“बस अब बहुत हुआ” कृषि कानून पर विपक्ष के सफेद झूठ अब संसद में धराशायी हो रहे हैं

कृषि कानून

जब से राकेश टिकैत और योगेंद्र यादव जैसे अराजकतावादियों के विदेशी सहयोगियों ने जाने अनजाने में भारत को बर्बाद करने के प्लान को जगजाहिर किया, किसान आंदोलन की पोल उसके बाद धीरे धीरे खुलती जा रही है। स्थिति तो यह हो गई कि काँग्रेस के सांसद खुलेआम कृषि कानून को लेकर सफेद झूठ बोलते हुए संसद में रंगे हाथ पकड़े गए, जिसके पीछे सत्ताधारी भाजपा ने जमकर काँग्रेस और उसके सांसद रवनीत बिट्टू की जमके खिंचाई की।

राष्ट्रपति के अभिभाषण के अवसर पर संसद की संयुक्त बैठक में हिस्सा ले रहे काँग्रेस के सांसद रवनीत सिंह बिट्टू ने एक बार फिर कृषि कानून को देश के लिए अभिशाप बताया। उनके अनुसार यह तीनों कानून APMC के मंडियों को खत्म कर देंगे और निजी मंडियों को बढ़ावा देंगे, जिससे किसानों को नुकसान और कॉर्पोरेट जगत को फायदा मिलेगा। अपने खोखले दलीलों को बढ़ावा देने के लिए रवनीत ने यह भी कहा कि ऐसा कृषि कानून के क्लॉज़ 3 और 5 में उल्लेखित है –

 

लेकिन इसपर वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर से रहा नहीं गया, और उन्होंने रवनीत सिंह बिट्टू से पूछा कि तीनों कृषि कानूनों में ये बात कहाँ लिखी है। बिट्टू इस बात पर  बगलें झाँकते नजर आए, और वह अपनी दलीलों को दोहराने का प्रयास करने लगे । लेकिन तीनों कानूनों में कहीं भी अपनी दलीलों को वह सिद्ध नहीं सिद्ध कार पाए, जिसके कारण उनकी पोल खुल गई। अब अनुराग ठाकुर ने आक्रामक रुख अपनाते हुए कहा, “यह लोग हमारे किसानों और देशवासियों को अपने खोखले दावों से भ्रमित कर रहे हैं”। उनका अनुमोदन करते हुए संसदीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने भी रवनीत बिट्टू के झूठे दावों का पुरजोर विरोध किया –

 

 

अब सच्चाई तो यह है कि रवनीत द्वारा बताए गए दोनों clause में कहीं भी APMC को बंद करने की बात नहीं की गई है। जहां Clause 3 में किसान द्वारा किसी भी माध्यम से अपनी खरीददारी और बिक्री को जारी रखने की स्वतंत्रता मिलेगी, तो वहीं Clause 5 में इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग अथवा ई कॉमर्स की बातें की गई हैं, जिसके अंतर्गत उक्त किसान के पास PAN कार्ड अथवा किसी भी किसान उत्पादक संगठन द्वारा मान्यता प्राप्त दस्तावेज़ उपलब्ध होने चाहिए, जिससे वह इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग की सुविधा का लाभ उठा सके”।

इन दोनों ही अधिनियमों में कहीं भी सरकारी APMC को हटाने का उल्लेख तक नहीं किया गया, जिससे स्पष्ट होता है कि केंद्र सरकार के विरुद्ध न केवल रवनीत बिट्टू जैसे सांसद झूठे दावे कर जनता को भड़का रहे हैं, बल्कि देशभर में किसान कानून के विरोध के नाम पर अराजकता को बढ़ावा देना चाहते है। लेकिन इस बार रवनीत बिट्टू की दाल नहीं गली और उसके झूठ उजागर होने पर उसे और काँग्रेस को एक बार फिर फजीहत झेलनी पड़ी।

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