निकिता जैकोब के पीछे आखिर दिल्ली पुलिस हाथ धोकर क्यों पड़ी है? उसका अपराध क्या है?

निकिता

अभी हाल ही में दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने एक अहम ऑपरेशन में 21 वर्षीय एक्टिविस्ट दिशा रवि को बेंगलुरू में हिरासत में लिया। फिलहाल के लिए दिशा को 5 दिन की न्यायिक हिरासत में रखा गया है। लेकिन वह टूलकिट गिरोह में अकेली नहीं है, क्योंकि दिल्ली पुलिस ने घोषणा की है कि अधिवक्ता निकिता जेकब के विरुद्ध भी गैर जमानती वॉरंट निकाला गया है।

दिल्ली पुलिस की एक टीम गुरुवार (फरवरी 11, 2021) को निकिता के घर पहुँची थी, लेकिन शाम का समय होने के कारण उससे पूछताछ नहीं हो सकी। एक्टिविस्ट और अधिवक्ता निकिता ने पुलिस के बताए दस्तावेजों पर हस्ताक्षर भी किए थे। साथ ही उसने कहा था कि वह जाँच में पूरा सहयोग देगी। लेकिन फिर निकिता फरार हो गई। उसके माता-पिता ने भी कुछ बताने से इनकार कर दिया। बताया जाता है कि जैकब ने ही टूलकिट का खाका तैयार किया था। उसके लोकेशन के बारे में पता किया जा रहा है।

लेकिन ये टूलकिट है क्या, और इसे फैलाने में निकिता जेकब का क्या हाथ रहा है? दरअसल, कथित पर्यावरण एक्टिविस्ट ग्रेटा थनबर्ग ने फरवरी के शुरुआत में एक टूलकिट अपने ट्विटर अकाउंट पे अपलोड की, जिसे बाद में उसने डिलीट कर दिया। यह टूलकिट कहने को ‘किसान आंदोलन’ से जुडने के लिए एक अहम गाइड थी, लेकिन वास्तव में ये एक ऐसी गाइड थी जहां से ये स्पष्ट किया गया कि किसान आंदोलन के नाम पर भारत को कैसे बर्बाद करना है। इससे ये भी सिद्ध हुआ कि जो 26 जनवरी को लाल किले पर हुआ, उसकी तैयारी तो काफी महीनों से चल रही थी।

तो इससे दिशा रवि और निकिता जेकब का क्या संबंध है, और दोनों पर सरकार की कार्रवाई से वामपंथी क्यो  विचलित हैं? दरअसल दिल्ली पुलिस की जांच पड़ताल में ये सामना आया है कि दोनों ही ग्रेटा द्वारा लीक किए गए गूगल टूलकिट की संपादक है। दोनों ने वॉट्सएप ग्रुप बनाया, ताकि इस टूलकिट को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाया जा सके। इतना ही नहीं, दोनों मो धालीवाल से भी निरंतर संपर्क में रहे, और यह वही मो धालीवाल है जो खालिस्तानी संगठन पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन (PJF) के सह संस्थापकों में से एक है।

इसके अलावा ये भी कयास लगाए जा रहे हैं कि निकिता जेकब आम आदमी पार्टी से भी जुड़ी हुई है। यदि ऐसा नहीं होता तो दिशा के हिरासत में लिए जाते ही अरविन्द केजरीवाल इसका विरोध क्यों करते? बॉम्बे हाईकोर्ट में वकालत की प्रैक्टिस करने वाली निकिता का नाम तभी सामने आया था, जब टूलकिट के लीक होने के बाद लोगों ने इसकी लाइव एडिटिंग के स्क्रीनशॉट्स लिए थे। निकिता ने अपने सारे सोशल मीडिया हैंडल्स भी डिलीट कर लिए हैं। निकिता और शांतनु इस टूलकिट को बाँटने के लिए भी जिम्मेदार बताए जाते हैं।

ऐसे में यदि निकिता जेकब को हिरासत में लिया जाता है, तो कई राज सामने आ सकते हैं, जिसके ख्याल मात्र से ही टुकड़े टुकड़े गैंग के हाथ पाँव फूल गए हैं। निकिता जेकब की गिरफ़्तारी से दिल्ली पुलिस को ग्रेटा टूलकिट गिरोह के असली हैंडलर्स तक पहुँचने में आसानी होगी।

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