पिछले कुछ वर्षों में आपने ऐसी कई खबरें सुनी होंगी जहाँ लोगों ने अपनी जीवनभर की कमाई हाउसिंग सोसाइटी में लगा दी, इस उम्मीद में कि उन्हें अपना घर मिलेगा, लेकिन फंड की कमी या अन्य किसी कारण से प्रोजेक्ट आधे में ही बन्द हो जाते हैं। देश के प्रत्येक महानगर में आपको ऐसे प्रोजेक्ट देखने को मिलेंगे। ऐसे प्रोजेक्ट लाखों लोगों के सपनों का अंत करते हैं।
2019 में SWAMIH प्रोजेक्ट के तहत मोदी सरकार ऐसे रुके हुए प्रोजेक्ट को फंड करने की योजना लेकर आई थी, जिससे ऐसे लोगों को भी घर मिलना सुनिश्चित हो सके, जो अपने जीवनभर की कमाई को दांव पर लगाते हैं।
इस योजना के तहत, सरकार फंडिग को आगे बढ़ाने के लिए एक विशेष तंत्र special purpose vehicle का गठन किया था, जो अब तक ऐसे रुके हाउसिंग प्रोजेक्ट के लिए 3।5 बिलियन डॉलर की वित्तीय मदद दे चुकी है।
सरकार की ओर से प्रोजेक्ट मैनेजर नियुक्त SBICAP, Ventures Ltd। के मुख्य निवेश अधिकारी इरफान काजी ने बताया कि SWAMIH स्कीम सफलता के साथ आगे बढ़ रहा है, विशेष रूप से राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में, जहाँ फंड की कमी के कारण बन्द हुए कई प्रोजेक्ट हैं।
इस योजना में 14 investors बोर्ड में शामिल हैं, जिनमें भारत सरकार, SBI, LIC के अलावा कई पब्लिल और प्राइवेट प्लेयर्स भी हैं। काजी ने बताया “हमारे पास कुल 14 निवेशक हैं, भारत सरकार 50% फंड दे रही है, LIC और SBI की 10-10% हिस्सेदारी है और बाकी हिस्से में कई अन्य निजी और सरकारी कंपनियां हैं।”
पिछले दो वर्षों में इस योजना के तहत कई प्रोजेक्ट पूरे हुए हैं, और अगले वित्तीय वर्ष तक 16 योजनाओं के अंदर कुल 4000 से अधिक घर, लोगों को मिलेंगे।
स्वामी ‘SWAMIH’ योजना के तहत जो प्रोजेक्ट पूरे हुए हैं उनमें से कई तो कोरोना के दौरान पूरे हुए हैं। कोरोना के दौरान जिन लोगों की नौकरियां नहीं गई, विशेष रूप से IT सेक्टर के लोग, उनको लॉकडाउन का लाभ हुआ क्योंकि उनकी आय स्थिर रही और खर्च कम हो गए। अतः ऐसे परिवारों की बचत बढ़ी है जिससे अब यह उम्मीद की जा रही है कि घर की मांग तेजी से बढ़ सकती है।
सरकार द्वारा नियुक्त वेंचर ऐसे प्रोजेक्ट पर विशेष ध्यान दे रहे हैं जिनकी कीमत अधिक न हो। मध्यमवर्गीय परिवार की आर्थिक पहुंच में होने के कारण ऐसे घरों की मांग और अधिक रहेगी साथ ही इन्हें प्रधानमंत्री (शहरी) आवास योजना के तहत सब्सिडी भी मिल सकती है।
इसका अर्थ यह है कि मोदी सरकार ऐसे लोगों को जिनके पैसे बिल्डर के पास फंसे थे, उन्हें तो लाभ दे ही रही है, साथ ही नए खरीदारों को भी इसका लाभ देंगी। पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के दौरान नवी मुंबई, गुरुग्राम, नोएडा, ग्रेटर नोएडा आदि क्षेत्रों में नए घर खरीदने पर भारी टैक्स का सामना करना होता था।
टैक्स का भार खरीदार पर नहीं, बल्कि बिल्डर पर हुआ करता था। इस कारण कोई भी बड़ा प्रोजेक्ट शुरू करने में बिल्डर को भारी फंडिग की आवश्यकता होती थी। आकर्षक ऑफर के नाम पर बिल्डर खरीदारों से पैसे उठाते थे। भारी टैक्सेशन के कारण समय बीतने के साथ प्रोजेक्ट का दाम बढ़ता जाता था और बाद में आने वाले खरीदारों को अधिक धन देना होता था। ऐसे में जल्दी आओ, सस्ता पाओ की दौड़ में खरीदार बिना प्रोजेक्ट का मूल्यांकन किये, अपनी बचत का निवेश कर देता था। बाद में इनमें से कई प्रोजेक्ट फंड की कमी से बन्द हो जाते थे।
समय पर पूर्ण न होने वाले प्रोजेक्ट के कारण खरीदारों को तय समय पर उनके घर का मालिकाना हक नहीं मिलता था। नतीजतन खरीदार और बिल्डर के बीच कानूनी झगड़े, धरना प्रदर्शन आदि कई झंझट हुआ करते थे और सरकार भी ऐसे मामलों में नहीं पड़ती थी। लेकिन अब मोदी सरकार ने ऐसे प्रोजेक्ट को पूरा करने का जिम्मा अपने ऊपर लिया है, जिससे आम खरीदार को कानूनी दांवपेंच में न फंसना पड़े और उसे जल्द से जल्द उसके सपनों का घर मिल जाए।