अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) का उप-वर्गीकरण, वो Idea जो बहुत पहले ही आ गया था!

आरक्षण में हुए ये बदलाव, सालों से जरूरी थे....

OBC

PC:DNA INDIA

भारत में आरक्षण का मुद्दा सबसे संवेदनशील मामलों में से एक है। आज देश के अंदर केंद्र सरकार की नौकरियों और शिक्षण संस्थाओं में OBC को 27 प्रतिशत आरक्षण प्राप्त है। पिछले कई वर्षों से यह सवाल उठ रहा था कि OBC के अन्दर आने वाली लगभग दो हजार से अधिक जातियों को समान रूप से आरक्षण का लाभ नहीं मिल पा रहा है। इसी का अध्ययन करने के लिए मोदी सरकार ने वर्ष 2017 में दिल्ली हाई कोर्ट की रिटायर्ड जस्टिस रोहिणी की अध्यक्षता में एक कमीशन बनायीं थी।

अब एक रिपोर्ट सामने आई है कि इस कमीशन ने अपना काम लगभग पूरा कर लिया है और OBC के अन्दर आने वाली जाति समूहों को 4 श्रेणी में करने का प्रस्ताव तैयार किया है। यह कमीशन इस फार्मूले को अपनाने के लिए राज्यों से विचार विमर्श शुरू करने जा रही है। 21 जनवरी को, केंद्र सरकार ने दिल्ली उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टिस जी रोहिणी की अध्यक्षता में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के उप-वर्गीकरण वाले आयोग का कार्यकाल बढ़ाया है। आयोग के पास अब अपनी रिपोर्ट देने के लिए 31 जुलाई तक का समय है।

इकोनॉमिक्स टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार जस्टिस रोहिणी आयोग ने अन्य पिछड़ी जातियों यानि ओबीसी के लिए 27% कोटा को सभी जातियों में समान रूप से लाभ पहुँचाने के लिए जाति समूहों को चार-श्रेणी में करने के फार्मूले पर राज्यों के साथ अगले महीने बातचीत शुरू करने जा रही है। रिपोर्ट के अनुसार 2 अक्टूबर, 2017 को गठित के आयोग ने सेंट्रल लिस्ट में शामिल कुल 2,633 OBC जातियों को एक-दो-तीन और चार उप-श्रेणियों में डालने का प्रस्ताव बनाया है। इसके तहत आयोग ने इन चारों नई श्रेणियों को 27 फीसदी आरक्षण में क्रमश: 2 प्रतिशत -6 प्रतिशत -9 प्रतिशत और 10 प्रतिशत आरक्षण देने का प्रस्ताव तैयार किया है।

OneIndia की रिपोर्ट के अनुसार अभी तक जो जानकारी उपलब्ध हुई है उसके मुताबिक पहली उप-श्रेणी में 1,674 जाति समूहों को रखा गया है। यह मुख्यतौर पर वो जातियां हैं, जिन तक अभी तक इस आरक्षण व्यवस्था का लाभ नहीं पहुंचा है। दूसरी उप-श्रेणी में 534 जाति समूहों को रखा गया है, जबकि तीसरी में 328 और चौथी में 97 जातियां शामिल हैं।

रिपोर्ट के अनुसार आयोग के पास OBC आरक्षण का जो आकलन उपलब्ध है, उससे पता चलता है कि पिछले पांच साल में सिर्फ 10 जाति समूहों को 27 फीसदी आरक्षण में से एक-चौथाई हिस्से का लाभ मिला है। इसी पैमाने पर दो-तिहाई फायदा सिर्फ 37 जाति समूहों को मिला है और तीन-चौथाई आरक्षण का लाभ महज 100 जाति समूहों ने ही उठाया है। यानी सेंट्रल लिस्ट की कुल 2,633 जातियों में से बाकी बची 2,486 जातियों को 27 फीसदी आरक्षण में से सिर्फ पांचवें हिस्सा मिला है। लेकिन, आयोग का आकलन ये है कि इनमें से भी 1,000 से ज्यादा जातियां ऐसी हैं, जिनका 27 फीसदी आरक्षण में कोई प्रतिनिधित्व ही नहीं है।

इंडियन एक्सप्रेस ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि ओबीसी कोटा के तहत दिए गए केंद्रीय उच्च शिक्षा संस्थानों को 1.3 लाख केंद्रीय नौकरियों और प्रवेशों के 2018 के डेटा विश्लेषण के अनुसार:

-इन नौकरियों और सीटों का 24.95% हिस्सा सिर्फ 10 ओबीसी जातियों में चला गया है।

-सभी नौकरियों और शैक्षिक सीटों के 97% ओबीसी के रूप में वर्गीकृत सभी उप-जातियों के सिर्फ 25% के पास गए हैं।

-983 ओबीसी जातियां यानि कुल ओबीसी जातियों के 37% को नौकरियों और शैक्षिक संस्थानों में शून्य प्रतिनिधित्व है।

-994 ओबीसी उप-जातियों की भर्ती और प्रवेश में कुल 2.68% का प्रतिनिधित्व है।

यानि देखा जाये तो OBC में स्पष्ट रूप से सुधार की आवश्यकता थी। कुछ ही जातियां इस कटेगरी का भरपूर लाभ उठा रही है जिनमे प्रमुख ‘यादव’ जाति ही सबसे ज्यादा शामिल है।OBC के मुद्दे को लेकर कुछ बड़े नेता जैसे मुलायम सिंह यादव और लालू प्रसाद यादव भी अपनी राजनीति चमकाने में सबसे आगे  रहते है, जिस कारण अन्य जातियों को कुछ मिल ही नहीं पाता है। लेकिन एक समस्या यह भी है कि सरकार के पास OBC के जातियों का डेटा सरकार के पास नहीं है। अगर सरकार आने वाले जनगणना में OBC की जातियों के आधार पर गणना शामिल करे तो इस 4 श्रेणी फोर्मुले को लागु करने में और आसानी होगी।

सिर्फ OBC ही नहीं बल्कि सुप्रीम कोर्ट ने तो SC और ST के उप श्रेणी में बाँटने के मामले को बड़ी बेंच के पास भेजकर पिछले वर्ष ही इस मामले पर वाद विवाद को शुरू कर दिया था। यानि अगर जरुरत पड़ी तो सरकार इनके लिए भी उप श्रेणी की व्यवस्था के लिए अध्ययन शुरू किया जा सकता है।अब रोहिणी कमीशन द्वारा OBC पर अध्ययन लगभग पूरा कर लिया गया है जिसकी कई वर्षों से आवश्यकता थी। आखिर ऐसे आरक्षण का क्या लाभ जिससे कुछ जातियां ही लाभान्वित हो तथा अन्य ऐसे ही अँधेरे में जीवन व्यतीत करे।

 

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