“BJP मेरी मदद करो!”, नंदीग्राम में हार के डर से ममता ने मिलाया BJP नेता को फोन

ये डर अच्छा है!

ममता बनर्जी

अपने करीबी लोगों के पार्टी छोड़ने पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी कितनी ज्यादा अकेली हो गईं हैं, उसके सबूत हमने कई बार देखें हैं, लेकिन अब ममता उन्हीं करीबी रहे लोगों के बीजेपी में जाने पर उनसे चुनावों के लिए मदद मांग रही हैं, क्योंकि ममता बनर्जी को नंदीग्राम में हार का डर सताने लगा है। ऐसे में उन्होंने टीएमसी छोड़कर बीजेपी में गए प्रलय पाल से फोन पर चुनावों के लिए मदद मांगी है, जिसकी कॉल रिकॉर्डिंग वायरल हो रही है। प्रलय को शुभेंदु का सहयोगी माना जाता है। ऐसे में ये कहा जा सकता है कि अपने सारे पैंतरे अपनाने के बाद ममता अब हताशा और बौखलाहट में विरोधियों से ही जीत के लिए मदद मांगने लगी हैं।

ममता बनर्जी ने पिछ्ले पांच सालों में खूब तानाशाही की लेकिन अब वो घड़ा भर चुका है, क्योंकि उनके अपने सहयोगी साथ छोड़ बीजेपी में चले गए हैं। ऐसे में ममता ने नंदीग्राम से‌ चुनाव लड़ने का ऐलान तो कर दिया लेकिन इसमें कोई शक नहीं है कि नंदीग्राम टीएमसी से बीजेपी में शामिल हुए शुभेंदु अधिकारी का गढ़ है। ऐसे में ममता के सामने इतनी बड़ी चुनौती है कि ममता को अपनी हार का डर सताने लगा है, जिसके चलते उन्होंने शुभेंदु के सहयोगी और टीएमसी से बीजेपी में गए प्रलय पाल से मदद मांगी है।

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ममता के फोन पर मदद मांगने का दावा करते हुए प्रलय पाल ने एक कॉल रिकॉर्डिंग सार्वजनिक की है, जिसमें ममता चुनावों के लिए मदद मांगती सुनी जा सकती हैं। ममता की कॉल रिकॉर्ड को लेकर प्रलय पाल ने कहा, “वह चाहती हैं कि मैं टीएमसी के लिए काम करूं और टीएमसी में लौट जाऊं, लेकिन मैं शुभेंदु अधिकारी और पूरे अधिकारी परिवार से लंबे समय से जुड़ा हुआ हूं। अब मैं भारतीय जनता पार्टी के लिए काम कर रहा हूं।” प्रलय ने दावा किया कि वो बीजेपी छोड़ अब किसी के साथ नहीं जाएंगे।

https://twitter.com/amitmalviya/status/1375694538002563077?s=19

इस मुद्दे पर बीजेपी ने ममता बनर्जी का मजाक बनाते हुए उनके इस कदम को उनकी बौखलाहट बताया है। इस मौके पर बीजेपी नेता और आईटी सेल प्रभारी अमित मालवीय ने ट्वीट कर कहा, “ममता बनर्जी ने नंदीग्राम के बीजेपी उपाध्यक्ष प्रलय पाल से चुनाव में मदद के लिए फोन किया, लेकिन प्रलय ने कहा कि टीएमसी में उनको अपमानित किया गया था, और अब बीजेपी के साथ धोखा नहीं कर सकते। बुआ इस बार बंगाल की नंदीग्राम की सीट अवश्य ही हारने वाली हैं।”

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इन सबसे इतर ममता बनर्जी की इस कथित रिकॉर्डिंग को लेकर टीएमसी नेताओं का कहना है कि ये उनकी आवाज नहीं हैं। इसकी सत्यता की पुष्टि होने तक इस पर किसी भी तरह का सवाल उठाना उचित नहीं है।  टीएमसी इस रिकॉर्डिंग पर सवाल उठाकर बचना चाहती है, लेकिन इसमें कोई नक नहीं है कि आज तक जितने भी रिकॉर्डिंग के मामले सामने आए हैं, कभी किसी नेता ने  इस तरह की बातों को स्वीकारा नहीं है, लेकिन ये प्रकरण बेहद अनोखा है।

इस पूरे प्रकरण का विश्लेषण कर ये कहा जा सकता हे कि ममता बनर्जी अब अपनी चुनावी हार के डर से हड़बड़ा गईं हैं। इसीलिए अब वो बौखलाहट में बीजेपी के नेताओं से मदद मांगने लगी हैं। ममता को अपनी ही सीट पर जीत का विश्वास नहीं रह गया है, जो इस बात का प्रमाण है कि टीएमसी की बंगाल की राजनीति से विदाई निश्चित हो गई है।

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