ममता को ओवैसी का डर, अब बंगाल में रैली करने की अनुमति ही नहीं दे रही

ओवैसी बने ममता के लिए सिरदर्द!

ओवैसी

PC: Zee News

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी विधानसभा चुनाव से पहले अल्पसंख्यकों के मुद्दे पर काफी डरी हुई हैं, क्योंकि उनकी सारी राजनीति अल्पसंख्यकों के तुष्टीकरण के तहत ही होती है। दूसरी ओर बीजेपी का बढ़ता जनाधार भी ममता को परेशान कर रहा है। इन सभी परिस्थितियों के बीच एआईएमआईएम चीफ असद्दुदीन ओवैसी ममता दीदी के लिए एक अलग ही मुसीबत का सबब बन गए हैं और वो भी अपनी पार्टी को चुनाव में लड़ाने की बात कर रहे हैं। ऐसे में अब ममता उनसे इतना डर गईं है कि वो ओवैसी की रैलियों तक को आयोजन की इजाज़त नहीं दे रही हैं।

पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव को लेकर ओवैसी ने ताल ठोकने का ऐलान तब किया था जब बिहार विधानसभा चुनाव में पार्टी ने सीमांचल की सीटों पर विपक्षी गठबंधन को नुकसान पहुंचाया था। ऐसे में ओवैसी अब बंगाल में फुरफुरा शरीफ के मौलाना के साथ गठबंधन कर ममता के लिए मुसीबत खड़ी करने की कोशिश कर रहे हैं, जिसके चलते राज्य में मुस्लिम वोट काफी हद तक बिखर सकता है जिसका सीधा फायदा बीजेपी को और नुकसान टीएमसी को हो सकता है। ऐसे में ममता अब ओवैसी को बंगाल में घुसने भी नहीं देना चाहती हैं।

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जनसत्ता की रिपोर्ट के मुताबिक 25 फरवरी को बंगाल के कोलकाता में ओवैसी को एक विशाल रैली करनी थी, लेकिन प्रशासन ने एआईएमआईएम को इसकी इजाज़त नहीं दी, जिसके बाद ओवैसी रैली के लिए बंगाल नहीं आ सके, क्योंकि उनका 25 फरवरी से चुनाव प्रचार करने का काम ममता के प्रशासन ने रोक दिया है। इस मुद्दे पर पार्टी के सचिव जमीर उल हसन ने कहा, हमने इजाज़त के लिए 10 दिन पहले आवेदन दिया था, मगर आज हमें पुलिस ने सूचित किया कि वे हमें रैली करने की इजाज़त नहीं देंगे। हम टीएमसी के ऐसे हथकंडों के आगे झुकेंगे नहीं। हम चर्चा करेंगे और कार्यक्रम की नई तारीख बताएंगे।

इस मुद्दे पर टीएमसी के नेता सौगत रॉय ने कहा है कि इस रैली को इजाज़त देने या न देने में टीएमसी की कोई भूमिका नहीं है। वहीं ओवैसी अब राज्य के ब्रिगेड मैदान में विशाल रैली की प्लानिंग कर रहे हैं। इस मुद्दे पर ओवैसी ममता की खूब आलोचना भी कर रहे हैं, जो कि सही भी है। किसी को भी चुनाव प्रचार से रोकना लोकतांत्रिक मूल्य की हत्या करने के समान ही है लेकिन ममता ऐसा क्यों कर रही हैं, इसके पीछे भी एक बड़ा कारण है।

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ममता जानती हैं कि उनका मुख्य कोर वोटर मुस्लिम ही है, और अगर वो भी उनके हाथ से छिटका तो जमानतें जब्त होने लगेंगी। ममता के लिए दिक्कत ये भी है कि वो बीजेपी के कारण अब हिंदुओं को भी लुभाने की कोशिश कर रही हैं जिसके चलते मुस्लिम भी उनसे काफी नाराज हैं। ऐसे में यदि ममता ओवैसी को ज्यादा मौक़े देंगी तो वो बंगाल के मुस्लिम मतदाताओं के सामने ममता के विकल्प के रूप उभरेंगे। यही कारण है कि ममता ओवैसी से डर रही हैं कि कहीं उनके आने से टीएमसी का कोर वोटर बिखर न जाए।

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