दिल्ली-आगरा वॉटरवे प्रोजेक्ट के रद्द होने से बड़ी सीख: ढिंढोरा पीटने से पहले अच्छे से विश्लेषण कर लो

पहले काम करो, फिर प्रचार करो

प्रोजेक्ट

बड़े बुजुर्ग सही कहते थे – जब तक काम पूरा न हो, तब तक डींग नहीं हांकनी चाहिए। लेकिन भाजपा सरकार ने एक विषय में कोई सीख नहीं ली थी, जिसके कारण दिल्ली से आगरा तक जलमार्ग प्रोजेक्ट तैयार करने के ख्वाबों पर पानी फिर चुका है।

2014 में तत्कालीन पोर्ट, शिपिंग एवं जलमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने दावा किया था कि सरकार जल्द ही दिल्ली से आगरा तक जलमार्ग की व्यवस्था करेगी। गडकरी के अनुसार, “जल्द ही लोग आगरा से दिल्ली यमुना के रास्ते जाएंगे। हमने प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री से विनती की है कि इस परियोजना के लिए अतिरिक्त फंडस की व्यवस्था की जाये”।

2015 में इस दिशा में एक अहम घोषणा करते हुए गडकरी ने करते हुए कहा की वे इस प्रोजेक्ट की क्षमता के आधार पर एक स्टडी रिपोर्ट कंडक्ट कराने का निर्देश दिया था। 2016 में भी इसी बात को दोहराया गया था। लेकिन तब से 2021 आ चुका है, और इस परियोजना का कहीं कोई नामोनिशान नहीं है 

हाल ही में लोकसभा में आयोजित एक प्रश्नोत्तरी के दौरान वर्तमान पोर्ट, शिपिंग एवं जलमार्ग मंत्री मंसूख एल मांडविया ने बताया, “जगतपुर में स्थित यमुना से लेकर प्रयागराज के संगम तक 110वां राष्ट्रीय राजमार्ग घोषित किया गया। परंतु इससे संबन्धित प्रोजेक्ट रिपोर्ट [जो जनवरी 2020 में बनके तैयार हुआ] के अनुसार ये प्रोजेक्ट पूरा करने योग्य नहीं है”

यानि जिस प्रोजेक्ट को लगभग 7 साल से जनता के सामने गाजे बाजे के साथ परोसा जा रहा था, वह कभी पूरा नहीं होगा। ये न केवल एक चिंताजनक खबर है, बल्कि इनफ्रास्ट्रक्चर पर ज़ोर देने वाली सरकार के लिए भी हानिकारक है। इसी भांति नमामि गंगे परियोजना पर भी प्रारम्भ में किए गए वादों के अनुरूप थे, और यदि नितिन गडकरी ने सही समय पर इस मिशन की कमान नहीं संभाली होती, तो इस परियोजना का भी हाल उक्त जलमार्ग परियोजना की भांति हुआ होता।

अभी कुछ ही दिनों पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था, जो स्वतंत्रता के बाद दशकों तक आप पर राज करते थे, उन्हें लगता था कि दिसपुर दिल्ली से बहुत दूर है। दिल्ली अब दूर नहीं आपके दरवाजे पर है” इस बयान से पीएम मोदी का रुख्त स्पष्ट था – इन्फ्रास्ट्रक्चर को दुरुस्त करना, देश की सुरक्षा इत्यादि भी महत्वपूर्ण चुनावी मुद्दे हो सकते हैं।

परंतु जिस प्रकार से एक आवश्यक जलमार्ग परियोजना को वादों के अनुरूप नहीं अमल में लाया गया, वो आगे चलकर केंद्र सरकार और भाजपा के लिए हानिकारक भी सिद्ध हो सकता है। केंद्र सरकार के ऊपर इस समय एक संवाद बिलकुल सटीक बैठता है – “आपसे बेटर उम्मीद किए थे”। 

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