मोदी- आबे की दोस्ती का परिणाम कहिये: जापान की Unicharm कंपनी चीन को छोड़ भारत में शिफ्ट होने को तैयार है

और शी जिनपिंग कैसा लग रहा है?

Unicharm

चीन से विदेशी कंपनियों का जाना कोरोना के बाद जो शुरू हुआ,वह सिलसिला अभी भी जारी है। जापान की पर्सनल केयर कंपनी Unicharm अब अपने मैन्युफैक्चरिंग यूनिट को चीन से हटाकर भारत और अफ्रीका शिफ्ट करने जा रही  है। यानी कहा जाए तो पीएम मोदी और जापान के पूर्व पीएम शिंजो आबे की दोस्ती का फल आज भी मिल रहा है तो यह गलत नहीं होगा।

दरअसल, रिपोर्ट के अनुसार जापानी पर्सनल केयर समूह Unicharm चीन से मैन्युफैक्चरिंग यूनिट को विकासशील देशों में स्थानांतरित करने की अपनी रणनीति पर ध्यान केंद्रित करेगी। जिसमें भारत और अफ्रीका का नाम सबसे उपर है, जहां घरेलू खपत में लगातार वृद्धि की उम्मीद है। चीन के अंदर Unicharm के लिए स्थानीय कंपनियों के साथ प्रतिस्पर्धा भयंकर होती जा रही है।

यह कंपनी इन क्षेत्रों में अपनी पैठ मजबूत करने के लिए इस साल भारत और अफ्रीका में बेबी डायपर की उत्पादन क्षमता को बढ़ाने के लिए 50 बिलियन येन लगभग (473 मिलियन डॉलर) का निवेश बजट में से खर्च करेगी।

Unicharm CEO Takahisa Takahara ने कहा कि “, हम कम से कम [एक] उभरते हुए देशों में बाजार हिस्सेदारी का एक-तिहाई हिस्सा जल्द से जल्द कब्जा करना चाहते हैं।”

Unicharm का मानना है कि जब per capita gross domestic product 3,000 डॉलर से ऊपर होगी तब डायपर की मांग बढ़ने लगेगी।यह कंपनी भारत, घाना और नाइजीरिया जैसे बाजारों में उत्पादन क्षमता बढ़ाने की योजना बना रही है।

भारत में, Unicharm की पहले से ही लगभग 40% की बाजार हिस्सेदारी है जैसे, कि प्रॉक्टर एंड गैंबल की है। कंपनी की स्थानीय उत्पादन क्षमता के विस्तार के साथ ऑनलाइन बिक्री बढ़ाने की योजना है।

बता दें कि कोरोना के बाद जापान ने अपने देश की कंपनियों को चीन से बाहर जाने पर इंसेंटिव देने का फैसला भी किया था, जिससे बड़ी मात्रा में जापानी कंपनियों ने अपने मैन्युफैक्चरिंग यूनिट को चीन से बाहर शिफ्ट किया था। पिछले वर्ष जुलाई महीने में जापान ने जापानी कंपनियों को चीन छोड़कर जापान या अन्य देशों में स्थापित होने के लिए 2.2 बिलियन डॉलर के economic package की घोषणा की थी। अब नए Stimulus Package के तहत भी जापानी सरकार अपनी उस योजना को जारी रखने का ऐलान कर चुकी है।

जापान ने अपने उस कदम से चीन को बड़ा नुकसान पहुंचाया था। अमेरिका-चीन के बीच जारी ट्रेड वॉर और भारत-चीन के बीच जारी विवाद के बाद से ही बड़ी संख्या में विदेशी कंपनियों ने चीन को छोड़कर अन्य जगहों पर स्थापित होने का फैसला लेना शुरू कर दिया था। हालांकि, जापानी सरकार के प्रस्ताव के बाद तो बड़ी संख्या में जापानी कंपनियों ने चीन को त्यागकर दक्षिण-पूर्व एशिया या जापान में ही स्थापित होने का निश्चय किया था।

ऐसे में जापान के पीएम सुगा ने अब स्पष्ट कर दिया है कि ना सिर्फ सुरक्षा नीति में बल्कि आर्थिक नीतियों के मामले में भी वे पूर्व प्रधानमंत्री शिंजों आबे के पद-चिह्नों पर ही चलेंगे। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत ने जापान के साथ अपने द्विपक्षीय संबंधों को केवल सामरिक हितों पर एकजुट नहीं किया है बल्कि, आपसी सहयोग और आर्थिक मोर्चे पर अपनी गति भी बढ़ाई है।

यह पूर्णतः प्रधानमंत्री मोदी और पूर्व जापानी प्रधानमंत्री शिंजो आबे के कुशल नेतृत्व का नतीजा है कि आज भी कंपनियां चीन को छोड़ भारत का रुख कर रही है । ग़ौरतलब है कि, यदि जापानी कंपनियां भारत में निवेश करती हैं तो भारत को पूँजी के साथ ही उच्च गुणवत्ता की तकनीक भी हासिल होगी। इसका लाभ मेक इन इंडिया तथा आत्मनिर्भर भारत जैसी महत्वाकांक्षी योजनाओं में भी मिलेगा।

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