त्रिवेंद्र सिंह रावत के लिए बुरी खबर, उत्तराखंड में BJP बदल सकती है मुख्यमंत्री

TRS के लिए बजी खतरे की घंटी....

भारत की राजनीति से सियासी सस्पेंस कभी समाप्त नहीं होता। अभी सभी की नज़रे पश्चिम बंगाल की ओर हैं लेकिन तभी उत्तराखंड में सियासी दांव-पेंच तेज़ हो चुका है और मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के सर से ताज छीनता दिखाई दे रहा है। हालाँकि अब यह संकट टल गया है लेकिन कब तक टलेगा यह कहा नहीं जा सकता। बता दें कि ऐसी खबर थी कि उत्तराखंड के विधायक मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के काम करने के तरीके से खुश नहीं थे और एक अलग नेता चुनने के लिए बैठक करने वाले थे। इसी के मद्देनजर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत भी बीजेपी प्रमुख जेपी नड्डा से मिलने दिल्ली पंहुचे थे।

अब मिडिया रिपोर्ट्स के अनुसार प्रदेश बीजेपी प्रवक्ता और बीजेपी विधायक मुन्ना सिंह चौहान ने सोमवार की देर रात मीडिया से बात करते हुए कहा कि मंगलवार को किसी भी विधायक को बातचीत के लिए नहीं बुलाया गया है। उन्होंने कहा- “फिलहाल विधायक दल की कोई फॉर्मल बैठक नहीं बुलाई गई है। बीजेपी के विधायकों में सीएम को लेकर कोई भी रोष नहीं है।जो भी नीतिगत निर्णय है, वो भाजपा का पार्लियामेंट्री बोर्ड लेता है। उसकी हमें जानकारी नहीं है।”

दरअसल, इससे पहले पिछले हफ्ते, उत्तराखंड की राज्य भाजपा इकाई ने एक आपातकालीन कोर समूह की बैठक की जिसमें पर्यवेक्षक रमन सिंह और दुष्यंत गौतम, सीएम रावत, नैनीताल के सांसद अजय भट्ट, राज्यसभा सांसद नरेश भट्टल, टिहरी सांसद माला राज्य लक्ष्मी और अन्य शामिल हुए थे। उत्तराखंड में कई मंत्रियों और विधायकों ने रावत की कार्यशैली पर आशंका व्यक्त की थी जिसके बाद यह रिपोर्ट आई थी कि पार्टी के चार मंत्रियों सहित कम से कम 10 भाजपा विधायक दिल्ली में डेरा डाले चुके थे।

बीजेपी हाईकमान ने दो पर्यवेक्षकों पर्यवेक्षक रमन सिंह और दुष्यंत गौतम को स्थिति का जायज़ा लेने उत्तराखंड भेजा था। इन दोनों की रिपोर्ट भी रावत के लिए नकारात्मक ही थी और कहा गया था कि सीएम रावत “भाजपा को वह नेतृत्व प्रदान करने में विफल रहे हैं जो विश्वास पैदा करती है”, जिससे मौजूदा विधायकों में अशांति पैदा हुई, साथ ही लोगों के मध्य उनकी प्रसिद्धि भी खास नहीं हैं।

भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने राज्य में नेतृत्व परिवर्तन की संभावना को अधिक तवज्जो नहीं दी है, लेकिन यह स्वीकार किया कि उत्तराखंड में पार्टी के नेताओं के एक वर्ग की मुख्यमंत्री के साथ कुछ समस्याएं रही होंगी।

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इसके बाद ही मुख्यमंत्री रावत ने बीजेपी प्रमुख जेपी नड्डा से मुलाकात की और इससे पहले दिन में उत्तराखंड सांसद अनिल बलूनी के आवास पर भी गए थे। राज्य से पार्टी के एक वरिष्ठ नेता एवं भाजपा सांसद अजय भट्ट ने बताया कि राज्य में ‘सब ठीक है’ और कहा कि दो केंद्रीय नेताओं ने 12 मार्च से भाजपा की तीन दिवसीय राज्य कार्यकारिणी की बैठक और 18 मार्च को रावत सरकार की चौथी वर्षगांठ की तैयारियों के संबंध में उत्तराखंड का दौरा किया था।

अब यह भी खबर आ रही है कि पार्टी राज्य मंत्रिमंडल में फेरबदल भी कर सकती है। अगर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत आने वाले साल में मुख्यमंत्री पद पर बने रह गए तो इतिहास रचेंगे। उत्तराखंड में दिवंगत नारायण दत्त तिवारी के बाद वह दूसरे मुख्यमंत्री होंगे जो पांच साल का कार्यकाल पूरा कर पाएंगे। जब से इस राज्य का गठन हुआ है तब से से सिर्फ नारायण दत्त तिवारी ने ही अपना कार्यकाल पूरा किया है बाकि किसी ने भी पांच वर्षों का कार्यकाल पूरा नहीं किया है। हालाँकि मुख्यमंत्री रावत के सर से अभी खतरा टला हुआ नजर आ रहा है लेकिन यह कब तक टलेगा यह कुछ कहा नहीं जा सकता है क्योंकि राजनीति भी क्रिकेट की तरह अनिश्चिताओं का खेल है।

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