कोरोना काल के दौरान आए 2021-22 के इस वित्तीय बजट में ऐलान तो कई हुए हैं, लेकिन ऐसा नहीं है कि सरकार ने केवल तत्कालिक वित्तीय लाभ को ही ध्यान में रखा है। मोदी सरकार की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस बार देश के आने वाले दस सालों के लिए एक आर्थिर रोड मैप तैयार किया है, जिसमें एक बिंदु ऑटों सेक्टर और उससे जुड़ी अर्थव्यवस्था का भी है। इस संबंध में 20 साल पुराने निजी और 15 साल पुराने सार्वजनिक वाहनों को स्क्रैप करने की योजना बनाई गई है। इस फैसले को लेकर कहा जा रहा है कि इससे एक साथ अनेक सकारात्मक स्थितियां पैदा होंगी।
एक रिपोर्ट के मुताबिक आजादी से लेकर आजतक देश की सड़क पर करीब 253 मिलियन वाहन उतरें हैं। इनमें से एक बड़ी तादाद ऐसी भी है जो कि इन वाहनों का इस्तेमाल कर रही है, जिनकी स्थिति बदतर हो चुकी है। कुछ इसी तरह एक अन्य डेटा बताता है कि देश में साल 2025 तक करीब 2 करोड़ वाहन ऐसे होंगे जिनकी इस्तेमाल करने की उम्र 20 साल से भी ऊपर हो चुकी होगी। फिर भी भारत में इसको लेकर कोई नियम न होने के कारण इनको रोकने का कोई रास्ता नहीं था, लेकिन बजट में इस मुद्दे को वित्त मंत्री ने काफी गहनता से छुआ है।
वित्त मंत्री द्वारा पेश बजट मुताबिक अब देश में 20 साल पुराने निजी वाहनों और 15 साल पुराने सार्वजनिक वाहनों को स्क्रैप में डाल दिया जाएगा। वहीं इस मामले में देश के परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने साफ कहा है कि ये नियम 15 दिन के अंदर लागू कर दिया जाएगा। 20 साल के ऊपर के सभी वाहनों को फिटनेस टेस्ट पर जाना होगा और खटारा हो चुकीं गाड़ियां स्क्रैप में जाएगी, जो कि अपने साथ देश की कई सारी समस्याओं को भी स्क्रैप में ही ले जाएंगी और ये एक सकारात्मक कदम होगा।
इस मुद्दे पर मोदी सरकार के परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि इस नई नीति के तहत सड़कों से 51 लाख पुरानी गाड़ियां स्क्रैप में चली जाएगी। इसके जरिए रिसाइकिलिंग की प्रक्रिया में आसानी होगी और देश को पुराने खनिज पदार्थों की बड़ा अंबार हासिल होगा। लोग जानबूझकर अपनी खटारा गाड़ियों को सड़क पर दौड़ाते हैं। इसके चलते देश में बड़ी मात्रा में प्रदूषण होता है और पुरानी गाड़ियों में पेट्रोल डीजल की बर्बादी भी अधिक होती है। स्क्रैप को इस फैसले के बाद वे लोग मजबूर होंगे इन गाड़ियों को बदलने के लिए, जिससे पर्यावरण में बढ़ रहे प्रदूषण में कमी आएगी। इसी तरह पेट्रोल-डीजल की भी बचत होगी।
इसी तरह इन गाड़ियों के सड़कों से हटने से लोग नई गाड़ियां खरीदने पर विवश होंगे। इसके चलते देश की अर्थव्यवस्था में नई जान ऑटो सेक्टर के जरिए फूंकी जाएगी और मेन्युफैक्चरिंग सेक्टर में बढ़ोतरी से रोजगार के भी नए अवसर बनेंगे। वहीं जो लोग दोबारा वाहन खरीदने की स्थिति में नहीं होंगें। वो सार्वजनिक क्षेत्र के परिवहनों का प्रयोग करेंगे। इससे सड़क पर दौड़ती कारों का बेजा ट्राफिक कम होगा और इसके चलते होने वाले सड़क हादसों में भी कमी आएगी।
इन सार्थक लाभों को देखते हुए ये कहा जा रहा है कि केन्द्र की मोदी सरकार के वित्त मंत्री और परिवहन मंत्री द्वारा ऑटो सेक्टर को लेकर किया गया फैसला काफी सकारात्मक है। इस एक फैसले से भारत की कई बड़ी समस्याएं एक झटके में खत्म होती दिखेंगी।