चीन के ज्यादा करीब होना क्यों सही नहीं हैं, इज़रायल ने अपना सबक अब सीख लिया है!

चीन से नजदीकी बढ़ा इज़रायल फंस गया है

इज़रायली प्रशासन ने एक बड़े खुलासे में यह बताया है कि एक “एशियाई देश” ने इज़रायली सुरक्षा कर्मचारियों को लाखों-करोड़ों डॉलर्स की रिश्वत देकर बेहद अहम और गोपनीय एवं अति आधुनिक इज़रायली “ड्रोन” तकनीक को हथिया लिया है। आधिकारिक रूप से अभी इज़रायल ने उस “एशियाई देश” का नाम नहीं बताया है लेकिन सूत्रों के मुताबिक वह देश कोई और नहीं बल्कि चीन ही है। माना जा रहा है कि इस बड़े पर्दाफाश के बाद इज़रायली प्रशासन इस बात को लेकर चिंतित है कि कहीं वह गोपनीय इज़रायली “ड्रोन” तकनीक चीन के माध्यम से उसके कट्टर दुश्मन ईरान के पास ना पहुँच जाये, क्योंकि ईरान और चीन के बीच पहले ही 25 वर्षीय रणनीतिक समझौते पर हस्ताक्षर हो चुके हैं।

इज़रायल की राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी Shin Bet के मुताबिक पिछले कई महीनों से कुछ इज़रायली सुरक्षा कर्मचारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार की जांच चल रही थी, अब जिसमें करीब 20 अधिकारियों को “अवैध संवेदनशील व्यापार” में लिप्त होने का आरोपी पाया गया है। हालांकि, जांच अब भी जारी है। इन सभी पर आरोप लगे हैं कि इन्होंने अरबों डॉलर्स के बदले इज़रायल के अतिआधुनिक “सूसाइड ड्रोन्स” से जुड़ी तकनीक को चीन को सौंप दिया। इज़रायली पुलिस ने बताया है कि आरोपियों को संवेदनशील तकनीक उस “एशियाई देश” को सौंपने के बदले पैसों के बदले कुछ अन्य फायदे भी हासिल हो सकते हैं।

पूर्व में चीन ने इज़रायल से ऐसे ही आधुनिक drones को हासिल करने के लिए इज़रायल के साथ सुरक्षा समझौता करने की भी पेशकश की थी, लेकिन तब अमेरिका के दबाव में इस समझौते पर बात आगे नहीं बढ़ पाई थी। हालांकि, चीनी सरकार और सेना इज़रायल की “सूसाइड ड्रोन्स” की तकनीक से बेहद प्रभावित है क्योंकि ये ना सिर्फ बेहद छोटे होते हैं, बल्कि इन्हें डिटेक्ट करने बेहद मुश्किल होता है और इनके द्वारा किए जा रहे operations को एन आखिरी वक्त तक कभी भी आसानी से टाला जा सकता है। इनकी मारक क्षमता बेहद सटीक और अधिक होती है। ऐसे में अब जब यह आधुनिक तकनीक चीन के हाथों लग गयी है तो यह ना सिर्फ इज़रायल के लिए बल्कि भारत और अमेरिका जैसे देशों के लिए भी बेहद ख़तरनाक है।

अब जिस प्रकार चीन ने इज़रायल से चोरी-छिपे इस तकनीक को चुराया है, उसके बाद इज़रायल और चीन के सम्बन्धों में तनाव देखने को मिल सकता है। इज़रायल को चीन के साथ नज़दीकियाँ बढ़ाने के दुष्परिणामों का आखिर पता चल रहा है, जो भविष्य में इस यहूदी देश की चीन-नीति पर बड़ा प्रभाव ड़ाल सकता है। पूर्व में इज़रायल ने अमेरिकी चिंताओं को नकारते हुए चीन के BRI प्रोजेक्ट के तहत अपने हाइफा पोर्ट को अगले 25 वर्षों तक चीनी कंपनी Shanghai International Port Group (SIPG) को सौंपने का फैसला लिया है, जिसके बाद अमेरिका-इज़रायल के सम्बन्धों में तनाव देखने को मिल चुका है।

अमेरिकी थिंक टैंक Jewish Institute for National Security of America यानि JISA की रिपोर्ट के मुताबिक हाइफा पर इज़रायल-चीन की साझेदारी के बाद अमेरिका-इज़रायल के रणनीतिक सम्बन्धों पर इसकी आंच आ सकती है। पिछले ही वर्ष अमेरिकी प्रशासन ने हाइफा पोर्ट की सुरक्षा संबंधी जांच करने का भी प्रस्ताव सामने रखा था, जिसके बाद इज़रायल ने अमेरिका के उस प्रस्ताव को ठुकरा दिया था।

अमेरिकी और अन्य देशों की चिंताओं को नकारते हुए जिस प्रकार इज़रायल ने चीन के साथ हाइफा पोर्ट पर अपनी साझेदारी को आगे बढ़ाया है और जिस प्रकार इज़रायल चीन के BRI प्रोजेक्ट में अपनी सक्रिय भूमिका निभाता आया है, उसके बाद अब इज़रायल को चीन की ओर से ही सबक सिखाया गया है। इससे पहले भी चीन-ईरान के मजबूत होते सम्बन्धों के चलते चीन और इज़रायल के बीच बढ़ती नज़दीकियों पर सवाल खड़े किए जा चुके हैं। हालांकि, अब जब चीन पर सीधे-सीधे इज़रायली तकनीक चुराने के आरोप लगे हैं, तो भविष्य में हमें इस चलन में एक बदलाव देखने को मिल सकता है।

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