रिंकू शर्मा को बचा नहीं सके और अब घरवालों को भी दी धमकी, केजरीवाल जी ये क्या हो रह हैं!

Hypocrisy की भी सीमा होती हैं!

जहां रिंकू शर्मा की जघन्य हत्या ने पूरे देश को झकझोर के रख दिया है, तो इस दर्दनाक त्रासदी में भी अरविन्द केजरीवाल ने सिद्ध कर दिया है कि कोई व्यक्ति सत्ता के लोभ में कितना निकृष्ट हो सकता है। अगर रिंकू शर्मा के परिवारजनों की माने तो अरविन्द केजरीवाल ने न सिर्फ रिंकू शर्मा के परिवारजनों से मिलने से मना कर दिया, बल्कि उन्हें जेल भेजने की धमकी भी दी।

रिंकू शर्मा के भाई ने बताया कि उनके परिवार के चार सदस्य दिल्ली के मुख्यमंत्री से मिलने गए। लेकिन केजरीवाल के प्रशासन ने उन्हें मिलने से ही मना कर दिया। यह भी कहा गया कि यदि वे वहाँ से नहीं हटे, तो उन्हे दिल्ली पुलिस को हिरासत में सौंप दिया जाएगा।

बता दें कि बुधवार रात को रिंकू शर्मा नामक युवक के घर पर एक हिंसक भीड़ ने चाकुओं और लाठियों के साथ धावा बोल दिया। रिंकू ने जब उस भीड़ को रोकने का प्रयास किया, तो वे उसे घसीटते हुए बाहर ले गए, जहां पहले उसे खूब मारा, उसके बाद उसके पीठ में एक खंजर बुरी तरह घोंप दिया गया, और रिंकू को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा ।

रिंकू के परिवार वालों का कहना है कि उसे इसलिए निशाना बनाया गया क्योंकि वह श्रीराम जन्मभूमि के पुनर्निर्माण के लिए चन्दा जुटा रहा था। इस विषय में दिल्ली पुलिस ने चार अभियुक्तों को हिरासत में लिया, जिसमें से एक अभियुक्त मोहम्मद ताजुद्दीन  दिल्ली पुलिस में होमगार्ड भी रह चुका है।

अब अगर रिंकू शर्मा के परिवारजनों के आरोप शत-प्रतिशत सत्य हैं, तो ये सिद्ध करता है कि अल्पसंख्यक तुष्टीकरण के लिए अरविन्द केजरीवाल किस हद तक जा सकता है। इसमें कोई दो राय नहीं है कि अरविन्द केजरीवाल अल्पसंख्यक तुष्टीकरण के लिए बेहद मुखर हैं, और इसे सिद्ध करने के लिए वे मोहम्मद अखलाक, तबरेज़ अंसारी जैसे लोगों के घर भी जा चुके हैं, और उनके परिवारों को वित्तीय सहायता भी दी है। लेकिन जब पीड़ित अल्पसंख्यक नहीं होता, तो सहायता तो दूर की बात, अरविन्द केजरीवाल और उसके विश्वासपात्र उन पीड़ितों की तरफ देखते भी नहीं।

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ऐसे में यदि ये घटना सत्य सिद्ध होती है तो इसका स्पष्ट अर्थ है कि अरविन्द केजरीवाल को सिर्फ अपनी जेब भरने और असामाजिक तत्वों की जी हुज़ूरी करने में ही रुचि है। शासन और कानून व्यवस्था को दुरुस्त रखने से दूर-दूर तक कोई नाता नहीं।

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