चीनी मुद्दो पर सहमति के बाद बाइडन ने दिखावा करके भारतीय महासागर के तरफ अपने विमान वाहक का रुख मोड़ा

बाइडन का हाथ ,चीन के साथ

चीन के लिए हमेशा ही सकारात्मक सोच रखने वाले अमेरिका के नए-नवेले राष्ट्रपति जो बाइडन ने चीन के पक्ष में कई फ़ैसले लेने के बाद भारत के लिए भी इंडो पैसेफिक नीति स्पष्ट करते हुए अपने विमान वाहकों को भारतीय महासागरों की तरफ भेजा है, जो कि भारत के लिए एक आशा की किरण की तरह माना जाने वाला कदम प्रतीत होता है। वहीं निराशाजनक बात ये है कि ये सब केवल दिखावा है, जिससे US के सहयोगी भारत का जो बाइडन से भरोसा न उठे। पेंटागन ने घोषणा की है कि US के निमित्ज कैरियर स्ट्राइक ग्रुप इंडो-पैसिफिक कमांड क्षेत्र की ओर बढ़ रहे हैं।

इस मौके पर पेंटागन के प्रेस सचिव जॉन एफ. किर्बी ने कहा कि अमेरिकी विमान वाहक मध्य कमान से प्रस्थान करेगा “यह हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा और दुनिया के एक अत्यंत महत्वपूर्ण क्षेत्र यानी इंडो-पैसेफिक में चल रहे टकराव को खत्म कर शांति को सुनिश्चित करेगा।” ईरान के साथ यूएस के तनाव को देखते हुए ही संभवत: अमेरिकी बाइडन प्रशासन ने सावधानी पूर्वक गल्फ क्षेत्र से अपने विमान वाहक को बाहर निकाल लिया है। पेंटागन के प्रवक्ता ने कहा, ये सारे फैसले बहुत ही सोच समझकर लिए जाते हैं। सपोर्टिंग स्ट्राईक स्वतंत्र रूप से क्षेत्रों में ख़तरे का आंकलन करता है और उसके बाद ही उस पर कोई फैसला लिया जाता है।”

किर्बी ने कहा, रक्षा लॉयड जे ऑस्टिन III  आंकलन में वर्तमान वैश्विक स्थित के प्रति काफी सजग थे और इसलिए उन्होंने विमान वाहकों का रुख इंडो पैसेफिक क्षेत्र की ओर करने की मंजूरी दी है।” अमेरिका के पेंटागन और राष्ट्रपति बाइडन चीन के साथ अपने रिश्तों के तल्ख होने की बात कहकर चीन की आलोचना करते रहे हैं लेकिन इससे चीन पर खास असर नहीं पड़ा है। बाइडन ने कई ऐसे कागजी फैसले कर लिए है जिसका असर चीन के लिए सकारात्मक होने वाला है, जो साबित करता है कि बाइडन प्रशासन चीन के खिलाफ केवल दिखावे के लिए आलोचनात्मक शब्दों का प्रयोग करता है।

पूर्व राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने भारतीय समुद्री क्षेत्र को लेकर नीति रखी थी जो कि ‘फ्री और ओपन इंडो पैसेफिककी कल्पना थी लेकिन चुनाव के बाद अमेरिकी बाइडन प्रशासन ने इसे बदल कर ‘सुरक्षित और समृद्ध इंडो-पैसेफिककर दिया है।  ये भारत के लिए साफ संदेश देता है कि सुरक्षित और समृद्धता के दिखावे में बाइडन प्रशासन इंडो-पैसेफिक में चीन को भी शामिल करना चाहता है क्योंकि बाइडन के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन ने चीन को एक प्रतिस्पर्धी प्रतियोगी और एक आवश्यक अमेरिकी साझेदार बताया था।

बाइडन प्रशासन के विदेश विभाग ने कार्यकाल के दूसरे ही दिन CCP को कई नीतिगत मुद्दों पर राहत दे दी और 5G संबंधित ZTE और Huawei को अमेरिका में राहत मिल गई थी। बाइडन प्रशासन ने यह भी कहा है कि व्यापार, चीनी सत्तावादी शासन पर दबाव बनाने के लिए बाइडन प्रशासन का प्रमुख मुद्दा नहीं होगा। संक्षेप में कहें तो बाइडन युग में चीन और अमेरिका के बीच चल रहे ट्रेड वॉर का अंत हो जाएगा। इसके अलावा मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, बाइडन प्रशासन डोनाल्ड ट्रंप के फैसलों की समीक्षा कर रहा है और उसने। चीन के उइगर मुस्लिमों के नरसंहार की घटना को एक तरह से ट्रंप का जल्दबाजी में लिया गया फैसला बताया है और इस मुद्दे पर चिंता व्यक्त की है।

इसके इतर ताइवान के मुद्दे पर भी अमेरिका विमान वाहक युद्धपोतों के दक्षिण चीन सागर में पहुंचने के बावजूद चीन लगातार ताइवान में अपने लड़ाकू विमान उड़ा रहा है। साफ है कि उसे अब अमेरिका के नए राष्ट्रपति के दिखावटी बयानों से कोई डर नहीं है। बाइडन ने जितने भी फ़ैसले लिए है वो दिखावे में चीन के खिलाफ हैं लेकिन हकीकत में चीन के लिए सकारात्मक हैं। इसलिए अब बदली इंडो-पैसेफिक नीति के चलते भले ही अमेरिका यहां अपने विमान वाहक सुरक्षा के नाम पर भेज रहा है लेकिन वो कहीं न कहीं चीन को लाभ पहुंचाने वाली नीति पर काम करने वाला है। इसलिए भारत को अमेरिका से सावधान रहने की आवश्यकता है।

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