ब्रिटेन ने चीनी जासूसों और प्रोपेगेंडा फ़ैलाने वाले CGTN को, ‘लोहे के चने चबवा दिए’

3 चीनी जासूसों को वापस भेजा और CGTN पर भी की कार्रवाई

CGTN

ब्रिटेन ने पहले चीन की सरकारी मीडिया संस्थान पर कार्रवाई की और अब खबर आई है कि उसने तीन चीनी नागरिकों को जासूसी के आरोप में बाहर निकाल दिया है। तीनों जासूस चीनी सरकारी मीडिया CGTN के लिए पत्रकार बनकर काम कर रहे थे जबकि वास्तव में यह तीनों चीनी सुरक्षा एजेंसियों के लिए काम करते थे।

पहले ब्रिटिश सरकार ने CGTN का लाइसेंस रद्द कर दिया। सरकार ने जांच में पाया कि मीडिया संस्थान के एडिटोरियल पर लाइसेंस धारकों का नियंत्रण नहीं है। दूसरे शब्दों में कहें तो जिन लोगों को ब्रिटेन में CGTN के संचालन का लाइसेंस मिला है, उनका नियंत्रण इसपर नहीं है कि CGTN द्वारा क्या छापा जा रहा है। जांच में यह भी सामने आया कि इसके लाइसेंस धारकों का चीनी सरकार से संबंध है।

तीनों चीनी नागरिक Ministry of State Security (MSS) के लिए जासूसी करते थे। तीनों ब्रिटेन में जर्नलिस्ट वीजा लेकर आये थे। इन तीन चीनी जासूसों का CGTN से संबंध और उसके बाद CGTN का लाइसेंस रद्द होना बताता है कि यह चीनी मीडिया संस्थान मुख्यतः जासूसी गतिविधियों के संचालन और कम्युनिस्ट पार्टी की नीतियों के क्रियान्वयन के लिए ही काम कर रहा था।

चीन पर यह आरोप लगते रहे हैं कि वह अपने जासूसों का अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, यूरोप आदि देशों के विश्वविद्यालयों में प्रवेश करवाता है, मीडिया संस्थानों में उन्हें काम दिलवाता है और इन सब माध्यमों से इन देशों की आंतरिक राजनीति में हस्तक्षेप करता है। हाल ही में भारत में भी चीनी जासूस पकड़े गए थे। ये बौध्द धर्मगुरु दलाई लामा की जासूसी कर रहे थे।

हालांकि, इस प्रकरण के बाद अब ब्रिटेन ने यह तय किया है कि अपने यहां अमेरिका की तरह सख्त Foreign Agents Registration Act बनाएंगे, जिसके तहत ऐसे सभी विदेशी एजेंट सरकार के पास अपना पंजीकरण करवाएंगे, अपनी जानकारी उपलब्ध करवाएंगे अन्यथा उन्हें जेल भी जाना पड़ सकता है। सूत्रों के अनुसार सरकार इसे लेकर जल्द ही नया सुरक्षा कानून बनाएगी, जिसके तहत ब्रिटेन यह सुनिश्चित करेगा कि उसके यहाँ विदेशी हस्तक्षेप को बन्द किया जा सके।

चीन और ब्रिटेन के संबंध वैसे भी ठीक नहीं चल रहे हैं। हांगकांग के मुद्दे पर चीन ने ब्रिटेन के साथ हुए समझौते का उल्लंघन किया है। समझौते के तहत चीन 2047 तक हांगकांग के प्रशासनिक ढाँचे में कोई फेरबदल नहीं कर सकता था लेकिन चीन ने 2020 में ही नया सुरक्षा कानून लागू कर, हांगकांग की स्वायत्तता छीन ली।

इसके बाद ब्रिटेन ने हांगकांग के लोगों को नागरिकता देने की बात कर चीनी कम्युनिस्ट पार्टी से अपना टकराव और बढ़ा लिया। दक्षिणी चीन सागर में चीन की बढ़ती दादागिरी के खिलाफ भी ब्रिटेन खुलकर सामने आया है। Five Eyes Group के जरिये ब्रिटेन चीन की गतिविधियों पर निगरानी रख रहा है, ऐसे में चीन भी ब्रिटेन की आंतरिक राजनीति को प्रभावित करने के लिए किसी भी हथकंडे को अपनाएगा।

 

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