केरल के वायनाड से कांग्रेस सांसद राहुल गांधी की राजनीतिक अपरिपक्वता उन्हें ही भारी पड़ रही है। वो एक तरफ़ जहां दोबारा राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने की तैयारी कर रहें हैं तो दूसरी ओर उनका इतिहास उनके वर्तमान के आड़े आ रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने चुटीले शब्दों में उन पर व्यंग के बाण चलाते ही रहे हैं। इन सारी परिस्थितियों से बचने के लिए संसद में राहुल ने पीएम के भाषण से पहले न बोलने की प्लानिंग की थी, लेकिन बीजेपी ने एडवांस प्लानिंग के जरिए राहुल के संबोधन के बाद उनके लिए मुसीबतों का नाम बन चुकीं अमेठी से सांसद स्मृति ईरानी को खड़ा कर दिया और एक बार फिर राहुल की तगड़ी फजीहत हो गई।
बजट सत्र में एक चलन सा बन गया है कि राहुल गांधी अपने बेबुनियाद तर्कों से मोदी सरकार की नीतियों की तीखी आलोचना करते हैं, और उसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने तर्कों से राहुल के प्रत्येक बयान की काट करते हैं। इसका नतीजा ये होता है कि राहुल देश के आम लोगों के बीच एक हास्य का विषय बनकर रह जाते हैं। इस परिस्थिति से बचने के लिए इस बार राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री के बोलने से पहले प्लानिंग के तहत अपने संबोधन से इन्कार कर दिया था, और फिर अगले ही दिन जब पीएम संबोधन दे चुके थे, तो अपने संबोधन की अर्जी दे दी।
राहुल ने सोचा था कि अब उनका मजाक कोई नहीं उड़ा पाएगा, क्योंकि प्रधानमंत्री तो सदन में हैं ही नहीं। राहुल ने अपने चित-परिचित अंदाज में बिना किसी तथ्य के मोदी सरकार पर हमले किए, चीन के साथ सीमा विवाद से लेकर किसानों के आंदोलन पर राहुल ने सरकार को खूब खरी-खोटी सुनाई, लेकिन राहुल के संबोधन में बजट का शून्य मात्र का जिक्र ही नहीं था, जिसके बाद बीजेपी की प्लानिंग सामने आई क्योंकि बीजेपी ने राहुल के लिए उनकी धुर-विरोधी स्मृति ईरानी को उनके सामने खड़ा कर दिया।
राहुल की राजनीतिक प्रतिष्ठा पर अमेठी लोकसभा सीट जीतकर धब्बा लगने वाली स्मृति जब भी संसद में बोलतीं हैं, तो सबसे ज्यादा असहज राहुल गांधी ही होते हैं। ऐसे में एक बार फिर राहुल को लेकर स्मृति ने तल्ख बातें कहीं। स्मृति ने राहुल पर सीधे आरोप लगाए कि जिस शख्स ने अमेठी के किसानों की जमीन चालाकी से हड़प कर उसे पार्टी ट्रस्ट में शामिल करवाया, वो यहां राजनीतिक मंशाओं के चलते किसानों के मुद्दों पर भ्रामक बयानबाजी कर रहा है। स्मृति ईरानी ने कहा कि राहुल को बजट के प्रावधानों पर चर्चा नहीं करनी है क्योंकि उससे उनकी राजनीति को फायदा नहीं होगा।
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किसानों के मुद्दों पर बेवजह बयानबाजी करने वाले राहुल गांधी को स्मृति ने उनकी गंदी और राजनीतिक महत्वाकांक्षा से जोड़ते हुए कहा कि संसद से पारित कानून के प्रति अपमानित भाषा का प्रयोग कर उन्होंने संसद की ही अवहेलना की है।
स्मृति के पहले वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने राहुल के कुतर्कों की खूब धज्जियां उड़ाईं थी, इसके चलते वो बीच में ही मैदान छोड़कर लोकसभा से भाग गए जो कि उनकी असहजता को भी दिखता है, लेकिन स्मृति के तीखे प्रहार राहुल को अनुराग ठाकुर से कहीं ज्यादा चुभे होंगे।
ये कुछ ऐसा ही है जैसे मानो राहुल गांधी गाय पर निबंध याद करके गए थे, और निबंध पिता पर आ गया लेकिन राहुल फिर भी गाय पर ही बोलते रहे, जिसके बाद उन्हें उम्मीद थी कि उनके झूठ का पर्दाफाश करने वाला कोई नहीं होगा, लेकिन स्मृति ईरानी राहुल के पाठ्यक्रम से बाहर का वो सवाल बनकर सामने आईं जिसकी काट राहुल तो क्या सोनिया या किसी कांग्रेस नेता के पास भी नहीं थी।