अपने मोटाभाई यानि अमित शाह इस समय फुल फ़ॉर्म में है। केरल के हाल ही में सम्पन्न दौरे में उन्होंने सत्ताधारी कम्युनिस्ट सरकार और पार्टी के मुखिया पिनाराई विजयन की कलई खोल दी। सबरीमाला हो, सोने की तस्करी हो या फिर राजनीतिक हिंसा, अमित शाह ने केरल सरकार को कहीं का नहीं छोड़ा। अब अमित शाह के तेवर से कॉमरेड विजयन इतना सकपका गए हैं कि वे अपने आप को बचाने के लिए ऊटपटाँग दलीलें दे रहे हैं।
अमित शाह केरल के दौरे पर आए थे। शंगुमुग्हम में बीजेपी की केरल विजय यात्रा के समापन समारोह में गृह मंत्री अमित शाह ने हिस्सा लिया, और इस दौरान ‘मेट्रो मैन’ ई श्रीधरन भी मौजूद रहे। जनता को संबोधित कर हुए अमित शाह ने कहा, “ये केरल एक जमाने में विकास के लिए जाना जाता था, केरल निरक्षरता को सबसे पहले परास्त करने वाला राज्य था और आज ये राज्य LDF, UDF इनके बारी-बारी के सत्ता के चक्कर में राजनीतिक हिंसा और भ्रष्टाचार का अखाड़ा बन गया है।
अमित शाह ने आगे कहा, “एलडीएफ और यूडीएफ के बीच एक हेल्थी कॉम्पिटिशन चल रहा है। केरल को आगे बढ़ाने के लिए नहीं, बल्कि भ्रष्टाचार करने के लिए। जब यूडीएफ सत्ता में आती है तो सोलर घोटाला करती है और जब एलडीएफ सत्ता में आती है, तो वह डॉलर गोल्ड घोटाला करती है। ये दोनों में घोटाला करने की स्पर्धा लगी है”।
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यहां अमित शाह का इशारा स्पष्ट तौर पर केरल सरकार की देखरेख में हुए सोने और डॉलर की तस्करी की ओर था। अब ऐसे में पिनाराई विजयन कैसे चुप रहते? उन्होंने कहा, “तिरुवनंतपुरम एयरपोर्ट तो पूरी तरह से केंद्र सरकार के आधीन है। भाजपा के सत्ता में आते ही वह सोने की तस्करी का अड्डा कैसे है? इसके लिए गृह मंत्री जवाबदेह हैं, मैं नहीं”।
Trivandrum Airport is in complete control of Central Government. How did Trivandrum Airport become a hub of gold smuggling after BJP came to power? Amit Shah should answer it. Not Kerala CM but Amit Shah has the responsibility to answer it: Kerala CM Pinarayi Vijayan in Kannur pic.twitter.com/ax9uQZ35zw
— ANI (@ANI) March 8, 2021
कमाल है, दूत ने बुरा समाचार दिया तो उसी के हाथ काट दिए जाएंगे? शायद विजयन इसी मानसिकता से जीते हैं, तभी वे सोने की तस्करी को उजागर करने वाले केन्द्रीय प्रशासन को इस पूरे प्रकरण के लिए दोषी ठहराने का बचकाना प्रयास कर रहे हैं। स्पष्ट है वो केरल के विधानसभा चुनाव से पहले सोने की तस्करी के मामले से खुद का दामन साफ करने की कोशिश कर रहे हैं, परन्तु सच्चाई से भला कौन ही बच पाया है।
बता दें कि जुलाई 2020 में तिरुवनंतपुरम एयरपोर्ट पर कस्टम्स विभाग के अफसरों ने 30 किलो सोना जब्त किया था, जो Diplomatic immunity का फ़ायदा उठाते हुए UAE ले जाया जा रहा था। जांच पड़ताल में यूएई कॉन्सुलेट जनरल के यहाँ पूर्व पब्लिक रिलेशन्स ऑफिसर रह चुके सरिथ कुमार और पूर्व कॉन्सुलेट अधिकारी स्वप्ना सुरेश का नाम सामने आया था।
लेकिन सोने की तस्करी अकेले तिरुवनंतपुरम एयरपोर्ट से ही नहीं, बल्कि कोच्चि एयरपोर्ट से भी होती थी, जिसके बारे में NIA के पास पुख्ता सबूत है, और साथ ही इस घोटाले में शामिल स्वप्ना सुरेश ने ये भी स्वीकारा है कि यह पूरा घोटाला सीएम की देखरेख में हुआ था, और UAE के कोंसुलेट से उनकी बराबर बातचीत होती थी।
कस्टम्स विभाग द्वारा की गया पूछताछ में स्वप्ना ने उजागर किया कि, “विजयन के साथ साथ 3 अन्य कैबिनेट मंत्री भी इस पूरे प्रकरण में शामिल थे, जिनमें केरल के विधानसभा अध्यक्ष पी श्रीरामकृष्णन भी शामिल हैं। कस्टम्स विभाग के हलफनामे के अनुसार स्वप्ना सुरेश सीएम विजयन और UAE कॉन्सुलेट के बीच मध्यस्थता करती थी, क्योंकि सीएम अरबी नहीं बोलते हैं”।
पिनाराई विजयन भलीभांति जानते हैं कि इस गोल्ड घोटाले में उनका नाम सामने आने से LDF गठबंधन को आगामी चुनाव में कितना बड़ा नुकसान होने वाला है, इसीलिए वह केन्द्रीय प्रशासन पर उल्टा आरोप लगाकर अपने आप को पाक साफ सिद्ध करना चाहते हैं, ताकि भाजपा के पास इस मुद्दे पर उन्हें घेरने का मौका न मिल सके।