जब बाइडन अमेरिका के राष्ट्रपति बने थे तब कुछ दिनों बाद ही खबर आई थी कि बाइडन के नेतृत्व में अमेरिका भारत पर रूस से S400 खरीदने पर प्रतिबन्ध लगा देगा। परन्तु यह 1990 के दशक का भारत नहीं है। अब ऐसी रिपोर्ट्स सामने आ रही है कि भारत न सिर्फ S400 खरीदेगा, बल्कि उसके साथ वह T 14 Armata टैंक भी खरीद सकता है। हालाँकि दोनों देशों के तरफ से अधिकारिक बयान नहीं आया है लेकिन मीडिया में इस डील को लेकर चर्चा रफ़्तार पकड़ रही है
रिपोर्ट के अनुसार, रूस की इस नवीनतम पीढ़ी के T 14 Armata टैंक को निर्यात का लाइसेंस मिला गया है। यानि अब भारत, सेना के लिए रूस के साथ एक अनुबंध पर हस्ताक्षर कर सकता है। बता दें कि पिछले साल के मध्य में मीडिया में 500 T 14 Armata टैंक खरीदने की इच्छुक भारतीय सेना के बारे में खबर आई थी, लेकिन उस दौरान इस टैंक को कोई निर्यात लाइसेंस नहीं मिला था। इस वजह से इसे निर्यात लाइसेंस मिलने के बाद इस वर्ष डील होने की उम्मीद है।
बता दें कि भारत रूस में आधुनिक हथियारों के सबसे बड़े खरीदारों में से एक है। भारत के अधिकांश हथियार रूस में निर्मित हैं, अन्य कुछ इजरायल, फ्रांस और अमेरिका आदि के हैं। भारत ने जो दो बड़े समझौते किये हैं वह रूस और इजरायल के साथ हुए हैं।
भारत और रूस के बीच 2018 में एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम S-400 की डील फाइनल हुई थी। S-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम को दुनिया में सबसे उन्नत डिफेंस सिस्टम माना जाता है। भारत को इस पर तकरीबन 5 अरब डॉलर यानी 40,000 करोड़ रुपये खर्च करने पड़ेंगे। भारत इस मिसाइल डिफेंस सिस्टम की 5 रेजिमेंट्स की खरीद कर रहा है। यह देश की सबसे बड़ी डिफेंस डीलों में से एक होगी। ट्रंप सरकार के दौरान भी ऐसी कोशिश हुईं, मगर तब भारत ने सख्त रुख अपनाते हुए सौदे से पीछे न हटने का संदेश अमेरिका को दे दिया था। बाइडन के सत्ता मे आने के बाद से अमेरिका एक बार फिर से भारत पर दबाव बनाने के लिए धमकी दे रहा है। हालांकि, भारत इस धमकी को कोई भाव नहीं दे रहा है।
यानि स्पष्ट है कि भारत को अमेरिका के प्रतिबंधो की कोई चिंता नहीं है। आज भारत पूरे विश्व में एक ऐसा देश जिसे कोई भी महाशक्ति प्रतिबन्ध लगा कर खतरा नहीं मोल लेना चाहेगी। भारत अब 1990 के दशक का भारत नहीं रहा जब वह अमेरिका के प्रतिबंधों के दबाव में आकर रूस या किसी अन्य देश के साथ डिफेंस डील से पीछे हट जाया करता था। यह नया भारत है और आज भारत का कद कई गुना बढ़ चुका है। भारत की विदेश नीति अब न तो किसी महाशक्ति पर आश्रित है और न ही किसी अन्य देश के दबाव में आने वाली है। भारत अब अमेरिका के प्रतिबंधों की धमकी से नहीं डरने वाला है। भारत और रूस के इस डील की संभावनाओं को देखते हुए यह स्पष्ट है कि भारत अपनी सुरक्षा के लिए अपने हिसाब से नीतियों को तय करेगा।