राकेश टिकैत की धमकी, दिल्ली में ’40 लाख ट्रेक्टर’ के जरिये इंडिया गेट को निशाना बनाएंगे

क्या ये लाल किले की घटना को दोहराने की योजना बना रहे!

राकेश टिकैत

PC: THE QUINT

लाल किले के उपद्रव ने कथित किसान आंदोलन की पोल खोलकर रख दी है। कृषि कानून के विरोध के नाम पर जिस तरह से कुछ सड़कछाप गुंडे राष्ट्रीय राजमार्गों पर हुड़दंग मचा रहे हैं, वो किसी से छुपा नहीं है। लेकिन इन सब में राकेश टिकैत दिन प्रतिदिन अपनी सीमाएँ लांघता जा रहा है। अब इस कथित किसान नेता ने धमकी दी है कि यदि कृषि कानून को वापिस नहीं लिया गया, तो वो 40 लाख ट्रैक्टरों के साथ संसद और इंडिया गेट की ओर कूच करेंगे।

भारतीय किसान यूनियन के इस प्रमुख प्रवक्ता ने राजस्थान के सीकर में किसान महापंचायत को संबोधित करते हुए कहा कि, “कृषि कानून का विरोध करने वाले किसानों को अब तैयार हो जाना चाहिए। यदि इस दुस्साहसी सरकार ने कृषि कानून नहीं हटवाये, तो हम संसद का घेराव करेंगे। इस बार 4 लाख के बजाए 40 लाख ट्रैक्टर होंगे”

लेकिन जनाब वहीं पर नहीं रुके। वो आगे कहते हैं, “संयुक्त मोर्चा संसद के घेराव की तारीख तय करेंगी। हम लोग इंडिया गेट के सामने बने पार्कों में हल चलाएंगे और वहाँ फसल उगाएंगे। 26 जनवरी को हमारे आंदोलन को बदनाम करने के लिए साजिश रची गई थी। अगर सरकार तीनों कानून को हटाकर MSP को लागू नहीं करती है, तो हम किसान बड़े कंपनियों के गोदाम भी ध्वस्त कर देंगे”।

सच कहें तो अब पानी सर से ऊपर जा रहा है। जिस आदमी को सलाखों के पीछे भारत में अराजकता फैलाने के लिए सड़ना चाहिए था, वह अभी भी खुलेआम घूम रहा है और केंद्र सरकार के साथ-साथ भारत की संप्रभुता को भी चुनौती दिए जा रहा है।

ये वही राकेश टिकैत है, जो अपनी सनक के लिए किसानों की फसल जलाने तक को तैयार है। हम मज़ाक नहीं कर रहे हैं, अपने आप को किसान नेता कहने वाला यह व्यक्ति कृषि कानून हटवाने के लिए किसानों की मेहनत तक बर्बाद करने को तैयार है। जनाब का कहना है,

केंद्र को किसी भी गलतफहमी में नहीं रहना चाहिए कि किसान फसल की कटाई के लिए वापस जाएंगे यदि वो मजबूर करेंगे तो हम अपनी फसलों को जला देंगे। उन्हें यह नहीं सोचना चाहिए कि विरोध महीने में खत्म हो जाएगा। हम फसल के साथसाथ विरोध करेंगे” 

इतना ही नहीं, ये व्यक्ति कहने को किसान नेता है, लेकिन इसके पास इतनी संपत्ति है जितनी इस देश के बड़े नेताओं के पास भी न हो। राकेश टिकैत एक तरफ दिल्ली, पश्चिमी उत्तर प्रदेश से लेकर हरियाणा तक में जाट अस्मिता का मुद्दा उठाकर किसान आंदोलन को मजबूत कर रहे हैं तो दूसरी तरह उनके अपने पेशे से बाहर होने के बावजूद उनकी संपत्ति में दिन-दूनी रात-चौगुनी तरक्की हो रही है। राकेश टिकैत की संपत्ति की बात करें तो देश के चार राज्यों में उनकी भारी भरकम संपत्ति है। टिकैत की महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और दिल्ली में 80 करोड़ की संपत्ति है जो कि मुजफ्फरनगर, ललितपुर, झांसी, लखीमपुर खीरी, बिजनौर, बदायूं, दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद, देहरादून, रुड़की, हरिद्वार और मुंबई में फैली हुई है

शायद इसीलिए केंद्र सरकार ने भी अपना रुख अधिक सख्त कर लिया है। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के अनुसार आंदोलन के बल पर सरकार को झुकाने की कोशिशें कामयाब नहीं होंगी। जब तक ‘किसान आंदोलन’ के नाम पर अराजकता कर रहे नेता अपनी हठधर्मिता नहीं बंद करेंगे, तब तक सरकार से वो बातचीत की कोई आशा न रखे

ऐसे में राकेश टिकैत की वर्तमान धमकी से स्पष्ट हो गया कि वे पूरी तरह से पागल हो चुके हैं और अपने विनाश की ओर खुद ही अपने कदम बढ़ रहे हैं। राकेश टिकैत के ऊपर इस समय एक ही कहावत चरितार्थ होती है, ‘जब नाश मनुज पर छाता है, विवेक पहले मर जाता है”।

 

 

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