बीजेपी के फायरब्रांड नेता और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की छवि का असर केवल यूपी ही नहीं बल्कि देशभर की राजनीति पर पड़ता है। बीजेपी भी इसे भुनाने में कोई कसर नहीं छोड़ती है। इसका हालिया उदाहरण केरल में देखने को मिला , जहां योगी के एक दौरे के बाद लेफ्ट शासित पिनाराई विजयन की कुर्सी डोल गई है। इसका नतीजा ये है कि केरल के सीएम अब हिंदुओं के तुष्टीकरण की नीति पर काम करते हुए सबरीमाला मंदिर से जुड़े सभी केस वापस ले रहे हैं और विधानसभा चुनावों से ठीक पहले हिंदुओं को अपने पक्ष में लाने की नीति पर चल रहे हैं।
सभी को पता है कि सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया था, जिस पर सहमति जाहिर करते हुए केरल सरकार उस निर्णय को भगवान अयप्पा के भक्तों पर थोप रही थी। इसके बाद हुए विरोध प्रदर्शनों में हिंसा तक देखने को मिली। इन परिस्थितियों को देखते हुए केरल की लेफ्ट सरकार ने क्रूरता के साथ करीब 50 हजार लोगों के खिलाफ केस दर्ज कर लिया था, लेकिन अब इस मामले में केरल सरकार बिल्कुल पलट गई है।
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दरअसल, केरल की पिनाराई विजयन सरकार ने अब अपने ही फ़ैसले को पलटने की तैयारी कर ली है। लेफ्ट शासित विजयन कैबिनेट ने फ़ैसला किया है कि सबरीमाला मंदिर के मुद्दे पर आए कोर्ट के फैसले के बाद जिन लोगों के खिलाफ हिंसा के आरोपों में केस दर्ज किए गए थे, वो सारे केस अब वापस ले लिए जाएंगे। केवल इतना ही नहीं केरल सरकार ने ये भी कहा है कि सीएए कानून के विरोध में भी जितने लोगों पर हिंसा करने के केस दर्ज हुए थे, वो भी वापस होंगे। दिलचस्प बात ये है कि केरल सरकार सबरीमाला मंदिर से जुड़े केसों के मुद्दों पर ज्यादा ध्यान केंद्रित करने की कोशिश कर रही है, पर ऐसा क्यों ?
केरल सरकार ने सबरीमाला से जुड़े दर्ज मामलों को वापस ले लिया है। उस समय सबरीमाला पर फैसले के बाद विरोध में उतरे 50,000 से अधिक लोगों पर मामला दर्ज किया गया था।
ये एक चुनावी स्टंट है, ये काम केरल सरकार ने हिन्दुओं को लुभाने के लिए किया है!#Kerala #Sabarimala #KeralaElection2021— Mahima Pandey (@Mahimapandey90) February 24, 2021
लेफ्ट खेमा जब हिंदुओं के हितों के बारे में सोचने लगे तो आश्चर्य होना स्वाभाविक है, लेकिन खास बात ये है कि इस पूरे मुद्दे पर लेफ्ट केवल और केवल राजनीति ही कर रहा है, और इस पूरे खेल की वजह हैं, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का केरल दौरा। हाल ही में योगी केरल के दौरे पर थे और सभी को पता है कि उनकी छवि बहुसंख्यकों के बीच कितनी ज्यादा सकारात्मक है। यही कारण है कि बीजेपी उन्हें देश के अन्य राज्यों के चुनाव प्रचार में स्टार प्रचारक की पदवी देती है।
केरल दौरे में योगी आदित्यनाथ ने लेफ्ट सरकार को खूब खरी-खोटी सुनाई थी। सबरीमाला केस में हिंदुओं के साथ हुए अत्याचार से लेकर, राज्य में PFI के इस्लामिक कट्टरपंथियों को बढ़ावा देने तक पर गोरक्षपीठ के महंत योगी ने विजयन सरकार पर मुस्लिम तुष्टीकरण के आरोप लगाए थे। योगी के दौरे और उनकी लोकप्रियता का असर स्पष्ट तौर पर दिखने लगा, और उसके बाद ही बीजेपी में यूडीएफ और लेफ्ट की कई कमेटियां शामिल हुई हैं, जो योगी के लाव-लश्कर से उत्साहित हो चुके हैं।
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योगी एक ऐसे नेता हैं जिन्हें बीजेपी अपना तुरुप का इक्का मानती है। तेलंगाना से लेकर हैदराबाद, महाराष्ट्र, राजस्थान, मध्य प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल सभी राज्यों के चुनाव में योगी बहुसंख्यक वोटरों को आकर्षित करने में कामयाब रहे हैं। उनकी संबोधन शैली और वाकपटुता का लोहा देश में प्रत्येक व्यक्ति मानता है, और इसीलिए उनके केरल जाने से केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन का डरना तो बनता ही है।
यही कारण है कि विधानसभा चुनाव से ठीक पहले और योगी आदित्यनाथ के दौरे के बाद बहुसंख्यक समाज की एकजुटता को देख लेफ्ट सरकार के कान खड़े हो गए हैं। इसीलिए अब राज्य सरकार केरल में सबरीमाला मंदिर मुद्दे पर 50 हजार हिंदुओं पर दर्ज हुए केसों को वापस लेने का फैसला कर चुकी है। ऐसे में ये समझना होगा कि ये फैसला विजयन की कोई सहजता नहीं, बल्कि योगी आदित्यनाथ का डर है, और ये डर अच्छा है।