PM मोदी की गुड Books में शामिल होना चाहते हैं बाइडन, अब Khalistan मुद्दे को लेकर अपने राज्य सचिव को कनाडा भेज रहे हैं

Biden Modi अमेरिका खालिस्तान

बाइडन प्रशासन अब कनाडा सरकार के साथ मिलकर खालिस्तान आतंकवाद की समस्या से निपटने के लिए कदम उठाएगा। स्टेट डिपार्टमेन्ट के एक उच्चाधिकारी के बयान के मुताबिक शुक्रवार को अमेरिकी विदेश मंत्री Antony Blinken कनाडा के वर्चुअल दौरे पर थे, और इस दौरान उनके एजेंडे में खालिस्तान का मुद्दा भी था। Quad और अमेरिका की Indo-Pacific नीति में कम दिलचस्पी दिखाकर तथा रूस से S-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम खरीदने के लिए भारत पर प्रतिबंध लगाने की धमकी देकर भारत को सख्त संदेश देने वाला अमेरिका अब खालिस्तान के मुद्दे पर कनाडा सरकार पर दबाव बनाकर भारत को लुभाने की कोशिश कर रहा है।

US Acting Assistant Secretary जूली चुंग ने गुरुवार को दिये अपने बयान में यह स्पष्ट कहा था कि Blinken शुक्रवार को अपने वर्चुअल दौरे के दौरान खालिस्तान के मुद्दे को अवश्य उठाएंगे। यह मुद्दा इसलिए आवश्यक है क्योंकि कनाडा में तेजी से खालिस्तान आतंकवाद की समस्या पैर पसारती जा रही है जिसके कारण ना सिर्फ कनाडा में आतंक बढ़ने का खतरा बढ़ गया है, बल्कि वहाँ भारत-विरोधी गतिविधियों में भी तेजी देखने को मिली है।

समस्या की बात यह है कि कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो खुद एक कट्टर खालिस्तान समर्थक जगमीत सिंह के साथ मिलकर सरकार चला रहे हैं, और वे खुद भी अपनी कैबिनेट में कई खालिस्तान समर्थकों को जगह दे चुके हैं। सरकार में ट्रूडो की साथी New Democratic Party के नेता जगमीत सिंह एक कट्टर खालिस्तानी समर्थक है, जो ना सिर्फ कनाडा में बल्कि दुनियाभर में खालिस्तानी तत्वों का भरपूर समर्थन करता है। खालिस्तानी गतिविधि को बढ़ावा देने के लिए वो वर्ष 2012 से ही भारतीय खुफिया एजेंसी RAW के निशाने पर हैं। भारत विरोधी रुख के लिए वर्ष 2013 में उसे भारतीय सरकार ने भारत का वीज़ा प्रदान करने से भी साफ़ मना कर दिया था।

इसके अलावा खुद जस्टिन ट्रूडो को भी खालिस्तान समर्थकों का हितैषी माना जाता है। उनकी पिछली सरकार में 4 सिख मंत्री थे जिनमें से एक इंफ्रास्ट्रक्चर मिनिस्टर अमरजीत सोही थे जिन्हें 1988 में बिहार में खालिस्तान समर्थक होने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। हालांकि, यह आरोप साबित नहीं हो पाया। इसके अलावा इनोवेशन मिनिस्टर नवदीप बैंस के बारे में मीडिया की एक रिपोर्ट आई थी कि उनके रिश्तेदार से 1985 में एयर इंडिया के विमान को उड़ाए जाने के मामले में पुलिस पूछताछ हुई थी। इन सब के अलावा कनाडा के रक्षा मंत्री रहे सज्जन सिंह पर तो कैप्टन अमरिंदर सिंह भी ‘खालिस्तान के कट्टर समर्थक’ होने का आरोप लगा चुके हैं।

यही कारण है कि पिछले कुछ दशकों में भारत और कनाडा के रिश्तों में हमें खटास देखने को मिली है। भारत और कनाडा के संबंधों में खालिस्तान का मुद्दा 80 के दशक से ही रुकावट बनता रहा है। पिछले तीन दशक में कई बार यह आरोप लग चुके हैं कि वहां के नेता खालिस्तान की राजनीति को तवज्जो देकर भारत की संवेदनाओं का ख्याल नहीं रख रहे हैं। 2015 में ट्रूडो के सत्ता में आने के बाद से तो यह मुद्दा काफी हद तक भारत-कनाडा के रिश्तों पर हावी रहा है। वर्ष 2017 में तो जस्टिन ट्रूडो ने खालसा डे परेड में हिस्सा तक ले लिया था। इस परेड में ऑपरेशन ब्लू स्टार में मारे गए जरनैल सिंह भिंडरावाले को हीरो की तरह दिखाया गया था।

ऐसे में अब ब्लिंकन कनाडा के साथ मिलकर खालिस्तान के मुद्दे से निपटना चाहेंगे। यह मुद्दा ज्वलंत इसलिए है क्योंकि भारत में जारी किसान प्रदर्शनों में खालिस्तानी तत्वों के शामिल होने के आरोप लगाए जा रहे हैं। हाल ही में जगमीत सिंह पर आरोप लगा था कि उन्होंने कनाडा में कई भारत-विरोधी ताकतों के साथ मिलकर अमेरिकी सिंगर रिहाना को भारत-विरोधी ट्वीट करने के लिए ढाई मिलियन डॉलर की फंडिंग भी प्रदान की थी। रिहाना की जगमीत सिंह के साथ मित्रता कोई बहुत नई बात नहीं है। एक टीवी प्रोग्राम में रिहाना को उसके निकनेम ‘रीरी’ से संबोधित करते हुए जगमीत सिंह एक किस्से के बारे में बात करने लगे, जहां जनाब को रिहाना से फॉलो बैक भी मिला था, और कैसे वे तब से ट्विटर पर एक दूसरे से बात कर रहे हैं।

नया अमेरिकी प्रशासन सत्ता में आने के बाद अपने फैसलों से भारत की ओर सख्त रुख अपना रहा है। उपराष्ट्रपति की भतीजी मीना हैरिस स्वयं पीएम मोदी को एक “फासीवादी” घोषित कर चुकी है। ऐसे में अब अमेरिका को उम्मीद है कि उसका यह कदम उसे भारत सरकार के साथ रिश्ते ठीक करने में मदद कर सकता है।

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