पहली बार क्वाड नेताओं की बैठक 12 मार्च को होने जा रही है। परंतु उससे ठीक तीन दिन पहले, भारत और जापान के प्रधानमंत्रियों ने मंगलवार को चालीस मिनट तक एक-दूसरे से बात की, जिसमें चीन और उसकी गुंडागर्दी पर बातचीत हुई। जापानी प्रधानमंत्री योशिहिदे सुगा ने अपने भारतीय समकक्ष पीएम मोदी को प्रभावित करने के लिए, चीन के विस्तारवादी कार्यों को गंभीरता से लेते हुए पूरे पूर्वी चीन सागर में, विशेष रूप से दक्षिण और पूर्वी चीन सागर के मुद्दे पर बातचीत के लिए फोन किया था। QUAD के दो महत्वपूर्ण सदस्यों के बीच इस तरह चीन के मुद्दे पर फोन कॉल का मकसद कुछ और नहीं बाइडन को एक चीन के विरुद्ध स्पष्ट कदम उठाने के लिए संदेश देना था।
दोनों नेताओं ने माना कि ‘स्वतंत्र और फ्री इंडो पैसिफिक’ के महत्व का पालन करना महत्वपूर्ण है। जापान के विदेश मंत्रालय की ओर से जारी एक विज्ञप्ति में कहा गया है, “दोनों नेताओं ने यह माना कि एक स्वतंत्र और मुक्त इंडो पैसिफिक के मुद्दे को साकार करने के लिए सहयोग महत्वपूर्ण है। यही नहीं उन्होंने यह भी माना की जापान-भारत दोनों के द्विपक्षीय सहयोग और जापान-ऑस्ट्रेलिया-भारत-अमेरिका चतुर्भुज सहयोग का भी महत्व बढ़ चुका है।”
योशिहिदे सुगा ने विशेष रूप से, पीएम मोदी को चीन द्वारा इंडो पैसिफिक क्षेत्र में पैदा किए गए विभिन्न खतरों के बारे में सूचित किया। सुगा ने “पूर्व और दक्षिण चीन सागर, चीन के तटरक्षक कानून और हांगकांग और शिनजियांग उइगर स्वायत्त क्षेत्र में स्थिति को बदलने के लिए एकतरफा प्रयासों के बारे में गंभीर चिंता व्यक्त की।”
यहां यह समझने में भूल नहीं होनी चाहिए कि भारत और जापान के प्रधानमंत्रियों ने 40 मिनट तक फोन कॉल कर राष्ट्रपति जो बाइडन और उनके प्रशासन को एक सख्त संदेश भेजा है, कि क्वाड के भीतर चीन समर्थक भावना का कोई स्थान नहीं है।
यह तथ्य है कि चीन के बढ़ते कदम को रोकने के उद्देश्य से ट्रंप-युग के दौरान QUAD को मजबूत किया गया था। परंतु फिर भी, बाइडन अपने पहले ही महीने में चीन के सामने झुकते, QUAD को कमजोर करते और ट्रंप प्रशासन के इंडो पैसिफिक धुरी को कमजोर करते हुए नजर आए थे।
इसके कारण चीन एक बार फिर से आक्रामक होता नजर आ रहा है और भारत, जापान तथा ऑस्ट्रेलिया जैसे देश बाइडन में की इस तरह चीन को लुभाने वाली नीतियों से खुश नहीं हैं। पिछले एक महीने से QUAD के सदस्य देश, विशेष रूप से जापान, अमेरिका को चेतावनी दे रहे हैं कि चीन के मामले पर वह इस तरह के मजाकिया कदम न उठाए। फिर भी बाइडन ने वही किया जो इस क्षेत्र में अमेरिकी सहयोगियों को नाराज कर चुका है। “free and open Indo Pacific” की जगह “secure and prosperous Indo Pacific” जैसे अधिक लिबरल वाक्यांशों के उपयोग करने पर कई अन्य देशों के अलावा जापान, भारत और ऑस्ट्रेलिया भड़के हुए हैं।
फिर भी, हमारी ओर से यह कहना अनुचित होगा कि जो बाइडन अभी तक अपने होश में वापस नहीं आए है। वास्तव में, इंडो पैसिफिक में एक महीने की गलतफहमी के बाद, जो बिडेन ने महसूस किया है कि चीन को लुभाने के कारण अमेरिका अपने क्षेत्रीय सहयोगियों के बीच अलग-थलग पड़ जाएगा। इसलिए, बाइडन अब डैमेज कंट्रोल मोड में है, और जापान तथा भारत जैसे देशों के विश्वास को वापस पाने के लिए कड़ी मेहनत कर रहा है।
इसलिए बाइडन प्रशासन ने बीजिंग के खिलाफ कड़े कदम के संकेत देना शुरू किया है। यही नहीं अप्रैल में पीएम योशिहिदे सुगा की मेजबानी करने के लिए भी तैयार हो गया है, जो बाइडन के सत्ता संभालने के बाद से व्हाइट हाउस में आने वाले पहले राष्ट्रध्यक्ष होंगे। यह जापान के लिए अमेरिका की प्रतिबद्धता की पुष्टि करता है।
इस बीच, रक्षा सचिव लॉयड ऑस्टिन, इस महीने के अंत में भारत का दौरा करने वाले हैं, और बिडेन प्रशासन, ऑस्टिन को भारत भेजकर भारत को भी अपने पाले में करने की कोशिश कर रहा है। इस यात्रा का स्पष्ट संदेश है कि अमेरिका नई दिल्ली के साथ खड़ा है। तो, देखा जाए तो बाइडन निश्चित रूप से अपनी नीतियों में बदलाव कर रहे हैं।
हालांकि, प्रधानमंत्री मोदी और पीएम सुगा बाइडन के साथ कोई भी मौका नहीं लेना चाहते हैं – जो एक धीमे और भुलक्कड़ आदमी हैं। परिस्थितियां उन्हें अमेरिका के सहयोगियों के साथ खड़े होने के लिए मजबूर कर सकती हैं, परंतु दिल से बाइडन सीसीपी के प्रति वफादार रहे – यही कारण है कि उन्हें अचानक ही सभी महत्वपूर्ण बैठक में चीन समर्थक रुख अपनाते हुए देखा जा सकता था।
सुगा और मोदी के बीच कॉल अपने अमेरिकी सहयोगियों को यही संदेश देने के लिए था कि अब बाइडन के चीन के साथ वफादारी दिखाने का समय नहीं है अगर ऐसा होगा तो ये दोनो देश QUAD की ड्राइविंग सीट लेने के लिए तैयार है।
इसके अलावा भारत और जापान ने बाइडन के खिलाफ एक एकजुट मोर्चा खोल दिया है, और यह बताया है कि सहयोगियों के विश्वास को पूरी तरह से वापस करने के लिए, अमेरिकी राष्ट्रपति को QUAD के एजेंडे को आगे बढ़ाना होगा। ऐसा करने से, भारत और जापान यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि बाइडन डोनाल्ड ट्रम्प के इंडो पैसिफिक धुरी के साथ स्थापित स्थायित्व की भावना के साथ जारी रहे।