ट्रम्प भले ही सोशल मीडिया पर न हो, पर उनके वफादार पोम्पियो उनकी आवाज जनता तक जरुर पहुंचा रहे हैं!

पोम्पियो दे रहे हैं दुनिया को ट्रम्प का संदेश

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति के साथ जिस तरह से उनके कार्यकाल के आखिरी कुछ दिनों में बर्ताव हुआ वह किसी अपमान से कम नहीं था। सिर्फ अपमान ही नहीं बल्कि उनके सोशल मीडिया के अकाउंट्स को ब्लॉक कर उन्हें खामोश भी कर दिया गया है जिससे वह अपने समर्थकों से जुड़े हुए थे। हालांकि ट्रंप और उनके समर्थकों के बीच अब भी संचार हो रहा है और इसके लिए कोई और नहीं बल्कि ट्रंप के दाएँ हाथ माने जाने वाले, माइकल रिचर्ड पोम्पिओ। पोम्पिओ सोशल मीडिया से दूर नहीं हैं और वह सुनिश्चित कर रहे हैं कि ट्रंप की आवाज़ जनता तक पहुँचती रहे।

केंद्रीय खुफ़िया एजेंसी (CIA) के निदेशक और बाद में ट्रंप प्रशासन के विदेश मंत्री के रूप में कार्य करने के बाद, पोम्पिओ शुरू से ट्रंप के साथ खड़े दिखाई दिए। अब, लेफ्ट लिबरल वर्ग ट्रंप को खामोश करने के लिए सभी हथकंडों को अपना रहा है, तो पोम्पेओ उनकी आवाज़ बन गए है। ट्रंप चीनी विस्तारवाद जैसे मुद्दों पर लगातार बोलते थे। पोम्पिओ ने बाइडन प्रशासन पर दबाव बना रखा हैं कि अमेरिकी राष्ट्रपति बीजिंग के मामले में कहीं नरम रुख ना अपनाए।

पोम्पिओ ट्विटर पर काफी लोकप्रिय है। उनके आधिकारिक सचिव ट्विटर हैंडल के 3 मिलियन फॉलोअर थे और यह 20 जनवरी तक सक्रिय था। लेकिन उनके निजी हैंडल में 1 मिलियन से भी कम फॉलोअर हैं। इसी हैंडल से, माइक पोम्पिओ डोनाल्ड ट्रंप के विचारों का प्रसार करते है।

पोम्पिओ के ट्वीट्स में से एक ट्वीट यह भी था कि, “न केवल सीसीपी ने लाखों अमेरिकी नौकरियों को नष्ट कर दिया है, बल्कि वे अपनी चाल चलने के लिए तैयार हैं। वे कांग्रेस के सदस्यों की पैरवी कर रहे हैं। वे हमारे स्कूल बोर्डों और शहर परिषदों में काम करने और हमारे तरीके को बदलने के लिए काम कर रहे हैं।” पूर्व अमेरिकी विदेश मंत्री ने कहा, “हमें, हमारे सहयोगियों के साथ, मिल कर चीन के खतरे को गंभीरता से लेना चाहिए।”

वास्तविकता यही है कि- जब ट्रंप सत्ता में थे, पोम्पिओ को चीन के सबसे बड़े विरोधी के रूप में माना जाता था। उन्होंने चीन के खिलाफ आक्रामक तरीके से बात की, शायद ट्रम्प से भी ज्यादा तेवर दिखाए हैं। सीधे शब्दों में कहें, तो पोम्पिओ चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) के लिए किसी बुरे सपने से कम नहीं थे।

उन्होंने सामने से नेतृत्व किया और चीनी कम्युनिस्ट विचारधारा के खिलाफ दुनिया के कई बड़े देशों को एक साथ लाने में कामयाब रहे थे।

अब भी, भले ही सत्ता बदल गई हो लेकिन पोम्पिओ के  चीन के खिलाफ तेवर नहीं बदले है। तथ्य यह है कि पोम्पिओ चीन के वैचारिक दुश्मन है और वह चीन के खिलाफ ट्रंप द्वारा शुरू किए गए अभियान को जारी रखेंगे।

पोम्पिओ ने अमेरिकियों को यह कभी नहीं भूलने दिया कि चीन ने अमेरिका और दुनिया के साथ बड़े पैमाने पर क्या किया। यह रिपब्लिकन नेता अमेरिकियों को बताते रहते हैं कि सीसीपी ही वुहान वायरस के लिए जिम्मेदार है जिसके कारण अमेरिका में लाखों लोगों की मृत्यु हुई, इसके अलावा लाखों बेरोज़गार भी हुए ।

पोम्पिओ यह भी सुनिश्चित कर रहे है कि चीन अमेरिका के भीतर एक राजनीतिक और चुनावी मुद्दा बना रहे। वह अमेरिकियों को याद दिलाते रहते हैं कि बीजिंग लोकतांत्रिक दुनिया के लिए अभी भी सबसे बड़ा खतरा है।

ध्यान देने वाली बात यह है कि पोम्पिओ की बेबाकी का प्रभाव भी वर्तमान शासन पर दिखाई देता है। ट्रंप के खामोश रहने से, बाइडन को लग रहा होगा कि उन्होंने ट्रंप के विचारों को कुचल दिया है लेकिन यह स्पष्ट रूप से ऐसा नहीं है। पोम्पिओ ने अब भी मोर्चा संभाल रखा है। चीन पर किसी नरम रुख के लिए बाइडन को ऐसे ही बिना स्क्रुटनी के जाने नहीं दिया जाएगा।

ट्रंप खामोश हो गए होंगे, लेकिन ट्रम्पवाद अभी भी जीवित है, और पोम्पिओ यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि ट्रम्प की आवाज अमेरिकी जनता तक जरूर पहुंचे।

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