कि इसके पीछे न केवल वामपंथियों का, बल्कि ISI का भी बराबर का हाथ था।

ज़ी न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, “सुरक्षा एजेंसियों के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई (ISI) ने किसानों के प्रदर्शन को हिंसक रूप देने के लिए खालिस्तानी आतंकियों के साथ बैठक की थी। इसके लिए आईएसआई ने कनाडा, ब्रिटेन, जर्मनी और अमेरिका में स्थित पाकिस्तानी दूतावास के जरिए खालिस्तानी आतंकियों के साथ कई राउंड की बैठक की थी”।

यही नहीं, सूत्रों की माने तो इस साजिश में कई भारतीय न्यूज पोर्टल भी थे। ज़ी न्यूज की रिपोर्ट में आगे बताया गया, “भारत में हो रहे किसानों के आंदोलन (Farmers Protest) को अंतरराष्ट्रीय रंग देने के लिए भारत के कुछ ऑनलाइन न्यूज पोर्टल को साजिश में शामिल किया गया था। बैठक में ये फैसला किया गया था कि उन्हीं न्यूज पोर्टल को प्लान में शामिल करना है, जो मोदी सरकार के खिलाफ हैं और जो वामपंथी विचारधारा के है”।

किसान आंदोलन के नाम पर अराजकता और आतंकवाद को बढ़ावा की इस नापाक कोशिश के बारे में TFI Post ने कई महीनों पहले अपनी रिपोर्ट में प्रकाश भी डाला था। रिपोर्ट के एक अंश अनुसार, “भारतीय इंटेलिजेंस एजेंसियों के अनुसार, आईएसआई खालिस्तान समर्थक गोपाल सिंह चावला, भिंडरावाले के भतीजे लखबीर सिंह रोड़े, दुर्दांत खालिस्तानी आतंकी गुरजीत सिंह चीमा जैसे लोगों के जरिए पंजाब में पुनः खालिस्तानी मूवमेंट को हवा देना चाहता है। लेकिन पाकिस्तान केवल यहीं तक सीमित नहीं है।

उसके प्लान का एक और भाग है – पंजाब से हिन्दुत्व का सम्पूर्ण सफाया। ज़ी न्यूज की रिपोर्ट में ही आगे बताया गया, “पाकिस्तान के आईएसआई अफसरों ने एक षड्यन्त्र रचा है, जिसके अंतर्गत खालिस्तानी आतंकियों का इस्तेमाल कर हिन्दू समर्थक नेताओं का सफाया किया जाए और राज्य में पुनः आतंकवाद को बढ़ावा दिया जाए। आईएसआई इस नापाक इरादे को लखबीर सिंह रोड़े और दुबई का सुख बिक्रीवाल नामक गैंगस्टर का इस्तेमाल कर रहा है”।

ऐसे में वर्तमान मामले में कई भारतीय पत्रकारों को भी साजिश में शामिल किया गया जो लगातार भारत विरोधी हैंडल को बढ़ावा देते रहे, और उनके भारत विरोधी ट्वीट्स को Retweet करते रहे। हालांकि, यह कोई नई बात तो नहीं है, पर इस योजना से स्पष्ट होता है कि पाकिस्तान अपने इरादों को अंजाम तक पहुंचाने के लिए किस हद तक जा सकता है। ऐसे में केंद्र सरकार को तनिक भी विलंब नहीं करना चाहिए और इस पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए।

 

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