फाइजर वैक्सीन को ‘NO’ कहने के साथ ही, भारत ने बाइडन को एक मजबूत संदेश भेजा है!

भारत ने फाइजर की कोविड वैक्सीन के EUA पर लगाई रोक!

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भारत ने विदेशी वैक्सीन कंपनी फाइजर की कोविड वैक्सीन को देश में इमरजेंसी इस्तेमाल की अनुमति नहीं दी हैं। इस कंपनी को अनुमति न दे कर भारत ने विश्व विशेषकर बाइडन प्रशासन को एक स्पष्ट सन्देश दिया है कि चाहे कुछ भी हो जाए भारत किसी के दबाव में नहीं आने वाला है। दरअसल, सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमेटी (एसईसी) ने ३ फरवरी हो हुई मीटिंग में यह कहा था कि वह देश में फाइजर की कोविड वैक्सीन के आपातकालीन उपयोग प्राधिकरण (ईयूए) के लिए अनुमति देने की सिफारिश नहीं करती है।

उसके बाद भारत के ड्रग रेग्युलेटरी अथॉरिटी ने फाइजर की कोविड वैक्सीन की मंजूरी पर रोक लगा दी है। यही नहीं स्वयं फाइजर ने भी भारतीय अधिकारीयों के रुख को देखते हुए भारत में इमरजेंसी इस्तेमाल के आवेदन को वापस ले लिया। रिपोर्ट के अनुसार सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑगेर्नाइजेशन (सीडीएससीओ) की विशेषज्ञ समिति ने फाइजर की कोविड वैक्सीन पर जांच के दौरान इसके ट्रायल तथा इस्तेमाल से हुई कई गंभीर प्रतिकूल घटनाओं का परिक्षण किया।

समिति ने जांच में पाया कि पोस्ट-मार्केटिंग के दौरान पक्षाघात, एनाफिलेक्सिस और अन्य घटनाएँ हुई हैं। इसके अलावा, SEC ने नोट किया कि कंपनी ने भारतीय आबादी में सुरक्षा एवं प्रतिरक्षात्मकता डेटा उत्पन्न करने के लिए कोई योजना प्रस्तावित नहीं की है। बता दें कि Centers for disease control and prevention (CDC) की जनवरी में आई एक रिपोर्ट के अनुसार फाइजर वैक्सीन के इस्तेमाल के बाद लोगों में गंभीर रूप से जानलेवा एलर्जी, एनाफिलेक्सिस के 21 मामलों के साथ, 4,000 से अधिक गंभीर साइड इफेक्ट्स की घटनाएं सामने आई हैं।

चूंकि वैक्सीन के साथ हुई घटनाओं की जांच की जा रही थी, इसी कारण समिति ने इस स्तर पर देश में आपातकालीन उपयोग के लिए मैसेंजर या एमआरएनए वैक्सीन की सिफारिश नहीं की थी। विशेषज्ञों की समिति के निर्देश के अनुसार, विस्तृत विचार-विमर्श के बाद, समिति ने इस स्तर पर देश में आपातकालीन उपयोग के लिए अनुमति देने की सिफारिश नहीं करने का फैसला किया। यहाँ ध्यान देने वाली बात यह है कि अमेरिका की इस दिग्गज फार्मास्यूटिकल कंपनी ने पांच दिसंबर को देश में अपनी कोविड वैक्सीन के इमरजेंसी इस्तेमाल के लिए आवेदन दिया था जो कि सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) के आवेदन से भी पहले था।

कंपनी फाइजर ने भारत में लोगों पर क्लिनिकल ट्रायल की छूट के अलावा, ड्रग कंट्रोलर से इसे आयात करने की अनुमति मांगी थी। फिर भी उसे अनुमति नहीं मिली थी। वहीँ अमेरिकी खाद्य और औषधि प्रशासन ने पिछले साल 11 दिसंबर को वैक्सीन के लिए एक आपातकालीन उपयोग प्राधिकरण जारी किया था। जबकि कोविशिल्ड और कोवैक्सीन दोनों को भारत के ड्रग कंट्रोलर जनरल द्वारा इमरजेंसी इस्तेमाल के लिए तीन जनवरी को अनुमति दी गई थी। भारत सरकार ने अपने देश में बनी वैक्सीन पर भरोसा किया और इस विदेशी कंपनी पर आंख बंद कर विश्वास नहीं किया बल्कि उसके वैक्सीन से होने वाले साइड एफ्फेट्स की जाँच करवाई।

दुनिया भर में कई देश वैक्सीन निर्मित कर रहे हैं, लेकिन या तो वे पूरी तैयार नहीं है या वे इतने असरदार नहीं है। भारत द्वारा फाइजर वैक्सीन को अब संदेह के घेरे में कर उसे अनुमति न देना इस बात का परिचायक है कि भारत किसी के भी दवाब में नहीं आने वाला है। फाइजर ने एक बयान जारी कर कहा है कि उसने फिलहाल अपना आवेदन वापस ले लिया है और वह SEC द्वारा मांगे गए अतिरिक्त डेटा के साथ फिर से आवेदन करेंगे। भारत का इस तरह से फाइजर पर स्पष्ट रोक लगा देना अमेरिका और जो बाइडन के लिए भी एक सन्देश है कि भारत अब आत्मनिर्भर भारत है और अगर कोई चीज देशहित में नहीं है तो उसे गलत कहने में नहीं हिचकिचाएगा।

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