ग्रेटा की गलती का फायदा उठाकर अब दिल्ली पुलिस टूलकिट से करेगी देशद्रोहियों की पहचान

वामपंथी भी कहेंगे, 'ग्रेटा How Dare You'

वैश्विक वामपंथी धड़ा भारत की छवि खराब करने के लिए अपनी पूरी जी-जान लगा रहा था लेकिन पर्यावरण एक्टिविस्ट ग्रेटा थनबर्ग की एक गलती ने सारी प्लानिंग चौपट कर दी है। ग्रेटा के ट्वीट में अटैच गूगल टूलकिट का भारत विरोधी एजेंडा पूरी दुनिया ने देख लिया। ऐसे में अब मोदी सरकार उनके खिलाफ धड़ाधड़ एक्शन ले रही है और इसको लेकर सरकार गूगल तक से उस टूलकिट की पूरी जानकारी लेने वाली है जिससे वामपंथियों का पूरा एजेंडा आसानी से एक्सपोज किया जा सके और इससे भारत में बैठे जयचंदों की भी पहचान आसानी से हो।

किसान आंदोलन को लेकर दुनिया का एक बड़ा वामपंथी वर्ग भारत विरोधी बयानबाजी कर रहा है।  पॉप सिंगर रिहाना को लेकर तो ये खुलासा भी हुआ है कि उन्होंने अपने एक ट्वीट के लिए 2.5 मिलियन डॉलर्स लिए हैं, लेकिन ये सारा एजेंडा अपने बचपने के कारण पर्यावरण एक्टिविस्ट ग्रेटा थनबर्ग ने ट्विटर पर एक्सपोज कर दिया है। ग्रेटा ने इस ट्वीट में उस गूगल टूलकिट को भी अटैच कर दिया था जिसमें किसान आंदोलन के समर्थन में लोगों से ट्वीट करने के साथ ही शामिल होने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा था, लेकिन अब देश की मोदी सरकार ये जानना चाहती है कि वो कौन लोग हैं जिन्होंने इस तरह का भारत विरोधी एजेंडा चलाया है।

ऐसे में देश के गृह मंत्रालय के अंतर्गत आने वाली दिल्ली पुलिस के ‘साइबर सेल’ ने भारत सरकार के खिलाफ सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक युद्ध छेड़ने के इरादे से ‘टूलकिट’ के ‘खालिस्तान समर्थक’ निर्माताओं के खिलाफ FIR दर्ज की है। इस मामले में दिल्ली पुलिस अब किसानों के समर्थन के नाम पर बनाए गए गूगल टूलकिट को लेकर सारी जानकारी गूगल से हासिल करने के लिए पत्र लिख चुकी है। पुलिस ने बताया है कि टूलकिट में जिन ईमेल, डोमेन, यूआरएल, आईपी एड्रेस और कुछ सोशल मीडिया अकाउंट का जिक्र किया गया है, उनकी जानकारी मांगी है।

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दिल्ली पुलिस के साइबर सेल के पुलिस उपायुक्त अन्येश रॉय ने इस मुद्दे पर साफ कहा है कि वो अब इन कंपनियों की मदद से दिल्ली में हिंसा की साजिश करने वाले एक-एक शख्स की पहचान करेंगे। रॉय ने कहा,  फिलहाल हम संबंधित कंपनियों से जानकारी मिलने का इंतजार कर रहे हैं और उनसे मिलने वाली जानकारी के आधार पर ही हम आगे की कार्रवाई करेंगे। उन्होंने कहा, “मूल दस्तावेज से जांचकर्ताओं को टूलकिट का निर्माण करने वाले और उसे साझा करने वाले व्यक्ति/व्यक्तियों को पहचानने में मदद मिलेगी। जिस दस्तावेज की बात हो रही है उसे कुछ लोगों ने बनाया, संपादित किया और उसे अपलोड किया। इन सभी की पहचान करना महत्वपूर्ण है क्योंकि इसमें से साजिश की बू आ रही है।

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खास बात ये भी है कि इस मुद्दे पर दिल्ली पुलिस ने राजद्रोह तक के केस दर्ज किए हैं। दिल्ली पुलिस अब इस पूरे प्रकरण की जांच भी उसी सोशल मीडिया की तकनीकों से कर रही है, जिनको हथियार बनाकर भारत विरोधियों ने हिंसा फैलाने की साजिश की थी। इस गूगल किट से ये तो साबित हो गया है कि किसानों के इस तथाकथित आंदोलन का मुख्य उद्देश्य सरकार कृषि बिल नहीं, बल्कि मोदी और सत्ता का विरोध था। वहीं जिन अंतरराष्ट्रीय लोगों ने इस मुद्दे पर ट्वीट किए हैं उसकी वजह भी पैसा था।

ग्रेटा की गलती से पर्दाफाश हुए उस गूगल टूल किट और उसके एजेंडे को लेकर अब दिल्ली पुलिस काफी सजग है। दर्ज FIR इस मुद्दे पर काफी सकारात्मक भी है क्योंकि अब ये मामला केवल किसी साधारण हिंसा का नहीं बल्कि देश की अस्मिता से जुड़ गया है।

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