“CCP से पैसे लो और चीन को क्लीन चिट दो”,WHO की चीन-विरोधी “निष्पक्ष जांच” की असल कहानी

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WHO की ओर से हाल ही में चीनी वायरस की उत्पत्ति को लेकर विवादों के घेरे में रही वुहान की Wuhan Institute of Virology यानि WIV लैब  को क्लीन चिट दे दी गयी। पूरे मामले की जांच कर रही WHO टीम का नेतृत्व कर रहे Peter Ben Embarek ने एक बयान जारी कर कहा “इसकी संभावना बेहद कम ही हैं कि कोरोना वायरस असल में वुहान की इस लैब से फैला होगा।” साथ ही उन्होंने कहा कि चीन में इस वायरस की उत्पत्ति की जांच को बंद कर अब WHO को दक्षिण-पूर्व एशिया पर ध्यान केन्द्रित करना होगा। WHO के इस ऐलान के बाद दोबारा उस थियोरी को बल मिला है कि कोरोना वायरस असल में जानवरों से इन्सानों में फैला होगा, जिसके बाद इसने महामारी का रूप लिया। हालांकि, अभी Peter Ben Embarek को लेकर कुछ ऐसे खुलासे हुए हैं, जो इस पूरी जांच की “निष्पक्षता” और “विश्वसनीयता” पर गंभीर सवाल खड़ा करता है।

दरअसल, Peter Ben Embarek पर पूर्व में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी से पैसा लेने और विवादों के घेरे में रही WIV लैब के साथ करीब 20 वर्षों तक काम करने के आरोप लगे हैं। आरोपों के मुताबिक Peter Ben Embarek अमेरिका में शोध संस्थान EcoHealth Alliance के अध्यक्ष हैं, जो पूर्व में कई प्रोजेक्ट्स पर WIV लैब के साथ मिलकर काम कर चुकी है। इसके साथ ही WIV लैब में चमगादड़ों पर की जा रही एक रिसर्च पर खुद Peter Ben Embarek  3.7 मिलियन डॉलर के एक प्रोजेक्ट का नेतृत्व कर चुके हैं। इस सब के बावजूद अप्रैल 2020 में Peter ने Washington Post को दिये एक इंटरव्यू में दावा किया था कि कैसे इस वुहान लैब की जांच को लेकर कहीं भी उनके हितों का टकराव नहीं होता है। हालांकि, इन नए खुलासों के बाद वे शायद ही ऐसा कहने के हकदार हों।

Peter इससे पहले बीजिंग में स्थित World Conference on Science Literacy में शिरकत कर उसकी प्रशंसा कर चुके हैं, जिसकी फंडिंग चीनी सरकार से ही आती है। वे चीनी मीडिया CGTN द्वारा प्रायोजित कई TV शो का भी हिस्सा रह चुके हैं। ऐसे में उनके ट्रैक रिकॉर्ड को देखकर कहा जा सकता है कि चीन में वुहान लैब की जांच करने गई WHO की टीम का नेतृत्व कर रहे Peter के चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के साथ करीबी संबंध हैं और चीन और वुहान लैब की छवि को धूमिल होने से बचाने में उनके अपने हित छुपे हैं।

बता दें कि अमेरिका पहले ही WHO की इस जांच पर सवाल खड़े कर चुका है और पूर्व में अमेरिकी खूफ़िया एजेंसियां भी इस ओर इशारा कर चुकी हैं कि कोरोना की उत्पत्ति WIV लैब से हो सकती है। हालांकि, इसपर भी Peter अपना अलग ही चीन-समर्थक एजेंडा चलाने का काम कर चुके हैं। उन्होंने अपने एक बयान में कहा था कि दुनिया को अमेरिकी खूफिया इनपुट्स पर विश्वास नहीं करना चाहिए क्योंकि यह अमेरिकी राजनीति से प्रभावित हो सकता है।

CCP के साथ उनके पुराने सम्बन्धों को देखते हुए यह स्पष्ट हो चुका है कि Peter इस दुनिया में ऐसे आखिरी व्यक्ति होंगे जो वुहान लैब की जांच करने के योग्य होंगे। फिर भी WHO की ओर से ऐसे व्यक्ति को इस जांच की ज़िम्मेदारी सौंपी गयी, जो दर्शाता है कि चीन ने WHO पर अपने प्रभाव का किस हद तक इस्तेमाल किया है। WHO ने ही शुरू में यह दावा किया था कि कोरोना वायरस के इन्सानों से इन्सानों में फैलने के कोई लक्षण नहीं दिखाई दिये हैं, लेकिन बाद में वही कोरोना वायरस दुनिया में सबसे बड़ी महामारी बनकर फैल गया! अब WHO की सहायता से आखिरकार चीन ने अपने आप को कोरोना की उत्पत्ति के आरोपों से मुक्त करने की कोशिश की है, लेकिन दुनिया को डबल्यूएचओ और चीन के झांसे में आने से बचना होगा।

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