अब अडानी बने कांग्रेस की पहली पसंद, वैसे ही जैसे कभी अनिल अंबानी हुआ करते थे

अडानी

कहने को कांग्रेस को उद्योगपति फूटी आंख नहीं सुहाते, लेकिन उनके साथ परदे के पीछे डील करने से भी ये पार्टी नहीं हिचकिचाती। इसका एक प्रत्यक्ष उदाहरण अभी हाल ही में देखने को मिला, जब कांग्रेस के नेतृत्व में दो राज्य सरकारों ने अडानी ग्रुप से गुपचुप दो डील पूरी की।

बता दे कि राजस्थान और महाराष्ट्र में इस समय या तो कांग्रेस के नेतृत्व वाली, या फिर कांग्रेस के समर्थन से चल रही गठबंधन सरकार है। इन दोनों ही सरकारों ने राज्य में इन्फ्रस्ट्रक्चर को मजबूत करने हेतु अडानी ग्रुप के साथ समझौता किया है। अडानी ग्रुप राजस्थान में 9700 मेगावॉट के सोलर हाईब्रिड और विंड एनर्जी पार्क विकसित करने जा रहा है, और 5 सोलर प्रॉजेक्ट्स में यह कारोबारी समूह 50 हजार करोड़ रुपए का निवेश करेगा।

वहीं, दूसरी ओर महाराष्ट्र में शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी गठबंधन वाली सरकार ने दिघी पोर्ट अडानी ग्रुप को सौंप दिया। एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, अडानी ग्रुप ने 705 करोड़ रुपए में दिघी पोर्ट लिमिटेड (DPL) की 100 फीसदी हिस्सेदारी खरीद ली है। कंपनी यहां 10 हजार करोड़ रुपए का निवेश करेगी और मुंबई में जवाहरलाल नेहरू पोर्ट ट्रस्ट के लिए वैकल्पिक गेटवे तैयार करेगी।

कमाल करती है कांग्रेस। जो अंबानी-अडानी इसे फूटी आँख नहीं सुहाते, जिस अंबानी-अडानी पर राहुल गांधी ‘हम दो हमारे दो’ के नाम से तंज कसते हैं, उसी अडानी समूह को कांग्रेस अपने राज्यों में इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित करने के लिए सहूलियत दे रहे हैं। अभी कुछ ही दिनों पहले संसद में बजट चर्चा के दौरान राहुल गांधी ने मोदी सरकार पर आरोप लगाया था कि यह सरकार ”हम दो हमारे दो” फॉर्म्युले पर चल रही है और देश को चार लोग चला रहे हैं। पीएम मोदी द्वारा कुछ लोगों को आंदोलनजीवी बताए जाने पर उन्होंने सरकार पर उद्योगपतियों को फायदा पहुंचाने का आरोप लगाते हुए क्रोनीजीवी बताया था।

लेकिन इसमें हैरान होने वाली बात नहीं है, क्योंकि यही कांग्रेस अपने शासन में अनिल अंबानी को बेहिसाब वित्तीय सहायता देती थी, जिससे उनके विरुद्ध कर्जों का पहाड़ खड़ा हो गया। अनिल अंबानी पर मनमोहन सरकार के ‘एहसानों’ की लिस्ट  की जांच से सामने आया था कि कांग्रेस की अगुवाई वाली UPA सरकार के अंतिम 7 सालों में अनिल अंबानी के रिलायंस ग्रुप को 1 लाख करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट्स मिले थे। इस मामले पर मीडिया रिपोर्ट्स में एक अधिकारी को QUOTE करते हुए बताया गया था कि 5 साल पहले जिस कंपनी की पहचान इलेक्ट्रिसिटी डिस्ट्रीब्यूशन के तौर पर होती थी, वो 2011 तक देश की सबसे बड़ी इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनी बन गई। 16500 करोड़ रुपये के 12 प्रॉजेक्ट्स शुरू किए गए, जिससे आर-इंफ्रा देश में सबसे बड़ी प्राइवेट रोड डेवेलपर बन गई।’

स्वयं अनिल अंबानी ने भी पिछले वर्ष कांग्रेस के दोहरे रूख पर उन्हें आड़े हाथों लेते हुए कहा था किक्या उनकी अपनी सरकार 10 साल तक एक कथित क्रोनी कैपिटलिस्ट और बेईमान कारोबारी की मदद कर रही थी।’ कांग्रेस ने परदे के पीछे से हमेशा से बड़े उद्योगपतियों की मदद की है और बड़ी डील्स दी है, जबकि आरोपों के विपरीत पीएम मोदी के शासन में किसी भी बड़े उद्योगपति का एक रुपया भी कर्ज बैंकों ने माफ नहीं किया, बल्कि उद्योगपतियों को कर्ज 2007 से 2009 के बीच दिए गए थे। इसका खुलासा पूर्व वित्तमंत्री अरुण जेटली ने एक प्रेसवार्ता में किया था।

बार-बार मोदी सरकार पर उद्योगपतियों को फायदा पहुंचाने का आरोप लगाने वाली कांग्रेस खुद इन्हीं उद्योगपतियों को कांग्रेस शासित राज्य में बड़े प्रोजेक्ट्स दे रही। अब ऐसे में भाजपा भला कैसे शांत रहती? कांग्रेस को घेरने का सुनहरा अवसर देखते हुए भाजपा नेता सीटी रवि ने ट्वीट कर कांग्रेस पार्टी पर निशाना साधा।

शहजाद पूनावाला ने भी कांग्रेस के इस दोहरे रूख की खिंचाई करते हुए ट्वीट किया, कांग्रेस की अगुवाई वाली राजस्थान सरकार ने अडानी और जिंदल ग्रुप को रियायत दी है और महाराष्ट्र में जहां पोर्ट मिनिस्ट्री कांग्रेस के पास है, दिघी पोर्ट को अडानी ग्रुप को सौंप दिया गया है। अब राहुल गांधी जवाब दें कौन है क्रोनीजीवी?”

सच कहें तो कहीं न कहीं कांग्रेस गांधी-वाड्रा परिवार के स्वभाव के कारण अडानी और अंबानी की निन्दा करने को मजबूर हैं, अन्यथा वे भी जानते हैं कि उद्योगपतियों और उद्योगों के बिना उनका गुजारा नहीं होने वाला। जिस प्रकार से गुपचुप तरिके से राजस्थान और महाराष्ट्र की सरकारों ने अडानी ग्रुप को दो अहम इन्फ्रस्ट्रक्चर प्रोजेक्ट थमाये हैं, उससे स्पष्ट हैं – बाप बड़ा न भैया, सबसे बड़ा रुपैया।

 

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