भारत विरोधी गतिविधियों को ऑनलाइन जहर से रोकने के लिए केंद्र सरकार ने सार्वजनिक वित्त पोषित विश्वविद्यालयों और संस्थानों के लिए एक नया दिशा निर्देश पारित किया है। इस निर्देश में यह कहा गया है कि सार्वजनिक वित्त पोषित विश्वविद्यालयों और संस्थानों के शिक्षाविदों, प्रोफेसरों, वैज्ञानिकों और डॉक्टरों को भारत के आतंरिक मामलों पर किसी भी प्रकार के वर्चुअल अंतर्राष्ट्रीय कार्यक्रमों की मेजबानी से पूर्व विदेश मंत्रालय (MEA) अनुमति लेना अनिवार्य होगा।
यही नहीं इस तरह के सेमिनारों में सभी प्रतिभागियों के नाम को भी मंजूरी के लिए भेजना होगा। नए निर्देश के अनुसार, सरकारी अधिकारियों / वैज्ञानिकों / डॉक्टरों के भी वर्चुअल अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों में भाग लेने के लिए उनके नाम बताने होगें और इस प्रशासनिक सचिव की मंजूरी आवश्यक होगी।
शिक्षा मंत्रालय द्वारा जारी किये गए इस निर्देश में देश के आन्तरिक मामलों में देश की सुरक्षा, सीमा, तथा जम्मू और कश्मीर जैसे मुद्दों को जोड़ा गया है। इसके अलावा कोई भी ऐसे मुद्दे जो प्रकृति में संवेदनशील हैं और राजनीतिक, वैज्ञानिक, तकनीकी, वाणिज्यिक या व्यक्तिगत क्षेत्रों से हैं, जिसमें डेटा शेयर किये जाने की आशंका है तो उसे MEA की अनुमति की आवश्यकता होगी।
सेमिनारों के लिए अनुमोदन प्राप्त करने के बाद संस्थानों को ऑनलाइन सेमिनार से सम्बंधित लिंक भी साझा करने के लिए कहा गया है। इन जानकारियों को ईमेल द्वारा socialoord@mea.gov.in पर शेयर करने के लिए कहा गया है। यह दिशा निर्देश वेबिनार और उन कार्यक्रमों पर भी लागू होता है विदेशी फंडिंग से प्रायोजित किये जाते हैं।
बता दें कि कोरोना के बाद से ऑनलाइन सेमिनार और वेबिनार के बढ़े प्रचलन के कारण भारत विरोधी ताकतों ने इस भारत के खिलाफ प्रोपेगेंडा फ़ैलाने के लिए खूब इस्तेमाल किया है।
15 जनवरी को जारी MEA का यह दिशा निर्देश 25 नवंबर 2020 को जारी किए गए पहले के निर्देश का संशोधन था।
इससे पहले भारत में किसी भी तरह के अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों या सेमिनार को आयोजित करने के लिए गृह मंत्रालय या MEA द्वारा पूर्व अनुमोदन की आवश्यकता होती है, विशेष रूप से उन लोगों के लिए जो सम्मेलन वीजा विदेशी प्रतिभागियों को शामिल करते थे।
परन्तु अब संशोधित दिशानिर्देश को अब ऑनलाइन सेमिनारों और सम्मेलनों तक विस्तार किया गया है। यह भारती विरोधी गतिविधियों पर उसी तरह नजर रखने के लिए किया गया है जैसे अन्य देशों से आये विदेश प्रतिभागियों पर वीजा प्रणाली के माध्यम से रखा जाता था।
MEA के इस नए दिशानिर्देश विश्वविद्यालयों को ऐसे ऐप्स का उपयोग करने से बचने के लिए कहा गया है जो उन देशों या एजेंसियों द्वारा नियंत्रित होते हैं जो “भारत के लिए शत्रु” की तरह है। यह स्पष्ट तौर पर चीन और उससे जुड़े या उसके द्वारा नियंत्रित टेक कंपनियों की और इशारा है। उदहारण के लिए ZOOM को लिया जा सकता है एक लोकप्रिय कॉन्फ्रेंसिंग ऐप लेकिन उस पर आरोप है कि वह डेटा चीनी सर्वर को भेजता है।
नए दिशानिर्देश में राज्य सरकार के मंत्रियों और सरकारी अधिकारियों, डॉक्टरों, जॉइंट सेक्रेट्री तथा उससे ऊपर के रैंक के लिए भी एक प्रावधान है। वे अगर किसी भी ऑनलाइन अंतर्राष्ट्रीय सेमिनारों या सम्मेलनों में भाग लेना चाहते हैं तो ऐसे अधिकारियों को पहले विदेश मंत्रालय से अनुमोदन लेना अनिवार्य होगा।
जब से ऑनलाइन सेमिनारों का प्रचलन बढ़ा है तब से भारत विरोधी तत्वों के लिए प्रोपोगेंडे को इन वर्चुअल सेमिनारों के माध्यम से फैलाना आसान हो गया था। अब इन नए दिशा निर्देश से इन भारत विरोधी गतिविधियों पर अवश्य ही लगाम लगेगी।