जैसे-जैसे पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव की तारीखें नजदीक आ रहीं हैं वैसे-वैसे राज्य में हिंसात्मक गतिविधियों के साथ ही धार्मिक बयानबाजी भी तेज हो रहीं हैं। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को भगवान श्रीराम के जयकारे से कितनी ज्यादा चिढ़ है, ये किसी से छिपा नहीं है। ऐसे में TMC भगवान श्रीकृष्ण के नारे लगाने के साथ ही मां दुर्गा के नाम का जयघोष भी कर रही है। इन
याद करिए की बंगाल में ममता दीदी के सामने जय श्रीराम के नारे लगाने वाले लोगों को जेल में ठूंस दिया गया था। इसी तरह हाल ही में ममता दीदी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कोलकाता वाले कार्यक्रम के दौरान मंच का अपमान केवल इसलिए कर गईं थी, क्योंकि जनता के बीच लोग जय श्रीराम के नारे लगा रहे थे। ममता बनर्जी जय श्रीराम के नारों के विरोध में ‘हरे कृष्ण हरे हरे’ नारा लगाने लगीं, इतना ही नहीं TMC के नेताओं ने मां दुर्गा के नारे लगाने शुरू कर दिए, जिसको लेकर अब आपत्तिजनक बयानबाजी भी होने लगी है।
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TMC के वरिष्ठतम नेताओं में शामिल और लोकसभा सांसद सौगत रॉय ने अब नारों के विवाद को लेकर कहा है कि टीएमसी को कभी भी जय श्रीराम के नारे से दिक्कत नहीं हुई. लेकिन ये हम बंगालियों का नारा नहीं है। हमारा नारा ‘जय मां दुर्गा’ है। हम उनमें ही विश्वास करते है। ये बेहद अजीबो-गरीब बात है कि किसी राज्य में श्रीराम बड़े और कहीं मां दुर्गा। भगवान को सियासत में लाकर लगातार बीजेपी और TMC दोनों द्वारा आपत्तिजनक टिप्पणियां की जा रही हैं, जबकि असल ज्ञान किसी को है ही नहीं, क्योंकि बंगाल बीजेपी अध्यक्ष दिलीप घोष ने भी मां दुर्गा को लेकर आपत्तिजनक बात कही थी, जिसकी वजह सियासत ही है।
हिंदू परंपराओं में मान्यता है कि मां दुर्गा शक्ति हैं, राक्षस महिशासुर के मर्दन के लिए सभी देवी देवताओं ने अपने अस्त्र-शस्त्र देकर मां दुर्गा को सबसे शक्तिशाली बनाया था। इसके चलते ही उन्हें आदिशक्ति कहा जाता है। उनके ही अलग-अलग रूपों में मां लक्ष्मी, मां पार्वती और मां सीता का अस्तित्व है। ऐसे में साफ है कि मां दुर्गा का महत्व और शक्ति सर्वोत्तम हैं, और टीएमसी भगवान विष्णु के अवतार श्रीराम से उनकी तुलना कर दोनों में से किसी एक को कमतर दिखाने की सियासी चाल खेल रही हैं जो कहीं-न-कहीं हिंदू देवी-देवताओं के लिए अपमानजनक स्थिति है।
मां दुर्गा को सुप्रीम पावर माना जाता हैं। हिन्दू समुदाय उन्हें आदिशक्ति मां जगत जननी के विशेषणों पुकारता है, जबकि भगवान श्रीराम भगवान विष्णु के अवतार है। ऐसे में दोनों देवताओं की तुलना करना क्या उचित है, यद्यपि ये तुलना उचित नहीं है, इसके बावजूद मां दुर्गा और श्रीराम को बंगाल की सियासत में एक मु्द्दा बनाया जा रहा है। ये बात समझ से परे है कि जब बीजेपी को TMC द्वारा लगाए जाने वाले भगवान श्रीकृष्ण और मां दुर्गा के किसी नारे से आपत्ति नहीं है तो फिर ममता बनर्जी को श्रीराम से क्या दिक्कत है?
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संकेत साफ है कि ममता बनर्जी की पार्टी TMC ‘हरे कृष्ण हरे हरे’ और मां दुर्गा के जयकारे किसी श्रृद्धा से नहीं लगा रही है बल्कि बीजेपी के जय श्रीराम के नारे के विरोध में लगा रहा रही है जो कि पूर्ण से आपत्तिजनक है क्योंकि इससे ममता न केवल देवताओं को राजनीति के घिनौने दल-दल में खींच रही हैं बल्कि बंगाल की बहुसंख्यक आबादी का तुष्टीकरण करने की कोशिश भी कर रही हैं।