ट्रम्प के जाने के बाद चीन का “1000 टैलेंट प्रोग्राम” फिर फल-फूल रहा है और दुनिया के लिए यह भयावह है

पिछले चार सालों के नुकसान की भरपाई चीन अब करेगा!

चीन

जब डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका के राष्ट्रपति थे तब उन्होंने चीन के खिलाफ सिर्फ आर्थिक और रणनीतिक मोर्चा ही नहीं खोला था, बल्कि चीन के प्रोपेगेंडा और दुनियाभर में इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी की चोरी के खिलाफ भी एक्शन लेना शुरू किया था। चीनी प्रोपोगेंडे को ध्वस्त करने के लिए उनके प्रशासन ने चीन की यूनाइटेड फ्रंट द्वारा चलाये जा रहे 1000 टैलेंट प्लान के खिलाफ भी एक्शन लेते हुए कई जासूसों के खिलाफ कार्रवाई की थी। अब उनके जाते ही एक बार फिर से यह चीनी 1000 टैलेंट प्लान ने विस्तार करना शुरू किया है और रिपोर्ट के अनुसार CCP की नई पंच वर्षीय योजना और अधिक आक्रामक होने जा रही है।

Epoch Times की रिपोर्ट के अनुसार चीन ने 11 मार्च को अपने 14वें पंच वर्षीय प्लान को पारित किया। इस प्लान के बारे में बताते हुए अमेरिकी आधारित चीनी अर्थशास्त्री Cheng Xiaonong ने कहा कि नई पंचवर्षीय योजना चीन की पिछली “1000 टैलेंट प्लान” का ही विस्तार है। दोनों का मकसद एक ही है, दोनों की योजना अन्य देशों के विशेषज्ञों को लालच देकर विदेशी बौद्धिक संपदा और उन्नत तकनीक को विदेशों से चोरी करने की है। अंतर यह है कि नई पंचवर्षीय योजना अधिक आक्रामक है।

उन्होंने कहा, “पहले विदेशी बौद्धिक संपदा और उन्नत तकनीक की चोरी मुख्य रूप से प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में जासूसों के माध्यम से की जाती थी। बाद में, अमेरिकी सरकार ने जब जासूसी पर कड़ा नियंत्रण लगाया, तो उन्होंने तकनीक के साथ-साथ विशेषज्ञों को ही अपने देश बुला कर प्रौद्योगिकी को चुराने का काम शुरू कर दिया यदि आप विशेषज्ञों का शिकार करने में सफल हो जाते हैं, तो आपको स्वाभाविक रूप से तकनीक भी मिल जाएगी।“

उन्होंने कहा कि नई 5-वर्षीय योजना का लक्ष्य अभी भी सैन्य विस्तार से संबंधित प्रमुख क्षेत्रों में है। योजना के अनुसार, अधिक निवेश को बुनियादी अनुसंधान में डाला जाएगा, और विशेषज्ञों को और अधिक पुरस्कृत किया जाएगा।

बता दें कि “1000 टैलेंट प्लान”  CCP का एक कार्यक्रम है जो चीन ने 2008 में विदेशों से वैज्ञानिकों और इंजीनियरों को आकर्षित करने के लिए शुरू किया है। इस कार्यक्रम के तहत चीन अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, जर्मनी, सिंगापुर, कनाडा, जापान, फ्रांस और ऑस्ट्रेलिया सहित कई देशों के हजारों शोधकर्ताओं की भर्ती कर चुका है। 2008 और 2016 के बीच, चीन की स्थानीय सरकारों ने विदेशों से लगभग 53,900 प्रतिभाओं की भर्ती की, जबकि 7,000 से अधिक विशेषज्ञों को “1000 टैलेंट प्लान” के माध्यम से भर्ती किया गया था।

अक्सर चीन के सर्वश्रेष्ठ चीनी छात्र अक्सर उन्नत अध्ययन के लिए विदेश जाते हैं, जिनमें से अधिकांश अपने अध्ययन के बाद विदेश में रहने का निर्णय लेते हैं। इसे उलटने के लिए और CCP ने दुनिया के सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालयों से विदेशी चीनी और शीर्ष विदेशी मूल की प्रतिभा को आकर्षित करने की आवश्यकता पर जोर देने के लिए यह कार्यक्रम शुरू किया था। इसका वास्तविक मकसद अन्य देशों से आये विशेषज्ञों से उन्नत तकनीक की रिवर्स इंजीनियरिंग करना था।

चीन पर कई बार इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी के चोरी करने का आरोप लगा है। उदाहरण के लिए, 2018 में, हार्वर्ड विश्वविद्यालय में एक रसायन विज्ञान के प्रोफेसर Charles Lieber को बीजिंग के साथ अपने करीबी संबंधों का खुलासा न करने के कारण गिरफ्तार किया गया था। उस पर वुहान प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय से 50,000 डॉलर प्रति माह वेतन, जीवित व्यय में प्रति वर्ष $ 158,000 और चीन में रिसर्च फंडिंग के लिए 1.5 मिलियन डॉलर से अधिक प्राप्त करने का आरोप लगाया गया था। इस साल जनवरी में, वहां के जस्टिस डिपार्टमेन्ट ने “1000 टैलेंट प्लान” के तहत चीन से प्राप्त होने वाले धन का खुलासा न करने के लिए इस प्रोफेसर के खिलाफ अभियोग दायर किया गया था। सितंबर 2019 में, वर्जीनिया टेक के एक पूर्व प्रोफेसर, थाउज़ेंड टैलेंट्स प्लान स्कॉलर  Yiheng Zhang को धोखाधड़ी के आरोप में दोषी पाया गया।

अमेरिकी विश्वविद्यालयों में सभी अंतरराष्ट्रीय छात्रों में से एक तिहाई चीनी नागरिक होते हैं और अमेरिका वास्तव में चीन के छात्रों के लिए सीखने का प्रमुख आकर्षण रहा है । इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी की चोरी से परेशान होकर वर्ष 2018 में अमेरिका ने चीनी छात्रों और शोधकर्ताओं के खिलाफ पहली बार कदम उठाया था जब ट्रम्प प्रशासन ने विमानन, रोबोटिक्स और उन्नत विनिर्माण में पांच साल से एक वर्ष तक स्नातक करने वाले चीनी छात्रों का वीजा अवधि ही कम कर दिया था।

अब बाइडन के आते ही चीन ने उनकी कमजोरी को समझ लिया है और ट्रंप द्वारा किये गए नुकसान की भरपाई के लिए और अधिक आक्रामक तरीके से अपने 1000 टैलेंट प्लान को लागू करने जा रहा है। यह विश्व के लिए अच्छी खबर नहीं है और अब सभी देश को सतर्क होना होगा क्योंकि अमेरिका तो बाइडन के नेतृत्व में चीन के सामने घुटनों पर दिखाई दे रहा है।

 

Exit mobile version