“मियां मुस्लिम” पहले तुष्टिकरण के लिए ही इस्तेमाल होता था, क्या हिमंता ने अब एक नया ट्रेंड शुरू किया है?

PC: Wikipedia

असम की राजनीति के लिए बीजेपी के लिए तुरुप का इक्का बनकर उभरे कैबिनेट मंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने ऐसे फैसले किए हैं, जिन्होंने बीजेपी के हिंदुत्व वाले मुद्दे को राज्य की राजनीति में मजबूत किया है। यही वजह की हिमंता हमेशा ही विपक्ष के निशाने पर रहे हैं। हाल में  हिमंता ने बयान दिया है कि बीजेपी को मियां मुस्लिम वोट नहीं करते हैं जो कि आज की राजनीति की कटु सच्चाई भी है। आज तक मुस्लिमों के लिए जब भी कोई बयान आया तो वो बस तुष्टीकरण की नीति का ही हिस्सा था लेकिन हिमंता ने ‘मियां मुस्लिम’ शब्द के प्रयोग से ऐसा लग रहा है कि उन्होंने देश की राजनीति में एक नए चलन की शुरुआत कर दी है।

आज तक हमने जब भी मुस्लिमों को लेकर बयानबाजी सुनी है तो वो तुष्टीकरण की ही रही है। पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह ने लाल किले के प्राचीर से कहा था कि देश के संसाधनों पर पहला हक मुस्लिमों का है। ओवैसी से लेकर सपा-बसपा सभी मुस्लिमों के वोट के लिए हमेशा ही तुष्टीकरण की नीति पर काम करते रहे हैं। हालांकि, उनके शासन काल में मुस्लिमों की स्थिति कभी सुधरी ही नहीं। बीजेपी ने सत्ता संभालने के बाद जमीनी स्तर पर जितने भी काम किए, वो देश के प्रत्येक नागरिक के लिए सकारात्मरक थे।

बीजेपी के कई नेता दबे मुंह पहले कहते थे कि मुस्लिम समाज हमें वोट नहीं देता है लेकिन बीजेपी नेता और असम के कैबिनेट मंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने अपने एक हालिया बयान में कहा, “मिया मुस्लिम हमारे लिए (बीजेपी) वोट नहीं करते हैं। मैं यह बात अनुभव के आधार पर कह रहा हूं उन्होंने पंचायत और लोकसभा चुनाव में हमें वोट नहीं दिया। बीजेपी को उन सीटों पर वोट नहीं मिलेंगे जो इनके हाथों में हैं, जबकि दूसरी सीटें हमारी हैं। उन्होंने मुस्लिम इलाकों  में उम्मीदवारों को लेकर कहा, हालांकि, हम इन सीटों पर भी अपने उम्मीदवार खड़े करेंगे ताकि जो लोग खुद को मिया मुस्लिम से नहीं जोड़ते उन्हें कमल या हाथी (असमगण परिषद का चुनाव चिह्न) का विकल्प मिल सके।

कार्यकर्ताओं को लेकर हिमंता बिस्वा सरमा ने सहानुभूति जताई और मुस्लिम समाज की कुरीतियों को मानने वाले कट्टर मुस्लिमों के लिए ‘मियां मुस्लिम’ जैसे शब्द का प्रयोग कर कहा, जब तक तलाक, बाल विवाह, बहुविवाह जैसी चीजें मिया मुस्लिम की जिंदगी का हिस्सा है, हम उनसे वोट नहीं मांगेंगे। हालांकि, हमारे कुछ पार्टी वर्कर्स उनके बीच से हैं। ऐसे पार्टी कार्यकर्ताओं का मनोबल ना गिरे इसके लिए हम मिया मुस्लिम बहुल इलाकों में भी उम्मीदवार खड़े करेंगे।

साफ है कि हिमंता अपने बयान में कट्टर मुस्लिमों के प्रति आक्रमक हैं जो कि बीजेपी से नफरत करते हैं, भले ही बीजेपी मुस्लिम समाज के भले के लिए सकारात्मक कदम उठाए। इसको लेकर बीजेपी पहले काफी सॉफ्ट रवैया रखती थी लेकिन अब हिमंता बिस्वा सरमा ने ‘मिया मुस्लिमों’ का जिक्र करके साफ कर दिया है बीजेपी काम तो सबके लिए करेगी, लेकिन वोटों के लिए मुस्लिमों के तुष्टीकरण की नीति पर नहीं चलेगी।

इसीलिए कहा जा रहा है कि विपक्षी आलोचनाओं के बावजूद अगर हिमंता बिस्वा सरमा के  बयान को तटस्थता के रूप में देखें तो ये मियां मुस्लिम वाली बात आने वाले समय में एक नया चलन बनने वाली हैं, जिसके पीछे मुख्य भूमिका हिमंता बिस्वा सरमा की होगी।

 

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