रिटर्न गिफ्ट तो आपने कई प्रकार के देखे होंगे, लेकिन तुर्की जैसा रिटर्न गिफ्ट आपने बिल्कुल नहीं देखा होगा। अब खबरे आ रही हैं कि पाकिस्तान की सहायता के लिए तुर्की भाड़े के आतंकी कश्मीर भेज रहा है, और यह दावा किसी और ने नहीं, बल्कि ग्रीक मीडिया ने किया है।
ग्रीस की पेंटापोस्टाग्मा (Pentapostagma) नामक वेबसाइट पर प्रकाशित हुई खबर के अनुसार, तुर्की के भाड़े के लड़ाकों का सैन्य संगठन सादात (SADAT) अब कश्मीर में पाकिस्तान की मदद से एक्टिव होने की तैयारी कर रहा है। दरअसल, तुर्की खुद को मध्य एशिया में अग्रणी शक्ति के रूप में दिखाना चाहता है, इसलिए वह पाकिस्तान के साथ मिलकर कश्मीर में हिंसा फैलाने की साजिश रच रहा हैं।
इस रिपोर्ट में ये भी दावा किया गया है कि तुर्की के राष्ट्रपति रेचप तैयप एर्दोगन ने यह जिम्मेदारी स्वयं SADAT को सौंपी है। रिपोर्ट के अंश अनुसार, “सादात का नेतृत्व एर्दोगन का सैन्य सलाहकार अदनान तनरिवर्दी करता है, जिसने कश्मीर में बेस तैयार करने के लिए कश्मीर में जन्मे सैयद गुलाम नबी फई नामक आतंकी को नियुक्त किया है। फई पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के पैसों पर भारत के खिलाफ भाड़े के सैनिकों की भर्ती करने और टैक्स चोरी के लिए अमेरिका की जेल में दो साल की सजा काट चुका है।”
पर ये SADAT आखिर है क्या, और इससे भारत को सतर्क होने की आवश्यकता क्यों है? सादात भाड़े के विद्रोहियों का एक समूह है, जो तुर्की, सीरिया, लीबिया समेत कई देशों में जिहादियों को प्रशिक्षित करने और हथियार-रसद की आपूर्ति का काम करता है। इसमें बड़ी संख्या में तुर्की की सेना के रिटायर्ड फौजी भी शामिल हैं। सादात मुस्लिम देशों के हजारों लड़ाकों को मिलाकर एक इस्लामी सेना बनाने की कोशिश में जुटा है। सादात इसे लेकर कई अंतरराष्ट्रीय कांफ्रेंस भी आयोजित करता रहता है, जिसमें सैयद गुलाम नबी फई जैसे दुनियाभर के आतंकी और कट्टरपंथी शामिल होते हैं।
अब इससे एक बात तो स्पष्ट होती है, Nagorno Karabakh में पाकिस्तान के भेजे गए भाड़े के लड़ाकों की सहायता का एहसान चुकाने के लिए तुर्की अब कश्मीर में पाकिस्तान के नापाक इरादों को अंजाम देने में सहायता करना चाहता है। इसकी ओर ग्रीस ने पहले भी इशारा किया था, जब उसने भारत के साथ गठजोड़ स्थापित करने की पेशकश की थी।
ईकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार एक webinar में ग्रीक राजनीतिज्ञों ने भारत के साथ मजबूत रक्षा संबंधों की ओर अपने कदम बढ़ाने की आशा जताई। रिपोर्ट के अंश अनुसार, “ग्रीक न्यूज पोर्टल Pentaspostagma के प्रमुख संपादक Andreas Mountzoroulias ने कहा कि ग्रीस और भारत के अपने कूटनीतिक संबंधों को और सशक्त बनाने का यह सही समय है। दोनों ही देशों के बगल में आतंक के समर्थक स्थित है – ग्रीस के बगल में तुर्की, और भारत के बगल में पाकिस्तान। ऐसे में इन दोनों के गठजोड़ का मुकाबला करने के लिए ग्रीस और भारत का एक होना अवश्यंभावी है”–
ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि तुर्की के नापाक इरादों से भारत को न सिर्फ सतर्क होने की आवश्यकता है, बल्कि उन्हे उन देशों का साथ प्राप्त करने की भी आवश्यकता है, जो भारत की सहायता करने को इच्छुक है। ग्रीस भारत द्वारा पूर्वी भूमध्य सागर में तुर्की के विरुद्ध में समर्थन को भूला नहीं है, और वह इसी बात का एहसान चुकाने के लिए भारत को तुर्की के नापाक इरादों से सतर्क रहने की सलाह दे रहा है।