कांग्रेस सरकारों के गिरने की सूची में नया नाम अब पुडुचेरी के जुड़ गया है, जहां आज विधानसभा में बहुमत परीक्षण के पहले ही सीएम नारायणसामी ने इस्तीफा दे दिया है। दिलचस्प बात ये है कि राहुल गांधी ने दो दिन पहले ही पांच साल में पहली बार पुडुचेरी का दौरा किया था। राहुल के दौरे के ठीक बाद दो अन्य विधायकों ने भी पार्टी के विधायक पद को टाटा कर दिया है जो दिखाता है कि यहां की राज्य ईकाई पूर्ण रूप से बर्बाद हो चुकी है, और इसके साथ ही कांग्रेस के राज्य सरकारों को बची-कुची सेना में एक सिपाही और कम हो गया है।
केन्द्रशासित प्रदेश पुडुचेरी में पहले ही मंत्री समेत 3 विधायक इस्तीफा दे चुके थे, जिसके बाद राज्य में सियासी सरगर्मियां तेज हो गई थीं। केन्द्र ने इस दौरान उपराज्यपाल किरण बेदी को वापस बुलाकर तेलंगाना की राज्यपाल तमिलसाई को पुडुचेरी का अतिरिक्त प्रभार दे दिया है, जिससे नारायणसामी की सरकार ये आरोप न लगा सके कि राज्यपाल की मिलीभगत से ही ये सब हो रहा है। तमिलसाई ने पद भार संभालते ही सीएम नारायण सामी को सदन में बहुमत साबित करने की बात कह दी थी, क्योंकि चार विधायक पिछले कुछ दिनों में पार्टी छोड़ चुके हैं। इन सभी परिस्थितियों के बीच कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने पुडुचेरी का दौरा भी किया था लेकिन उनका दौरा तो और अधिक खतरनाक साबित हो गया है।
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दरअसल, बहुमत साबित करने के लिए नारायणसामी के विधानसभा जाने से पहले ही सरकार के दो अन्य विधायकों ने विधानसभा अध्य़क्ष के घर जाकर अपना इस्तीफा दे दिया है। इस्तीफे के बाद कांग्रेस के विधायक लक्ष्मीनारायणन ने कहा कि नारायणसामी की सरकार बहुमत खो चुकी है। इसी तरह इस्तीफा देने वाले डीएमके विधायक वेंकटेशन के सुर भी कुछ ऐसे ही थे, हालांकि उन्होंने पार्टी छोड़ने के सवाल पर साफ कहा है कि वो डीएमके में ही रहेंगे, चाहे जो हो जाए।
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साफ है कि जब इन दो और विधायकों ने इस्तीफा दे दिया है तो नारायणसामी के पास बहुमत होना नामुमकिन हो गया था। इसीलिए उन्होंने अपने पद से पहले ही इस्तीफा दे दिया, जो कि ठीक भी है, लेकिन इन सभी परिस्थितियों के बीच सबसे बड़ा सवाल राहुल गांधी पर खड़ा होता है क्योंकि जब वो पुडुचेरी के दौरे पर गए थे, और उन्हें पता था कि राज्य में सरकार की स्थिति नाजुक है इसलिए पार्टी को एक जुट करने का प्रयास होने चाहिए थे लेकिन हुआ ठीक उल्टा ही।
राहुल पुडुचेरी के दौरे पर गए दो दिन भी नहीं हुए कि अल्पमत में चल रही उनकी ही पार्टी की सरकार के दो अन्य विधायकों ने इस्तीफा दे दिया साफ है कि राहुल की अपरिपक्वता इस तरह के डैमेज को कंट्रोल न कर सकी बल्कि उनकी छवि इतनी छवि इतनी ज्यादा बिगड़ गई कि वहां के नेता पहले से कहीं तीव्र गति से पार्टी को अलविदा कह रहे हैं।