चीन जैसे-जैसे दुनिया में अपना प्रभाव बढ़ा रहा है, उसके बाद वह दुनिया में तेजी से जिहादी संगठनों का एक नया निशाना बनता जा रहा है। चीन ने अपनी विदेश नीति और घरेलू नीतियों के कारण पिछले कुछ सालों में तेजी से इस्लामिक दुनिया पर अपने प्रभुत्व को बढ़ाया है। दक्षिण एशियाई देशों से लेकर मध्य एशियाई और अफ़्रीकी देशों तक में चीन ने BRI और व्यापारिक रिश्तों के आधार पर अपना वर्चस्व जमाया है। चीन इन इस्लामिक देशों में राजनीतिक, आर्थिक, सैन्य और यहाँ तक कि सांस्कृतिक प्रभाव भी बढ़ाता जा रहा है, जिसके कारण इस्लामिक जिहादी संगठनों की चिंताएं बढ़ने लगी हैं।
यही कारण है कि अब इस्लामिक स्टेट, अल-क़ायदा, तुर्किस्तान इस्लामिक पार्टी, तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान जैसे जिहादी संगठनों ने चीन को अपना “दुश्मन” घोषित कर दिया है। स्पष्ट है कि आने वाले सालों में इस्लामिक कट्टरपंथ चीन के लिए सबसे बड़ा दुश्मन बनकर उभर सकता है, जो कि चीन के लिए अमेरिका, भारत और जापान जैसे विरोधी देशों से भी ज़्यादा बड़ी चुनौती पेश कर सकता है।
ऐतिहासिक तौर पर चीन ने हमेशा बाहरी मामलों में दख्ल देने से परहेज़ ही किया है। हालांकि, चूंकि चीन धीरे-धीरे एक वैश्विक सुपरपावर बनता जा रहा है, उसके कारण विदेशों में अब उसका प्रभाव अप्रत्याशित तौर पर बढ़ चुका है। यह प्रभाव इतना ज़्यादा है कि शिंजियांग में ऊईगर मुस्लिमों पर बेतहाशा अत्याचार के बावजूद इस्लामिक दुनिया की ओर से चीन के खिलाफ़ एक शब्द सुनने को नहीं मिलता है। यहाँ तक कि अफगानिस्तान में तो चीन ने तालिबान के साथ आधिकारिक स्तर पर वार्ता तक की है। हालांकि, इसका अर्थ यह नहीं है कि चीन के इन कारनामों की वजह से इस्लामिक विश्व के कट्टरपंथियों का ध्यान इस ओर आकर्षित नहीं हुआ है।
पाकिस्तान में समय-समय पर चीनी प्रोजेक्ट्स बलोच और सिंधी उग्रवादियों के निशाने पर आते रहते हैं। इसके साथ ही ये संगठन चीनी नागरिकों को भी निशाना बनाते हैं। अफगानिस्तान में भी चीनी नागरिकों पर हमला होने की घटनाएँ सामने आती रहती हैं। इसी प्रकार वर्ष 2015 में Bangkok के Erawan Shrine में एक आतंकवादी हमले में 20 लोग मारे गए थे, जो सिर्फ और सिर्फ चीनी पर्यटकों को निशाने पर लेकर किया गया था। ऐसा इसलिए क्योंकि उसी वर्ष थाई सरकार ने करीब 100 ऊईगर मुस्लिमों को चीन में deport किया था।
इतना ही नहीं, वर्ष 2016 में किर्गिस्तान के बिश्केक में चीनी दूतावास को एक फिदायीन हमले के शिकार बनाया गया था। इससे पहले चीनी दूतावासों पर सीरिया और सोमालिया में भी हमला हो चुका है। Indonesia जैसे देशों में भी चीनी नागरिकों और चीनी मूल के लोगों के खिलाफ़ गुस्सा देखने को मिल चुका है। कोरोना के समय Indonesia में चीन-विरोधी सोशल मीडिया पोस्ट्स में इजाफा देखने को मिला था और सुरक्षा एजेंसियों ने एक चेतावनी जारी करते हुए कहा था कि भविष्य में चीनी लोगों पर देश में हमले भी हो सकते हैं। देश में अगस्त 2020 में एक उग्रवादी संगठन Jemaah Islamiah से जुड़े कुछ सदस्यों को इसलिए गिरफ़्तार भी किया गया था क्योंकि वे चीनी दुकानदारों पर हमला करने की योजना बना रहे थे।
पाकिस्तान में चीनी BRI प्रोजेक्ट्स किस प्रकार उग्रवादियों के निशाने पर आते रहते हैं, उस पर TFI पहले ही विस्तृत कवरेज कर चुका है। पाकिस्तान में चीनी प्रोजेक्ट्स पर हमले के कारण खुद चीनी सरकार पाकिस्तान सरकार से अपनी नाराजगी ज़ाहिर कर चुकी है। पिछले वर्ष ही पाकिस्तान में बलोच और सिंधी अलगाववादी समूहों ने घोषणा की थी कि वे पाकिस्तान में बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव परियोजनाओं और चीनी हितों पर हमला करने के उद्देश्य से गठबंधन कर रहे हैं जिससे चीन की सुरक्षा लागत में वृद्धि हो। पिछले वर्ष जुलाई में यह घोषणा की गयी थी।
पाकिस्तान और तुर्की जैसे देशों में तो उइगर मुस्लिमों पर अत्याचार के खिलाफ़ अब कट्टरपंथी एक्टिव हो गए हैं। उइगर मुसलमानों के उत्पीड़न को लेकर पाकिस्तान में चीन के खिलाफ जनता का गुस्सा धीरे धीरे ज़ोर पकड़ने लगा है। पिछले वर्ष जनवरी में चीनी कंपनियों ने पाकिस्तान में अपने कर्मचारियों पर नमाज़ पढ़ने पढ़ने पर रोक लगा दी थी, जिसके बाद पाकिस्तान के कई मौलवियों और मुफ्तियों ने चीन के खिलाफ़ अपनी आवाज़ उठाई थी। इसके साथ ही पिछले वर्ष तुर्की में विपक्षी दलों के नेताओं ने राजधानी अंकारा में बैठे नेताओं पर कोरोना वायरस की वैक्सीन के बदले में उइगरों को चोरी-छिपे चीन को बेचने का आरोप लगाया था।
स्पष्ट है कि अब जब वैश्विक इस्लामिक संगठनों ने चीन को अपने नए दुश्मन के तौर पर घोषित कर दिया है तो इसके बाद चीन के लिए इस्लामिक देशों में मुश्किलें बढ़ सकती हैं। चीन पहले ही भारत, अमेरिका और जापान जैसे देशों के साथ भू-राजनीतिक तनाव में उलझा हुआ है। हालांकि, अब जिस प्रकार इस्लामिक जिहादी संगठनों ने चीन के खिलाफ़ जंग छेड़ने का ऐलान किया है, उससे बीजिंग में तनाव बढ़ना ज़ाहिर है।