पश्चिम बंगाल में आगामी विधानसभा चुनावों को देखते हुए सभी राजनीतिक दल अपने-अपने वोट बैंक को बांधकर रखने की कोशिश में हैं। बीजेपी जहां अपने हिन्दुत्व का एजेंडा चलाकर सत्ताधारी TMC और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की मुसीबतें बढ़ा रही है, तो दूसरी ओर ममता दीदी ने हिन्दुओं के छिटकने के कारण अपने मुस्लिम वोट बैंक को एकमुश्त साथ रखने प्लानिंग कर रखी है। लेफ्ट और कांग्रेस का कोई खास वोट बैंक बचा नहीं है। ऐसे में उम्मीद थी कि इस बार के विधानसभा चुनाव में सीधी जंग ममता की TMC और पीएम मोदी की बीजेपी के बीच ही होगी, लेकिन इस पूरे खेल में गेम चेंजर बनकर निकले हैं हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी और उनकी पार्टी AIMIM, जो यहां चुनाव लड़ने की पूरी तैयारी कर चुकी है।
ममता दीदी का कोर वोट बैंक मुस्लिम समुदाय का माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि ममता दीदी की राजनीति की धुरी ही मुस्लिम वोटर हैं। बंगाल के मुस्लिम वोट बैंक की बात करें तो ये करीब 31 फीसदी का है। मालदा मुर्शिदाबाद उत्तर 24 परगना से लेकर वीरभूम तक के इलाके में मुस्लिम समुदाय की भूमिका इतनी ज्यादा है कि ये सीधे-सीधे विधानसभा की कम-से-कम 90 सीटों पर चुनाव नतीजों को प्रभावित करते हैं और इन सभी को लेकर कहा जाता है कि ये ममता दीदी के कोर वोट बैंक हैं।
ममता दीदी के इस कोर वोट बैंक पर सीधी नजर असदुद्दीन ओवैसी की है। उन्होंने पहले ही ऐलान कर रखा था कि वो पश्चिम बंगाल के इन विधानसभा चुनावों में ताल ठोकेंगे। बिहार के विधानसभा चुनाव में सीमांचल की सीटों पर जिस तरह से ओवैसी ने 5 सीटें जीतीं थीं उससे ममता दीदी काफी डरी हुईं थीं। पहले लगा था कि ओवैसी केवल धमकी दे रहे हैं लेकिन अब उन्होंने बिहार के सीमांचल के जीतें 5 विधायकों को पश्चिम बंगाल के चुनाव के लिए ऑब्जर्वर के तौर पर नियुक्त किया है।
औवैसी द्वारा नियुक्त किए गए ये 5 ऑब्जर्वर बिहार से सटे पश्चिम बंगाल के इलाकों की मुस्लिम बहुल विधानसभा सीटों पर चुनाव की तैयारियों का जायजा लेंगे। साथ ही पश्चिम बंगाल की मुस्लिम बहुल सीटों का प्रभार भी इन्हीं 5 ऑब्जर्वर पर है। इन 5 विधायकों की बात करें तो ओवैसी ने अपनी पार्टी से प्रदेश अध्यक्ष और अमौर विधायक अख्तरुल इमान और पार्टी के युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष आदिल हसन को मुर्शिदाबाद, बीरभूम और नदिया का, जोकीहाट विधायक मोहम्मद शाहनवाज और कोचाधामन विधायक मोहम्मद इजहार अस्फी को ओवैसी ने उत्तर दिनाजपुर, दक्षिण दिनाजपुर, कूचबिहार, अलीपुरद्वार का, बायसी विधायक सैयद रुकनुद्दीन अहमद और बहादुरगंज विधायक अंजार नईमी को मालदा जिले के ऑब्जर्वर्स के तौर पर नियुक्त किया है।
इन सीटों पर मुस्लिम समुदाय की तादाद की बात करें तो मुर्शिदाबाद में 66.27% , बीरभूम में 37%, नदिया में 27%, उत्तर दिनाजपुर में 50%, दक्षिण दिनाजपुर में 25%, कूचबिहार में 25.54%, अलीपुरद्वार में 9%, और मालदा में करीब 51% मुस्लिम आबादी हैं। इन सभी सीटों को साधने में ओवैसी ने अपनी पूरी ताकत बिहार के अपने विधायकों के साथ झोंकने की तैयारी कर ली है जो कि उनके लक्ष्य को साफ दर्शाता है। ओवैसी की राजनीति मुस्लिम समाज के लोगों के बीच की है और वो बंगाल में भी अपनी पार्टी की इस पद्धति को बरकरार रखे हुए हैं।
पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव में… खासकर मुस्लिम बहुल सीटों पर ओवैसी की पार्टी के उम्मीदवारों का खड़ा होना ममता दीदी के कोर वोट बैंको तगड़ा झटका देने वाला है। इन इलाकों में यदि ओवैसी जीतेंगे तो भी ममता को नुकसान होगा और यदि वो केवल अपने उम्मीदवारों को खड़ा करेंगे तो वोट बंटने का फायदा बीजेपी के हिस्से में आएगा। ओवैसी ने पहले ही मुस्लिम समुदाय के मौलाना पीरजादा अब्बास सिद्दकी के साथ गठबंधन कर रखा है।
इसीलिए ये कहा जा रहा है कि पश्चिम बंगाल के इन विधानसभा चुनावों में असदुद्दीन ओवैसी ममता दीदी के लिए बीजेपी से ज्यादा बड़े विलेन साबित होने वाले हैं और उनका खास टारगेट ममता दीदी का कोर वोटर मुस्लिम समुदाय ही है और ये ओवैसी का मुख्य टारगेट है और वो बिहार के अपने विधायकों को ऑब्जर्वर के तौर पर नियुक्त करके ये बिहार से प्रवास करके बंगाल में बसे एक बड़े मुस्लिम समुदाय के वोट बैंको भी टारगेट कर रहे हैं जो कि विधानसभा चुनाव प्रभावित कर सकते हैं।