वामपंथी इकोसिस्टम का जलवा देखिए – ग्रेटा, रिहाना और मिया खलीफा से अराजकतावादियों के समर्थन में ट्वीट कराया

किसान

किसी सज्जन पुरुष ने कहा था, ‘अगर आप सतर्क नहीं रहे, तो यह मीडिया शोषित वर्ग को शोषक और शोषण करने वालों को शोषित के तौर पर दिखाएगी’। इसका सबसे प्रत्यक्ष उदाहरण तो अराजकतावादियों द्वारा ‘किसान आंदोलन’ को दिये जा रहे समर्थन में स्पष्ट दिखाई दे रहा है। यही वामपंथी इकोसिस्टम की पहचान है – वह किसी आरोपी या दोषी व्यक्ति को दुनिया के सबसे निर्दोष व्यक्ति के रूप में दिखाएंगे भी और उसके लिए समर्थन भी जुटाएंगे, जैसे उन्होंने ग्रेटा थनबर्ग, रिहाना और मियां खलीफा जैसे लोगों से जुटाया।

हाल ही में किसान आंदोलन की बढ़ती हुई अराजकता को देखते हुए हरियाणा सरकार ने कई जगह इंटरनेट को निलंबित करने का निर्णय किया। इसपर वामपंथियों ने स्वभावानुसार हो हल्ला मचाया, और यह बात जल्द ही दुनिया भर में प्रचारित होने लगी। अमेरिका का एनडीटीवी माने जाने वाले सीएनएन ने तो आग में घी डालते हुए अपने आर्टिकल का शीर्षक लिखा, “किसान आंदोलन के मद्देनजर भारत ने नई दिल्ली के आसपास काटा इंटरनेट”।

फिर क्या था, कई वामपंथी हस्तियों का हृदय पसीजने लगा। अमेरिका की चर्चित सिंगर रिहाना ने तुरंत ट्वीट किया, “आपको नहीं लगता हमें इसके विरुद्ध कुछ करना चाहिए? #FarmersProtest”.

लेकिन ये तो बस शुरुआत थी। इसके बाद तो एक-एक करके कई वामपंथी हस्तियां इन अराजकतावादियों के समर्थन में ट्वीट करने लगे। पोर्न स्टार मियां खलीफा ने पहले पूछा, क्या ये [इंटरनेट निलंबित करना] गलत नहीं है? इसके बाद इन अराजकतावादियों के पैसा खाने के आरोपों पर ट्वीट किया, “यह पैसे देकर आए हैं? कास्टिंग डायरेक्टर बहुत अच्छा है, उम्मीद करती हूँ कि ये अवार्ड्स में न पीछे छोड़ दिए जाएँ। मैं किसानों के साथ हूँ”

अब ऐसे में ग्रेटा थनबर्ग कैसे पीछे रहती? उसने भी एक ट्वीट में इन अराजकतावादियों को महिमामंडित करते हुए लिखा, “मैं इन किसानों के साथ हूँ, और आप?”  

इसमें कोई दो राय नहीं है कि ये सभी ट्वीट्स जानबूझकर भारत को बदनाम करने के उद्देश्य से किये गए हैं। लेकिन केंद्र सरकार भी इस विषय पर मौन नहीं है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने एक अहम ट्वीट में बताया, “काफी गहन चर्चा के बाद देश की संसद ने किसानों के अधिकारों को बल देते हुए कृषि कानून में संशोधन किये।

कुछ किसानों को इससे आपत्ति है, जिसके लिए सरकार उनसे कई बार बातचीत कर रही है। लेकिन ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि कुछ लोग विरोध के नाम पर देशद्रोही कृत्यों को बढ़ावा दे रहे हैं। ऐसे विषयों पर कमेन्ट करने से पहले आवश्यक है कि सभी तथ्यों को समझा जाए, और फिर सोच समझ के बात हो। सोशल मीडिया hashtags और कमेंट्स की लालसा में sensationalism को बढ़ावा देना न तो सही है और ही जिम्मेदारी का परिचय देता है”।

लेकिन यह कोई नई बात नहीं है, बल्कि यह बहुत पुराना ट्रेंड रहा है। पिछले वर्ष भी जब CAA के विरुद्ध विरोध प्रदर्शन अपने चरम पे थे, तो कुछ हॉलीवुड हस्ती ऐसे भी थे, जो बिना सोचे समझे नरेंद्र मोदी की हिटलर तक से तुलना कर रहे थे। इनमें सबसे अग्रणी रहे ‘2012’ फ़ेम अभिनेता जॉन कुसैक, जिन्होंने कुछ ही हफ्तों पहले दुआ की कि नरेंद्र मोदी को भी ट्रम्प की तरह सत्ता से हाथ धोना पड़े –

ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि वामपंथी विचारधारा चाहे जैसी भी हो, लेकिन उनका इकोसिस्टम उतना भी कमजोर नहीं है। ये लोग अपनी बात मनवाने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं, जो वर्तमान में अंतर्राष्ट्रीय सेलेब्रिटीज़ के भावुक और अज्ञानता से परिपूर्ण ट्वीट्स देखते हुए स्पष्ट सिद्ध होता है।

 

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